
एक बार फिर आप सब मित्रों, परिजनों और "अनदेखे अपनों" को ह्रदय की गहराइयों से शुभकामनाएं। हम सब के लिए आने वाला समय भी शुभ और मंगलमय हो।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
हमारे देश की मिटटी के कण-कण में धार्मिकता व्याप्त है ! जल-थल-पवन-गगन सभी जगहों पर देवत्व की रहस्यमय पर अलौकिक उपस्थिति महसूस की जाती है ! ऐस...
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (25-10-2014) को "तुम ठीक तो हो ना....भइया दूज की शुभकामनाएँ" (चर्चा मंच-1772) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
प्रकाशोत्सव के महान त्यौहार दीपावली से जुड़े
पंच पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार, शास्त्री जी
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