सब अपने में मस्त थे पर शरीर साफ सुन पा रहा था बरसात के साथ आने वाली बिमारियों की पदचाप।इसी आवाज को हम सब को भी सुन स्वस्थ रहते हुए स्वस्थ रहने की प्रकृया शुरु कर देनी चाहिये।
इस बार गर्मी ने कुछ ज्यादा ही लंबी मेहमानी करवा ली. जाने के समय भी बिस्तर बांधने में अच्छा खासा समय ले लिया. वो तो भला हो इंद्र देवता का जिनकी इजाजत से बरखा रानी ने धरती पर अपने कदम रखे। मौसम सुहाना होने लगा। पेड़-पौधों ने धुल कर राहत की सांस ली. किसानों की जान में जान आयी। कवियों को नयी कविताएं सुझने लगीं। हम जैसों को भी चाय के साथ पकौड़ियों की तलब लगने लगी। सब अपने में मस्त थे पर शरीर साफ सुन पा रहा था बरसात के साथ आने वाली बिमारियों की पदचाप। इसी आवाज को हम सब को भी सुन स्वस्थ रहते हुए स्वस्थ रहने की प्रकृया शुरु कर देनी चाहिये। क्योंकि बिमार होने के बाद स्वस्थ होने से अच्छा है कि बिमारी से बचने का पहले ही इंतजाम कर लिया जाये।
इस मौसम में जठराग्नि मंद पड़ जाती है। सर्दी, खांसी, फ्लू, डायरिया, डिसेन्टरी, जोड़ों का दर्द और न जाने क्या-क्या, अपने-अपने ढोल-मंजीरे ले शरीर के द्वार पर दस्तक देने लगते हैं। वैसे तो अधिकाँश लोग अपना ख्याल रखना जानते हैं, फिर भी हिदायतें सामने दिखती रहें तो और भी आसानी हो जाती है, क्योंकि उनके प्रयोग से लाभ ही होता है बुराई कुछ भी नहीं है. मेरे एक मित्र वैद्य हैं उन्हीं के परामर्श को बाँट रहा हूँ :-
इस मौसम में जठराग्नि मंद पड़ जाती है। इसलिए रोज एक चम्मच अदरक और शहद की बराबर मात्रा सुबह लेने से फायदा रहता है।
खांसी-जुकाम में एक चम्मच हल्दी और शहद गर्म पानी के साथ लेने से राहत मिलती है।
इस मौसम में दूध, दही, फलों के रस, हरी पत्तियों वाली सब्जियों का प्रयोग कम कर दें।
नीम की पत्तियों को उबाल कर उस पानी को अपने नहाने के पानी में मिला कर नहायें। इसमें झंझट लगता हो तो पानी में डेटाल जैसा कोई एंटीसेप्टिक मिला कर नहायें। बरसात में भीगने से बचें, मजबूरी में शरीर गीला हो ही जाए तो जितनी जल्दी हो उसे सुखाने की जुगत करें.
आज कल तो हर घर में पानी के फिल्टर का प्रयोग होता है। पर वह ज्यादातर पीने के पानी को साफ करने के काम में ही लिया जाता है। भंड़ारित किये हुए पानी को वैसे ही प्रयोग में ले आया जाता है। ऐसे पानी में एक फिटकरी के टुकड़े को कुछ देर घुमा कर छोड़ दें। पानी की गंदगी नीचे बैठ जायेगी।
तुलसी की पत्तियां भी जलजनित रोगों से लड़ने में सहायक होती हैं। इसकी 8-10 पत्तियां रोज चबा लेने से बहुत सी बिमारियों से बचा जा सकता है। घर में पीने के पानी में इसकी आठ-दस पत्तियां डाल दें, ये बखूबी आपकी हिफाजत करेंगी.
खाने के बाद यदि पेट में भारीपन का एहसास हो तो एक चम्मच जीरा या अजवायन पानी के साथ निगल लें। आधे घंटे के अंदर ही राहत मिल जायेगी।
अचार, तले हुए, मसालेदार खाद्य पदार्थों के साथ-साथ बाहर के खाने-पीने से इन दिनों दूरी बनाये रखें। ज्यादा देर के कटे फल, सलाद और बासी भोजन का उपयोग ना ही करें तो बेहतर है।
2 टिप्पणियां:
इतने आसान और उपयोगी उपायों के लिए आभार !
प्रतिभा जी,
मैं तो अनुशरण करता आया हूँ और प्रभू की कृपा से कभी भी पावस ऋतु को अपने स्वास्थ्य के लिए दोष देने का मौका नहीं आया।
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