तीन मूर्ति भवन के सामने के चौराहे पर तीन सैनिकोँ की खडी मूर्तियों का एक स्मारक
है, उन्हीं के कारण इस भव्य भवन का नाम तीन मूर्ति भवन पड गया. यहाँ से
हजारों लोग रोज गुजरते हैं, बाहर से दिल्ली दर्शन को आने वाले पर्यटक भी इस
भवन को देखने आते हैं पर इन मूर्तियों के बारे में लोगों को अधिक जानकारी
नहीं है.
दिल्ली का तीन मूर्ति भवन. देश के स्वतंत्र होने के बाद भारत के प्रधान मंत्री का सरकारी निवास स्थान. पर प्रधान मंत्री का घोषित निवास स्थान होने के बावजूद इसमें देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ही रहे.
दिल्ली का तीन मूर्ति भवन. देश के स्वतंत्र होने के बाद भारत के प्रधान मंत्री का सरकारी निवास स्थान. पर प्रधान मंत्री का घोषित निवास स्थान होने के बावजूद इसमें देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ही रहे.
तीन मूर्ति भवन |
शिकारगाह के अवशेष |
वर्षों पहले इस जगह बीहड़ जंगल हुआ करता था. शाम ढलते ही किसी की इधर आने की हिम्मत नहीं पड़ती थी. पूरा वन-प्रदेश जंगली जानवरों से भरा पडा था. करीब छह सौ साल पहले जब दिल्ली पर मुहम्मद तुगलक का राज्य था तब यह जगह उसकी प्रिय शिकार गाह हुआ करती थी. शिकार के लिए उसने पक्के मचानों का भी निर्माण करवाया था जिनके टूटे-फूटे अवशेष अभी भी वहाँ दिख जाते हैं।
तीन मूर्ति स्मारक |
हालांकि इन मूर्तियों का परिचय उनके नीचे लगे शिला लेख में अंकित है, फिर भी अधिकाँश लोगों ने मूर्तियों को भवन का एक अंग समझ कभी उनके बारे में जानकारी लेने की जहमत नहीं उठाई। अंग्रेजों ने अपने आधीन राज्यों से सैनिकों को चुन कर 'लांसरों' की टुकड़ियां बनाई थीं।उन्हीं टुकड़ियों ने 1914 के प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों की तरफ से स्वेज नहर, गाजा और येरुशलम की लड़ाई में भाग लिया था, जिसे हैफा की लड़ाई के रूप में याद किया जाता है. इसी युद्ध में इन भारतीय सैनिकों की अभूतपूर्व वीरता और युद्ध कौशल के कारण अंग्रेजों को विजय प्राप्त हुई थी. उसी युद्ध में शहीद हुए, जोधपुर, मैसूर तथा हैदराबाद के 'लांसरों' की याद में ये कांसे की आदमकद, सावधान की मुद्रा में हाथ में झंडा थामे तीन मूर्तियां आज भी खडी हैं.
4 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीय-
behtareen jaankaari ..
उपयोगी जानकारी
सुन्दर प्रस्तुति...!
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