आज वह दिन है जिसके लिए कुंवारे दोस्त-मित्र लड्डू का सहारा ले कुछ न कुछ कहते रहते हैं, जबकि मौका मिलते ही वे भी खाने को ही लपकते हैं। देखते-देखते सैंतीस साल निकल गए। अभी भी कल की बात लगती है। हालांकि इंसान की फितरत है कि वह किसी बंधन में बंधना नहीं चाहता पर यह बंधन प्रिय भी लगता है। यह अलग बात है कि मनोरंजन के लिए तरह-तरह के "पंच" या कहें कहावतें मशहूर हैं शादी को लेकर, जो ज्यादातर पुरुष को मद्देनजर रख बनी या बनाई गयीं हैं। पर दूसरा पक्ष तो ज्यादा जोखिम उठाता है, नई जगह, नए बन्दों को लेकर।
यह कहने की बात नहीं है सभी जानते हैं कि जिन्दगी उतार-चढाव भरी होती है, तो उन उतरावों में मेरी जीवन-संगिनी, कदमजी ने जो मेरा साथ दिया उसके लिए आज पहली बार सार्वजनिक रूप से मैं उनका शुक्रगुजार हूँ। यह उन्हीं की हिम्मत, हौसला और जिजीविषा थी कि आज भी हम खुश रहते हैं, हर हाल और परिस्थिति में।
इसीलिए आप-सब से बधाई अपेक्षित है :-)
11 टिप्पणियां:
badhai ho, bahut bahut..
बधाई हो 37 साल
बधाईयां जी बधाईयां, आज से सैंतिस साल पहले पंचों की राय मान कर ठीक ही किया। :)
बहोत बहोत बधाई हो आपको, आज की शादी जहा ३७ दिन में ही दम तोड़ देती है वहा आपकी शादी को ३७ साल हो गये, बधाई
From Great talent
37 वीं वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाइयाँ।
Bas yahi dua hai ab to ishwar se ki hume har jeevan me aap hi mile mata pita k roop me.saubhagyashaali hu main jo apke roop me bhagwaan mil gye.
बहुत-बहुत शुभकामनायें।
ढेरों शुभकामनायें।
ढेर सारी शुभकामनायें।
आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुत-बहुत बधाई :जीवन सतत सरस सुन्दर बना रहे!
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