बुधवार, 21 जुलाई 2010

हाइड पार्क, अपनी तरह का एक ही

हाइड़ पार्क लंदन का प्राचीन और ऐतिहासिक पार्क है। यहां पहले घना जंगल हुआ करता था। जिसमें जंगली जानवरों का बसेरा था। कालांतर में यह शाही परिवार का शिकारगाह बन गया। हेनरी अष्टम के समय से ही इसका रख-रखाव होने लग गया था। फिर चार्ल्स प्रथम ने यहां साफ-सफाई करवा कर इसका उपयोग राजपरिवार के सदस्यों को घुड़सवारी सिखाने मे करना आरम्भ करवा दिया। धीरे-धीरे जंगल को एक सुंदर उद्यान में बदल दिया गया। जहां उच्च कुल के लोग अपनी शामें बिताने आने लगे।



सन 1730 में इस पार्क मे एक झील बनायी गयी जिसका नाम अपने आकार के अनुसार सर्पेंटाइन रखा गया। जो आज भी अपनी सुंदरता से लोगों को खिंचे चले आने पर मजबूर कर देती है।
पर हर चीज बदलायमान है। 18वीं सदी में एक समय ऐसा भी आया जब यह पार्क आतंक का पर्याय बन गया। अंधेरा होते ही यहां डकैतों तथा अपराधियों का जमावड़ा होने लगा। शाम होने के बाद कोई भी व्यक्ति इधर आने की हिम्मत नहीं करता था। धीरे-धीरे कानून व्यवस्था मे सुधार आया और महारानी विक्टोरिया के समय में यह वक्ताओं को अपने भावों को प्रगट करने का भाषण स्थल बन गया जो आज तक चला आ रहा है।


इस पार्क के एक कोने को इस काम के लिए निश्चित कर दिया गया तथा इसे "स्पीकर्स कार्नर" के नाम से जाना जाने लगा। इसकी विशेषता यह है कि यहां होने वाले भाषणों को सूचित या प्रसारित नहीं किया जाता। वक्ता अपने आप आता है और श्रोता भी। मजेदार बात यह है कि एक ही समय पर भिन्न-भिन्न विषयों पर सभाएं होती हैं, जिस की जैसी रुचि होती है वह वैसी ही सभा का सदस्य बन जाता है। जैसा कि आज के मल्टिपलेक्सों में विभिन्न स्क्रिनों पर दिखायी जाने वाली विभिन्न फिल्मों के साथ है। हां यहां पैसे खर्चने पड़ते हैं, हाइड पार्क में सब कुछ मुफ्त होता है।

करीब छह सौ एकड़ के इस पार्क में आज हर तरह के मनोरंजन का सामान मौजूद है। नौका विहार, घुड़सवारी, फूलों का उद्यान, तैरने तथा नौका विहार की सुविधा, रात में युवाओं की विलासिता का अड्डा और भी ना जाने क्या-क्या समेटे यह पार्क मशहूर है पूरी दुनिया में।
अपनी तरह का अकेला और अनोखा पार्क है यह दुनिया का ।

5 टिप्‍पणियां:

माधव( Madhav) ने कहा…

nice information

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी। युरोप के हर देश मै ऎसॆ पार्क है जी, मुनिख मै भी इंग्लिश गार्डन के नाम से मीलो लम्बा ओर चोडा ऎसा ही गार्डन है

कडुवासच ने कहा…

...सुन्दर पोस्ट!!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जानकारी देने के लिए शुक्रिया!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

भाटिया जी, यहां तो ऐसी लंबी-चौड़ी हरी भरी खाली जगह तो सपना ही है। मीलों की तो बहुत बड़ी बात है, गजों की खाली जगह पर भी "गिद्ध" मंडराने लगते हैं।

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