वर्षों से यह धारणा चली आ रही है कि, होलिका ने अपने भतीजे प्रह्लाद को मारने की नाकाम चेष्टा की थी। ऐसा उसने क्यूं किया? क्या मजबूरी थी जो एक निर्दोष बालक के अहित में उसने साथ दिया? क्या वह किसी षड़यंत्र की शिकार थी ?
असुर राज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका और पडोसी राज्य के राजकुमार इलोजी एक दूसरे को दिलोजान से चाहते थे। इलोजी के रूप-रंग के सामने देवता भी शर्माते थे। सुंदर, स्वस्थ, सर्वगुण संपन्न साक्षात कामदेव का प्रतिरूप थे वे। इधर होलिका भी अत्यंत सुंदर रूपवती युवती थी। लोग इनकी जोडी की बलाएं लिया करते थे। । उभय पक्ष की सहमति से दोनों का विवाह होना भी तय हो चुका था। परन्तु विधाता को कुछ और ही मंजूर था। हिरण्यकश्यप अपने पुत्र के प्रभू प्रेम से व्यथित रहा करता था। उसके लाख समझाने-मनाने पर भी प्रह्लाद की भक्ती मे कोई कमी नहीं आ पा रही थी। धीरे-धीरे हिरण्यकश्यप की नाराजगी क्रोध मे बदलती चली गयी और फिर एक समय ऐसा भी आ गया कि उसने अपने पुत्र को सदा के लिये अपने रास्ते से हटाने का दृढसंकल्प कर लिया। परन्तु लाख कोशिशों के बावजूद वह प्रह्लाद का बाल भी बांका नही कर पा रहा था। राजकुमार का प्रभाव जनमानस पर बहुत गहरा था। राज्य की जनता हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से तंग आ चुकी थी। प्रह्लाद के साधू स्वभाव के कारण सारे लोगों की आशाएं उससे जुडी हुई थीं।
हिरणयकश्यप ये बात जानता था। इसीलिये वह प्रह्लाद के वध को एक दुर्घटना का रूप देना चाहता था और यही हो नहीं पा रहा था। इसी बीच उसे अपनी बहन होलिका को मिले वरदान की याद हो आई। जिसके अनुसार होलिका पर अग्नि का कोई प्रभाव नहीं पडता था। उसने होलिका को अपनी योजना बताई कि उसे प्रह्लाद को अपनी गोद मे लेकर अग्नि प्रवेश करना होगा। यह सुन होलिका पर तो मानो वज्रपात हो गया। वह अपने भतीजे को अपने प्राणों से भी ज्यादा चाहती थी। बचपन से ही प्रह्लाद अपनी बुआ के करीब रहा था। बुआ ने ही उसे पाल-पोस कर बडा किया था। जिसकी जरा सी चोट से होलिका परेशान हो जाती थी, उसीकी हत्या की तो वह कल्पना भी नही कर सकती थी। उसने भाई के षडयन्त्र मे भागीदार होने से साफ़ मना कर दिया। पर हिरण्यकश्यप भी होलिका की कमजोरी जानता था। उसने भी होलिका को धमकी दी कि यदि उसने उसका कहा नही माना तो वह भी उसका विवाह इलोजी से नहीं होने देगा। होलिका गंभीर धर्मसंकट मे पड गयी थी वह अपना खाना-पीना-सोना सब भूल गयी। एक तरफ़ दिल का टुकडा, मासूम भतीजा था तो दूसरी तरफ प्यार, जिसके बिना जिंदा रहने की वह कल्पना भी नहीं कर सकती थी। आखिरकार उसने एक अत्यन्त कठिन फ़ैसला कर लिया और भाई की बात मान ली, क्योंकि उसे डर था कि कहीं हिरण्यकश्यप इलोजी को कोई नुक्सान ना पहुंचा दे। निश्चित दिन, उसने अपने वरदान का सहारा प्रह्लाद को दे, उसे अपनी गोद मे लेकर, अग्नि प्रवेश कर अपना बलिदान कर दिया, पर उसके इस त्याग का किसी को भी पता नहीं चल पाया।
यही दिन होलिका और इलोजी के विवाह के लिए भी तय किया गया था। इलोजी इन सब बातों से अंजान अपनी बारात ले नियत समय पर राजमहल आ पहुंचे। वहां आने पर जब उन्हें सारी बातें पता चलीं तो उन पर तो मानो पहाड टूट पडा, दिमाग कुछ सोचने समझने के काबिल न रहा। पागलपन का एक तूफ़ान उठ खडा हुआ और इसी झंझावात मे उन्होंने अपने कपडे फाड डाले और होलिका-होलिका की मर्म भेदी पुकार से धरती-आकाश को गुंजायमान करते हुए होलिका की चिता पर लोटने लगे। गर्म चिता पर निढाल पडे अपने आंसुओं से ही जैसे चिता को ठंडा कर अपनी प्रेयसी को ढूंढ रहे हों। उसके बाद उन्होंने आजीवन विवाह नहीं किया। वन-प्रातों मे भटकते-भटकते सारी जिंदगी गुजार दी।
पर इतिहास ने दोनों को भुला दिया। इलोजी की बात करें तो उनका नाम सिर्फ राजस्थान तक सिमट कर रह गया और रही होलिका, तो उसके साथ तो घोर अन्याय हुआ, उसके बलिदान को भुला कर उसे प्रह्लाद की हत्या के षड़यंत्र में शामिल एक अपराधी मान कर बदनाम कर दिया गया।
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* सारे बिन देखे अपनों को, ब्लोगर परिवार को, आप सब को होली की ढेरों बधाईयां।
20 टिप्पणियां:
achchi jankari..
होली की ढेर सारी शुभकामनायें...
is najarie se to kabhi nahi socha tha.
आपको व परिवार को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओ .
आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से रंगीन होली की ढेरो बधईयाँ और शुभकामनाएं..
Regards
आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से होली की ढेरो बधईयाँ और शुभकामनाएं..
होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।
Rochak par maarmik tathy udghatit kiya aapne..kya yahi saty hai?
Aapko sapariwaar Holi kee shubhkaamnaye.
बहुत सुन्दर जानकारी. हमें तो बिलकुल नहीं मालुम था की होलिका का कोई प्रेमी भी रहा. एक अनुरोध है. ऐसे सुन्दर पोस्ट किसी पर्व के दिन या उसकी पूर्व संध्या पर न दिया करें. लेख की बात कोई नहीं करता. शुभकामनायें ढेर मिलती हैं. हमारे और से भी एक चुटकी गुलाल ग्रहण करें. शुभकामनायें भी.
आपको व आपके परिवार को होली की घणी रामराम.
एकदम अलग सी कहानी है परन्तु अधिक सच लगती है।
होली की शुभकामनाएँ !
घुघूती बासूती
यह नई जानकारी मिली। आपको होली मुबारक!
वाह आपने एक बार फ़िर होली का इतिहास बता कर होली का महत्व इंगित किया है । होली की शुभकामनायें..
हमें तो होलिका का के इस बलिदान के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था आपने बहुत बढ़िया जानकारी दी है इलो जी का नाम तो सुना है पर कभी ज्यादा जानकारी नहीं मिली | आभार !
होली की ढेर सारी शुभकामनाये !
होलिका और इलोजी वाली यह कथा इस नजरिये से कभी नहीं सुनी थी..आपका आभार.
आपको होली की मुबारकबाद एवं बहुत शुभकामनाऐं.
सादर
समीर लाल
happy holi.jaankari ke liye saadhuvaad.
नमस्कार मुे आप का यह लेख मिला ही नही आज आप के मेल से पता चला तो ढूढता ढूढता यहां तक पहुचा.॑
सच मै यह कहानी पहली बार सुन रहा हुं, हम सब तो होलिका को बहुत बुरा समझते है, आप का धन्यवाद.
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
यह कहानी तो आज पहली बार पता चली ...शुक्रिया
आपका यह लेख अमर उजाला में प्रकाशित किया गया है।आपके द्वारा कयी लोगो होलिका के इस त्याग के विषय मे जान पाये।होली कि शुभकामनायें।
नेहा जी,
बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके सहयोग के लिए आभारी हूं। आपकी प्रोफाइल का लिंक नहीं मिल पा रहा है।
aap ki post padh kar lagataa hai ki aisa hi hua hoga.
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