नवरात्र-पूजन के नवें दिन "मां सिद्धिदात्री" की पूजा का विधान है।
मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व , ये आठ प्रकार की सिद्धियां होती हैं। मां इन सभी प्रकार की सिद्धियों को देनेवाली हैं। इनकी उपासना पूर्ण कर लेने पर भक्तों और साधकों की लौकिक-परलौकिक कोई भी कामना अधूरी नहीं रह जाती। परन्तु मां सिद्धिदात्री के कृपापात्रों के मन में किसी तरह की इच्छा बची भी नही रह जाती है। वह विषय-भोग-शून्य हो जाता है। मां का सानिध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। संसार में व्याप्त समस्त दुखों से छुटकारा पाकर इस जीवन में सुख भोग कर मोक्ष को भी प्राप्त करने की क्षमता आराधक को प्राप्त हो जाती है। इस अवस्था को पाने के लिए निरंतर नियमबद्ध रह कर मां की उपासना करनी चाहिए।
मां सिद्धिदात्री कमलासन पर विराजमान हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। ऊपरवाले दाहिने हाथ में गदा तथा नीचेवाले दाहिने हाथ में चक्र है। ऊपरवाले बायें हाथ में कमल पुष्प तथा नीचेवाले हाथ में शंख है। इनका वाहन सिंह है। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव को भी इन्हीं की कृपा से ही सारी सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। इनकी ही अनुकंपा से शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था और वे "अर्धनारीश्वर" कहलाये थे।
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
5 टिप्पणियां:
कलकत्ता की दुर्गा पूजा - ब्लॉग बुलेटिन पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दुर्गा पूजा की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें ! आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
देवी को नमन ।
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
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बहुत सुन्दर देवी प्रस्तुति
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
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