देखा जाए तो यह भी एक साधना ही है ! मैच देखने जाने एक एक दिन पहले वह अपने शरीर को भारतीय ध्वज के रंगों से रंग लेते हैं और उस रात को सोते नहीं हैं कि कहीं रंग खराब ना हो जाएं ! वह आमतौर पर अपनी छाती पर तेंदुलकर का नाम लिखते हैं और पीठ पर उनकी जर्सी का नंबर ! वह अपने साथ एक शंख भी रखते हैं, जिसे मैच के खास-खास मौकों पर मैदान में बजाते हैं ! सुद्या के उपनाम से जाने जाने वाले अविवाहित चौधरी सनातनी हिन्दू हैं। अयोध्या राम मंदिर अभिषेक में भी उन्होंने भाग लिया था.......... !
#हिन्दी_ब्लागिंग
क्रिकेट से लगाव रखने वाले लोगों ने विदेशी टीमों के साथ हो रहे तकरीबन हर मैच में, तिरंगे रंग में रंगे दो युवकों को बड़ा सा तिरंगा फहराते देखा होगा ! एक की पीठ पर 10 नंबर, जो कभी सचिन की जर्सी का नंबर होता था, और आगे सीने पर तेंदुलकर लिखा होता है। उसी तरह दूसरे की पीठ पर धोनी की जर्सी का नंबर 7 और आगे धोनी लिखा होता है ! अब तो ये दोनों क्रिकेट के हर मैच का अभिन्न अंग सा बन गए हैं ! दर्शकों को भी अब इनको देखने की आदत पड़ गई है ! कौन हैं ये दोनों ? इतना जुनून क्यों है इन दोनों का इस खेल के प्रति ?
| सुधीर कुमार चौधरी |
| राम बाबू |
क्रिकेट की दीवानगी ऐसी थी कि उसके सिवा युवा सुधीर को और कुछ भी ना सूझता था, ना हीं भाता था !भारतीय टीम देश में जहां भी जाती, ये महाशय किसी ना किसी युक्ति से वहां पहुंच ही जाते थे ! अपनी इन सब हरकतों से उसने अपने माता-पिता को बहुत ही नाराज कर दिया था। रोक-टोक जब कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी तो सुधीर ने धमकी तक दे डाली कि अगर उसे मैच देखने से रोका गया तो वह आत्मदाह कर लेगा ! उसने कहा कि उसका जीवन भारतीय क्रिकेट मैच देखने के लिए समर्पित है ! इसके धनार्जन के लिए उसने क्रिकेट प्रेमियों की सहायता ली !
| समर्पण |
सन 2003 से, चौधरी भारत द्वारा खेले गए हर क्रिकेट मैच को देखते और समर्थन करते आ रहे हैं ! पर यह सब इतना आसान नहीं रहा था ! 28 अक्टूबर 2003 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन का खेल देखने के लिए उन्होंने 21 दिनों तक साइकिल चलाकर मुजफ्फरपुर से मुंबई तक का सफर तय किया था, और यह त्रिकोणीय सीरीज का पहला मैच था, जहां उन्होंने भारतीय तिरंगा लहराकर भारत का समर्थन करना शुरू किया। पैसों की तंगी के कारण कई बार खतरा मोल लेते हुए ट्रेनों में बिना टिकट यात्रा भी की ! पर मुख्यत: स्टेडियम तक ले जाने के लिए इनकी सायकिल ही साथ निभाती रही ! जैसे कि 2006 में लाहौर और 2007 में बांग्लादेश तक उसी पर चले गए थे ! 2015 में, मीरपुर में इंडिया-बांग्लादेश सीरीज के दौरान, भारत का स्पोर्ट करने खातिर उनकी जान पर बन आई थी, बड़ी मुश्किल से बांग्ला देश की पुलिस ने वहां के उन्मादी दर्शकों से इन्हें बचाया था !
| वंदे मातरम |
एक बार टीम की जीत का जश्न मनाने के लिए बाड़ फांदने की कोशिश में पुलिस के तेवर झेलने पड़े थे ! ऐसा ही कुछ हुआ, मार्च 2010 में, कानपुर में एक प्रैक्टिस सेशन के दौरान तेंदुलकर से हाथ मिलाने की कोशिश में पुलिस से मार खानी पड़ी ! तेंदुलकर के दखल के बाद उन्हें छोड़ दिया गया, बाद में उन्हें पहचान कर पुलिस ऑफिसर ने उनसे माफी मांगते हुए इस घटना पर अफसोस जताया। अब तक उनकी पहचान बन चुकी थी, लोग जूनून का लोहा मान चुके थे ! इस घटना के बाद, BCCI ने उन्हें इंडियन टीम के हर होम मैच के लिए स्पॉन्सर कर दिया।
| जय हो |
| अविस्मरणीय पल |
चौधरी का सपना तब जा कर पूरा हुआ, जब 2, अप्रैल 2011 में, भारत ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में फाइनल में श्रीलंका को हराया। तेंदुलकर ने खुद उन्हें, भारतीय ड्रेसिंग रूम में आने और टीम के जश्न में शामिल होने के लिए बुलाया । उन्होंने चौधरी से हाथ मिलाया, उन्हें गले लगाया और अंत में अपने साथ विश्व कप उठाने और फोटो खिंचाने का स्वर्णिम मौका भी दिया ! यह सुधीर के जीवन का सबसे खास समय था।आज भी सचिन उनके ट्रैवल और मैच के टिकट के लिए आर्थिक सहयोग करते हैं !
![]() |
| रोहित के साथ |
| जीत का जश्न |
| सचिनमय |
@अंतर्जाल का हार्दिक आभार


1 टिप्पणी:
ये भी एक जुनून है | सुंदर |
एक टिप्पणी भेजें