रविवार, 4 जून 2023

अटारी-वाघा, एक अनूठा अनुभव

देश प्रेम से ओत-प्रोत उस परिवेश में रमे-बसे लोग भूल गए थे गर्मी को, अपनी थकान को, अपनी भूख-प्यास को ! यदि कुछ था तो देश, देश की सेना और देश प्रेम ! यहां आ कर अपने और अपने पडोसी का फर्क साफ दिखाई-सुझाई पड़ने लगा था ! जहां इस ओर नाचते-गाते जयकारा लगाते हजारों-हजार लोग, वातावरण के साथ एकाकार हो रहे थे, वहीं चंद कदमों की दूरी पर, फाटक के दूसरी ओर पाकिस्तानी परिवेश में सन्नाटा पसरा हुआ था ! गिनती के पांच-सात लोग एक कोने में सिमटे बैठे थे ! वे भी शायद इधर की रौनक ही देखने आए लगते थे.........!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

इस बार RSCB के कार्यक्रम के तहत मई के उत्तरार्द्ध में अमृतसर-डलहौज़ी-चिंतपूर्णी यात्रा की बागडोर मुझे संभालनी थी ! चूँकि सारी रूपरेखा हफ़्तों पहले से ही तय हो जाती है, इसलिए निर्धारित समय पर पड़ने वाली गर्मी जरा चिंता का विषय तो थी, पर मौसम के अजीबोगरीब उलटफेर के चलते पूरे मई के महीने ने अपने तेवर कुछ हद तक ढीले ही रखे ! हालांकि जब 22 मई की सुबह शताब्दी से चल कर हमारा तीस जनों का ग्रुप अमृतसर स्टेशन पर उतरा तो पारा 42-43 के बीच पींगे ले रहा था !  


अटारी-वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच एक अहम स्थान है। यह भारत और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है, जो अमृतसर (भारत) और लाहौर (पाकिस्तान) के बीच ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित है। यहां रोजाना एक समारोह का आयोजन होता है जिसे बीटिंग रिट्रीट कहते हैं। जिसके दौरान संध्या समय दोनों देशों के झंडे सम्मान और विधिपूर्वक उतारे जाते हैं ! इस कार्यक्रम के लिए बार्डर को नियमित रूप से रोज पर्यटकों के लिए खोला जाता है। उस दिन यानी 22 मई की शाम वहां हमारी हाजरी लगनी थी ! इस तरह की यात्राओं की रूप-रेखा तैयार करने वाली, हमारी संस्था से वर्षों से जुड़ी, अनुभवी और दक्ष  FOXTRAV की टीम ने वहां सीटों की अग्रिम बुकिंग करवा रखी थी ! ऐसा न होने पर अपार भीड़ के कारण, उस भव्य परेड को सिर्फ वहां लगे बड़े स्क्रीन वाले टीवी पर ही देखना संभव हो पाता ! होटल में सामान वगैरह रख हम सब तकरीबन 4.30 बजे बॉर्डर पर पहुँच अपने निर्धारित स्थानों पर बैठ गए, जो सीमा पर के गेट के बिलकुल पास था ! 

हमारा ग्रुप 

अपार जन समूह वहां पहले से ही विद्यमान था ! गर्मी के बावजूद ठठ्ठ के ठठ्ठ लोग आए जा रहे थे ! लोगों का अटूट रेला, जिसमें बूढ़े, बच्चे, युवक, युवतियां, महिलाएं सभी शामिल थे, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ! ऊँची आवाज में बज रहे, देश प्रेम में पगे गाने लोगों के उत्साह को सातवें आसमान तक पहुंचा रहे थे ! बी.एस.एफ. का एक जवान अपनी तेज-तर्रार शैली में लगातार लोगों में जोश भरे जा रहा था ! उसका कौशल, उसकी ऊर्जा, उसकी शैली देखने लायक थी ! उस माहौल का वहां उपस्थित रह कर ही अनुभव किया जा सकता है ! शब्दों में वर्णन असंभव है ! 


असली भारत 
देश प्रेम से ओत-प्रोत उस परिवेश में रमे-बसे लोग भूल गए थे गर्मी को, अपनी थकान को, अपनी भूख-प्यास को ! यदि कुछ था तो देश, देश की सेना और देश प्रेम ! यहां आ कर अपने और अपने पडोसी का फर्क साफ दिखाई-सुझाई पड़ने लगा था ! जहां इस ओर नाचते-गाते, जयकारा लगाते हजारों-हजार लोग, वातावरण के साथ एकाकार हो गए थे, वहीं चंद कदमों की दूरी पर, फाटक के दूसरी ओर पाकिस्तानी परिवेश में सन्नाटा पसरा हुआ था ! गिनती के पांच-सात लोग एक कोने में सिमटे बैठे थे ! वे भी शायद इधर की रौनक ही देखने आए लगते थे !


उस ओर व्याप्त सन्नाटा 
सीमा पर झंडों को उतारने का समारोह एक दैनिक अभ्यास है ! जो दोनों देशों के सुरक्षा बलों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। झंडों को उतारने से पहले विशेष ड्रिल का आयोजन होता है जिसमें विस्तृत और लयबद्ध परेड में पैरों को जितना संभव हो उतना ऊंचा उठाना होता है ! यह समारोह हर शाम सूर्यास्त से ठीक पहले दोनों पक्षों के सैनिकों द्वारा धमाकेदार परेड के साथ शुरू होता है ! जैसे ही सूरज ढलता है, सीमा पर लगे लोहे के गेट खोल दिए जाते हैं और दोनों देशों के झंडों को पूरी तरह से समन्वित रूप से एक साथ उतार, सम्मान के साथ लपेट कर ले जाया जाता है ! इसके साथ ही समारोह एक रिट्रीट के साथ समाप्त हो जाता है ! जिसके बाद फाटकों को फिर से बंद कर दिया जाता है। इस अनोखे कार्यक्रम को देखने दोनों ओर के लोगों के साथ ही विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं !   

उस दिन परेड की शुरुआत दो महिला कैडेट को करते देख, वहां उपस्थित हर देशवासी उनका अभिनंदन करने से खुद को नहीं रोक पा रहा था ! पड़ोस के देश में जहां महिलाओं का सांस लेना दूभर होता जा रहा है वहीं अपने यहां उनको देश की सुरक्षा में खड़ा देख हर नागरिक का मस्तक गर्व से ऊँचा हो जाता है ! अंत में मैं FOXTRAV और उनकी तरफ से हमारे साथ आए अंकित राजपूत को हार्दिक धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने हम वरिष्ठ नागरिकों की अपने घर के बुजुर्गों की,  बिना किसी शिकायत और थकान के, देख-रेख और सहायता की ! उनके सहयोग की जितनी तारीफ की जाए कम है ! 

जय हिंद, जय हिंद की सेना !

2 टिप्‍पणियां:

घनश्याम स्वरूप सारस्वत ने कहा…

अपनी अनूठी लेखन प्रतिभा से बहुत सुंदर विवरण,
जय हिन्द 🙏।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

घनश्याम जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है आपका🙏🏻

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