सोमवार, 11 जुलाई 2022

सोशल मीडिया की रेशमी अंधियारे पक्ष वाली सुरंग

जाहिर है कि खतरा बहुत बड़ा है ! पर इससे बचाव का एक सीधा-सरल तरीका यह भी है कि हम किसी भी चीज पर अपना मत प्रगट करने में जल्दबाजी से बचें ! सामने आई खबर या जानकारी का धैर्य से मनन करें ! तत्काल प्रतिक्रिया ना दें ! उतावलेपन या हड़बड़ी में कोई प्रतिक्रिया दे, बेवकूफ बनने या किसी के मंतव्य का शिकार होने से बेहतर है, कुछ देर से ही सही, सच जानना..........!    

#हिन्दी_ब्लागिंग 

तमाम हिदायतों, निर्देशों, चेतावनियों, समझाईशों के बावजूद हम सोशल मीडिया की रेशमी अंधियारे पक्ष वाली सुरंग की अंतहीन गहराइयों में बिना अपने विवेक का सहारा लिए धंसते चले जा रहे हैं ! सम्मोहित अवस्था में हमें अच्छे-बुरे, सही-गलत का भान ही नहीं रह गया है ! उस पर मिली किसी भी उल-जलूल, चकित करने वाली खबर या बात को हम बिना जांचे-परखे आगे धकेलने को आतुर हो जाते हैं ! इसके पीछे एक भावना यह भी रहती है कि दोस्त-मित्र-लोगों में अपने जानकार होने की धाक जमे, जबकि ज्यादातर यह हमें अहमक और गैर जिम्मेदार ही साबित करती रही है !  

इन सब की शुरुआत छोटे से पैमाने से हुई थी ! बहुतों को याद होगा कि व्हाट्सएप पर फरवरी में एक मैसेज जंगल की आग की तरह फैला रहता था कि ऐसी फ़रवरी 800 या 1200 या ऐसे ही किसी लम्बे समय के बाद आ रही है, जिसमें सोम से लेकर रवि तक सारे दिन बराबर-बराबर एक ही अंक 4 वाले हैं ! इस अद्भुत योग के बारे में सभी को बताएं इत्यादि... इत्यादि ! अब हम इस बात से चमत्कृत हो बिना सोचे कि भई लीप ईयर को छोड़ हर फरवरी ऐसी ही होती है, दनादन अपने अंगूठों से अपनी विद्व्ता का ढिंढोरा पीटने लग जाते थे ! वैसे ही एक अहमकाना मैसेज में दावा किया जाता था कि स्क्रीन पर दिख रहे अंकों में से आपके द्वारा चयनित अंक, कुछ देर स्क्रीन पर दिख रही आँखों को देखने से गायब हो जाएगा ! अंक गायब होता भी था पर सिर्फ चयन किया हुआ नहीं, स्क्रीन पर पहले दिख रहे सारे के सारे अंकों के साथ ! मैसिजिआए सज्जन अभिभूत हो उसे आगे धकेलने में संलग्न हो जाते थे ! ऐसा ही कुछ कर एक ढोंगी लाल-हरी चटनी खिला कर महीनों लोगों को सामूहिक रूप से बेवकूफ बनाता रहा था ! यह तो एक बानगी भर है ! 

अब यह खेल बड़े पैमाने पर होने लगा है ! किसी का नाम क्या लेना पर कोई भी अपना हित साधने के लिए यहां कुछ भी चेप रहा है ! असामाजिक तत्वों का तो यह एक हथियार ही बन चुका है ! आम अवाम की लापरवाही, धैर्यहीनता, अज्ञानता, अधकचरी जानकारी का लाभ उठा अपना उल्लू सीधा करना आज का चलन बन गया है ! सुनने में आ रहा है कि जापान के पूर्व प्रधान मंत्री की हत्या करने वाला उनके बारे में फैली एक बेबुनियाद अफवाह के कारण उनसे नाराज हो गया था ! हमारे यहां होने वाले दंगे-फसादों-उपद्रवों-उत्पातों में भी ऐसे ही फैलाई गई आधी-अधूरी, सच्ची-झूठी, असली-नकली जानकारियों का बहुत बड़ा हाथ होता है !

अभी कुछ दिन पहले ही हर जगह बिहार के सहायक प्राध्यापक ललन कुमार के नाम के चर्चे हो रहे थे कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर अपनी तनख्वाह के 23 लाख 82 हजार 228 रूपए बिहार यूनिवर्सिटी को वापस कर दिए ! हर तरफ उनकी नैतिकता, दरियादिली, विवेकशीलता की तारीफ हो रही थी ! तभी असली सच्चाई सामने आई कि वह शख्स अपनी मनपसंद जगह पर तबादले के लिए नौटंकी कर रहा था ! 


 बहुत पहले जबकि कम्प्यूटर का नाम भी लोगों के लिए अनजान सा था, लेखक व चित्रकार ली फ़ाक ने अपने कॉमिक्स के किरदार जादूगर मैंड्रेक की मार्फ़त एक आशंका जताई थी, जिसमें कम्प्यूटर मनुष्यों को गुलाम बनाना आरंभ कर देता है ! वह कल्पना आज साकार होती नजर आती है ! बच्चे और युवा तो इसके चंगुल में तक़रीबन फंस ही चुके हैं ! यदि जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो यह दुनिया की  प्रमुख मौलिक समस्याओं में अग्रणी होगा ! अब तो डाटा चुराने का नया अपराध भी विकराल रूप लेता जा रहा है ! जिससे लोगों के जान-माल-निजिता हर चीज खतरे में पड़ गई है !

जाहिर है कि खतरा बहुत बड़ा है ! पर सावधानी, सतर्कता, धैर्य बचाव भी है ! इससे बचाव का एक सीधा-सरल तरीका यह भी है कि हम किसी भी चीज पर अपना मत प्रगट करने में जल्दबाजी से बचें ! सामने आई खबर या जानकारी का धैर्य से मनन करें ! तत्काल प्रतिक्रिया ना दें ! उतावलेपन या हड़बड़ी में कोई प्रतिक्रिया दे बेवकूफ बनने या किसी के मंतव्य का शिकार होने से बेहतर है कुछ देर से ही सही, सच जानना !  

14 टिप्‍पणियां:

Meena Bhardwaj ने कहा…

अति सर्वत्र वर्जयेत् इस उक्ति को सही सिद्ध करता जागरूकता उत्पन्न करता लेख ।

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-7-22) को सोशल मीडिया की रेशमी अंधियारे पक्ष वाली सुरंग" (चर्चा अंक 4488) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मीना जी
हार्दिक आभार🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद🙏

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १२ जुलाई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

श्वेता जी
बहुत बहुत आभार आपका 🙏🏻

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत बढ़िया कहा सर, छोटी सी घटना घटती नहीं की लिपा पोती कर घूमने लगती है पोस्ट के रूप में, भतेरे मिल जाते है उसे सपोट करने वाले, सच और झूठ का फासला ही ख़त्म कर दिया। मानसिकता पर हावी होते विचार विवेक शून्य हो गया।
विचारणीय विषय।
सादर

Vaanbhatt ने कहा…

सूचना एक्सप्लोजन हो रखा है...अपना विवेक ही काम आता है...सार सार को गहि रहे...😊

मन की वीणा ने कहा…

आज की सबसे बड़ी समस्या पर सटीक लेख।
इन इंद्रजाल में आज बहुतायत से लोग फँस रहे हैं।
उपयोगी टौपिक।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी
बहुत-बहुत आभार आपका

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

वाणभट्ट जी
"कुछ अलग सा" पर आपका सदा स्वागत है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
अब तो सावधानी ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है,

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

सार्थक लेख । बहुत जरूर विषय पर आपने अपनी नजर रखी है आपने महोदय । वास्तव में आज दुनियां एक बहुत उजले अंधियारे से गुजर रही है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

बलबीर जी
आपका सदा स्वागत है💐

विशिष्ट पोस्ट

"मोबिकेट" यानी मोबाइल शिष्टाचार

आज मोबाइल शिष्टाचार पर बात करना  करना ठीक ऐसा ही है जैसे किसी कॉलेज के छात्र को पांचवीं क्लास का कोर्स समझाया जा रहा हो ! अधिकाँश लोग इन सब ...