मंगलवार, 19 जुलाई 2022

इंसानियत कभी खत्म नहीं होती

देश में अनगिनत लोग ऐसे हैं जो अपने दायरे में रह कर दूसरों की मदद करना चाहते हैं पर उन्हें समझ नहीं आता कि शुरुआत कैसे करें ! इसलिए शेकर जैसे परोपकारी नजरिया रखने वाले लोगों के उपक्रम का देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचना अति आवश्यक है ! जिससे और लोग भी अपने तरीके से समाज की सेवा कर सकें ! साथ ही उन पराजीवियों व मुफ्तखोरों को भी सबक मिल सके जो अपने जीवनयापन के लिए भी सदा दूसरों के मोहताज रहते हैं ! अपनी जिंदगी का बोझ समाज के कंधों पर लाद देते हैं ! खुद की अक्षमता का दोषारोपण भी सरकार  पर करते रहते हैं...........! 

#हिन्दी_ब्लागिंग 

किसी की भलमनसाहत देख अक्सर सुनने में आता है कि इंसानियत अभी जिन्दा है ! पर सच्चाई तो यह है कि भलमनसी कभी खत्म नहीं होती ! इंसान पर चाहे कैसी भी मुसीबत आ जाए ! परिस्थितियां कितनी भी बिगड़ जाएं ! हताशा-निराशा चाहे कितना भी अँधेरा फैला लें, पर सुजनता या भलमनसत सदा उजास फैलाती रही है ! वह सदा इस दुनिया में बनी रही है और आगे भी बनी रहेगी ! इसके दसियों उदाहरण यदा-कदा सामने आते ही रहते हैं ! जो यह भी बताते हैं कि यदि इंसान में नेकी है, तो पता नहीं कौन सी घटना कब और कैसे उसकी जिंदगी की दशा और दिशा ही बदल दे ! 

अभी पिछले दिनों दुनिया पर एक भीषण कहर टूटा था कोविड के रूप में ! ना कोई इलाज था, न कोई दवा ! सारी दुनिया में हाहाकार मच गया था ! छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब, सक्षम-सर्वहारा सभी इस की चपेट में आ गए थे ! इंसान को संभलने में ही महीनों लग गए थे ! सब कुछ अस्त-व्यस्त हो कर रह गया था ! ऐसे में भी मानवता पीछे नहीं रही ! इस भारी विपदा में भी, बिना अपने हित की चिंता किए, सैंकड़ों लोग सामने आए बिना किसी अपेक्षा-लालच या चाहत के और जुट गए दूसरों को बचाने, उनकी सहायता करने, बावजूद इसके कि उन्हें खुद मदद या सहायता की सख्त जरुरत थी ! उदाहरण तो अनेक हैं पर आज उसकी बात जिसने खुद मुसीबत में रहते हुए, कुछ कर गुजरते हुए, एक लक्ष्य निर्धारित किया, लोगों को राह दिखाई !

शेकर पुवरासन, इलेक्ट्रानिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का डिप्लोमा धारक ! अच्छी-खासी नौकरी ! पर कोविड के ज्वालामुखी में, हजारों लोगों की तरह इनकी आमदनी का जरिया भी भस्मीभूत हो कर रह गया ! बेरोजगारी का तनाव, घर पर बीमार पिता की चिंता, मुफलिसी का आलम, इन्हीं सब बातों से परेशान एक दिन सागर तट पर चहलकदमी करते हुए उन्हें चाय की दूकान पर बेहद दयनीय अवस्था में एक बुजुर्ग दिखाई पड़ा ! जिसे देख कर ही लगता था कि उसने कई दिनों से कुछ नहीं खाया है ! शेकर की जेब में भी सिर्फ दस रूपए ही थे ! फिर भी उसने बुजुर्ग को चाय पिलवा दी ! चाय पीने के बाद बुजुर्ग की आँखों के संतोष और धन्यवाद के भाव शेकर के दिल में बस गए ! उसे लगा कि अगर किसी भी इंसान को खाने के लिए गिड़गिड़ाना या भीख मांगना पड़े तो ये बेहद शर्मनाक बात है ! उसने तय किया कि जहां तक संभव होगा वह भूखे लोगों की मदद करेगा ! हालांकि उसके खुद की आर्थिक स्थिति बेहद डांवाडोल थी ! पर जहां चाह होती है वहां कोई न कोई राह निकल ही आती है ! 

बड़ी मुश्किल और खींचतान कर कुछ पैसों का जुगाड़ कर तिंडीवनम पुड्डूचेरी हाईवे इलाके में सड़क के किनारे एक छोटे से ठेले, manithaneyam यानी इंसानियत, पर भोजन सामग्री का वितरण शुरू कर दिया ! आहार की कोई कीमत नहीं दर्शाई गई, उनके अनुसार जीवन प्रदान करने वाले अन्न की कोई कीमत नहीं हो सकती ! पर रोज तकरीबन 60-70 लोगों के भोजन की व्यवस्था में पैसा तो लगता ही है इसके लिए शेकर ने  पास ही एक बक्सा रखा है, जिस पर लिखा है, पे व्हॉट यू कैन (इच्छानुसार पैसे दीजिए) ! उनके अनुसार रोज का खर्च 1500 रूपए के लगभग होता है पर वापस तीन-चार सौ ही आते हैं ! इसकी भरपाई दोस्तों की और सोशल मीडिया से मिलने वाली मदद से हो जाती है ! उनका सपना अपने इस मॉडल को लोकप्रिय बना जरूरतमंदों की यथासंभव सहायता करने का है, जिससे किसी को भी किसी के सामने भोजन के लिए गिड़गिड़ाना ना पड़े !

हमारे देश में अनगिनत लोग ऐसे हैं जो अपने दायरे में रह कर दूसरों की मदद करना चाहते हैं पर उन्हें समझ नहीं आता कि शुरुआत कैसे करें ! इसलिए शेकर जैसे परोपकारी नजरिया रखने वाले लोगों के उपक्रम का देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचना अति आवश्यक है ! जिससे और लोग भी अपने तरीके से समाज की सेवा कर सकें ! साथ ही उन पराजीवियों व मुफ्तखोरों को भी सबक मिल सके जो अपने जीवनयापन के लिए भी सदा दूसरों के मोहताज रहते हैं ! अपनी जिंदगी का बोझ समाज के कंधों पर लाद देते हैं ! खुद की अक्षमता का दोषारोपण भी सरकार को देते रहते हैं !

5 टिप्‍पणियां:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
मान देने हेतु हार्दिक आभार🙏

Meena Bhardwaj ने कहा…

शेकर जैसे परोपकारी लोग होते हैं समाज में लेकिन प्रोत्साहन और सहायता के अभाव में निरुत्साहित हो जाते हैं । इस तरह के लेख उन लोगों का उत्साहवर्धन करते हैं । समाजोपयोगी प्रेरक सृजन ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हार्दिक आभार आपका, मीना जी 🙏🏻

Satish Saxena ने कहा…

बहुत ख़ूब

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सतीश जी
आपका सदा स्वागत है💐

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