मान लीजिए एक बल्लेबाज बॉल को कवर, प्वाइंट, मिडविकेट या स्क्वायर लेग जैसी किसी एक जगह धकेल कर एक रन चुराने के लिए दूसरी तरफ दौड़ता है ! उधर फील्डर ने तेजी से बॉल विकेटों पर फेंकी ! बॉल से बचने के लिए बल्लेबाज पॉपिंग क्रीज से पहले जोर से कूदा और बिना जमीन छुए ऊपर ही ऊपर विकेटों को पार कर गया ! तब बॉल विकेटों में लगी तो क्या बल्लेबाज आउट होगा या नॉट आउट ?
#हिन्दी_ब्लागिंग
क्रिकेट ! दुनिया भर में ना सही पर अनेक देशों का लोकप्रिय खेल ! खासकर हमारे देश का ! पर दुनिया की हर चीज की तरह इसमें तरह-तरह के बदलाव आते रहे हैं ! 1877 में टेस्ट के रूप में पदार्पण के पश्चात आज के तीनों प्रारूपों में ढलने तक इसके नियम-कायदों में अनगिनत बदलावों-सुधारों के बावजूद अभी भी कुछ नियम ऐसे हैं जो अजीबोगरीब और विवादास्पद हैं। 2019 का पिछला इग्लैंड और न्यूजीलैंड का वर्ल्डकप इसका जीता-जागता उदाहरण है ! जब ज्यादा बाउंड्री लगाने वाली टीम को विजेता घोषित कर दिया गया था !
ज्यादातर बल्लेबाजी को ध्यान में रख उसके लाभ और सहूलियत के लिए बने ऐसे ही कई नियम-कायदे अभी भी चलन में हैं, जो विवाद का विषय तो बन ही चुके हैं, उन पर कई वरिष्ठ खिलाड़ी और कोच भी अपनी असहमति जता चुके हैं ! आज ऐसे ही कुछ नियमों की खोजखबर !* एक अजीब सा नियम है कि बॉल यदि विकेटों में लग भी जाए पर बेल्स ना गिरें तो बैट्समैन को आउट नहीं माना जाता ! क्यूं भाई ! बॉलर का उद्देश्य है बॉल को विकेट से टकरवाना ! पहले इतने यंत्र या गैजेट्स नहीं होते थे और मानवीय चूक से बचने के लिए विकेटों पर बेल्स लगाई जाती थीं जिनके गिरने पर पुख्ता तौर पर पता चल सके कि बॉल ने बैट्समैन को परास्त कर विकेट को छू लिया है। इसमें मुख्य बात थी बाल का विकेट को छूना ना कि बेल का गिरना ! पर यह रूल आज भी वैसे ही कायम है, जबकि आज के जमाने में अत्याधुनिक एलईडी लाइट वाले स्टम्प्स प्रयोग में आते हैं, जिनमें बॉल छूते ही लाल रंग की लाइट जल जाती है ! ऐसे में बेल्स वाला नियम हास्यास्पद ही लगता है।
* ऐसा ही एक अजीब नियम है लेगबाई का ! बॉलर अपनी पूरी कुशलता से बेहतरीन बॉल फेंकता है ! बैट्समैन कोशिश कर भी उसे छू तक नहीं पाता ! पर बॉल जरा सा उसके पैड, जूते या शरीर को छू कर सीमा रेखा के पार चली जाती है तो चार रनों का इनाम मिलता है बल्लेबाज को ! बेचारा बॉलर..... !* इसी तरह की कोई बॉल बाउंसर के रूप में बैट्समैन को डराती हुई उसे और विकेटकीपर को छकाती हुई सीमा रेखा पर कर जाती है तो बैटिंग करने वाली टीम को चार रन मिल हैं ! जबकि बैट्समैन उस बॉल पर पूरी तरह परास्त हो चुका होता है ! इस नियम ने कई मैचों का परिणाम बदल कर रख दिया है ! इस पर भी गौर करने की जरुरत है।
* एक ऐसा ही अजीब सा नियम नो बॉल का है ! खासकर इस खेल के 20 बॉलीय संस्करण में ! यदि किसी बॉलर से नो बॉल हो गई तो बैट्समैन को फ्री हिट मिलती है। जिसमें वह सिर्फ रन आउट ही हो सकता है, सोचने की बात है कि बॉलर, नो बॉल का खामियाजा तो उस बॉल पर दे ही चुका है ! फिर अतिरिक्त बॉल पर और पेनल्टी क्यों ! वह भी बल्लेबाज के आउट ना होने की कीमत पर !
* इसी तरह का एक नियम 20-20 के मैचों में पूरी तौर से बल्लेबाज के हित को ध्यान में रख कर बनाया गया है, जो खेल के पहले छह ओवर के पॉवर प्ले में फील्डिंग की सजावट पर प्रतिबंध लगाता है। खेल है ! सबको बराबर का मौका मिलना चाहिए ! बैट्समैन को अतिरिक्त सुविधा क्यों ! और बॉलर से क्या दुश्मनी है !
* मान लीजिए एक बल्लेबाज बॉल को कवर, प्वाइंट, मिडविकेट या स्क्वायर लेग जैसी किसी एक जगह धकेल कर एक रन चुराने के लिए दूसरी तरफ दौड़ा ! उधर फील्डर ने तेजी से बॉल विकेटों पर फेंकी ! बॉल से बचने के लिए बल्लेबाज पॉपिंग क्रीज से पहले जोर से कूदा और बिना जमीन छुए ऊपर ही ऊपर विकेटों को पार कर गया ! तब बॉल विकेटों में लगी तो क्या बल्लेबाज आउट होगा या नॉट आउट ?जब आपने 22 गज की पिच को एक रन का मानक मान लिया है और बैट्समैन पॉपिंग क्रीज को पूरा पार कर लेता है तो बैट का जमीन को छूना अनिवार्य क्यों ! मुद्दा तो 22 गज को पार करना है, वह हो गया तो फिर भले ही बैट हवा में हो, दूरी तो पूरी कर ही ली गई ना ! शुरूआती दिनों में उपकरणों की अनुपस्थिति में बैट और जमीन के सम्पर्क का मामला समझ में आता है पर आज जब एक-एक मिलीमीटर का हिसाब दिखने-मिलने लगा है तो इस बेतुके नियम को भी आउट कर देना चाहिए !
* जबसे क्रिकेट में हेल्मेट का उपयोग होने लगा है तब से खेल में बैट्समैन की बादशाहत सी हो गई है। पर उसी हेल्मेट को खिलाड़ी का एक अंग ही माना जाता है यदि अंपायर को लगता है कि बॉल के विकेटों पर जाने में हेल्मेट बाधक था तो वह बैट्समैन को आउट दे सकता है ! कहते जरूर हैं LBW पर खेल में पूरे शरीर को ही बाधक BBW (body before wicket) मान कर ही निर्णय दिया जाता है।
* शायद बहुत से क्रिकेट प्रेमियों को पता ना हो कि अंपायर बैट्समैन को तब तक आउट घोषित नहीं कर सकता जब तक विपक्षी टीम अपील ना करे ! आज के हो-हल्ले वाले आक्रामक खेल के जमाने में यह नियम बचकाना सा लगता है।
* आज बैट्समैन की सुरक्षा के लिए तरह-तरह के उपकरण खेल में इस्तेमाल होते हैं ! नजदीकी फिल्डर को भी हेल्मेट पहनने की इजाजत है पर यह जान कर आश्चर्य होता है कि कोई भी फील्डर तेज गति से आती बॉल से अपने हाथों को बचाने के लिए ग्लव्स नहीं पहन सकता ! यदि वह ऐसा करता पाया जाता है तो विपक्षी टीम को पांच रनों से नवाजा जा सकता है ! ऐसा क्यूँ भई ! बैट्समैन की चोट, चोट है बाकियों की.......!
* आजकल वैसे तो रनर का चलन बहुत कम हो गया है, पर उसके लिए भी एक नियम है कि रनर को उतना ही जिरह-बख्तर, यानी बैट्समैन के बराबर के उपकरण धारण करने होंगे, जिनसे समानता बनी रहे ! पर यदि बैट्समैन का वजन 100 किलो हो और उतने भार का कोई अन्य खिलाड़ी ना हो तो !
* प्रसंगवश एक अनोखी और सबसे धीमी हैट्रिक की बात। घटना है 1988-89 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज के बीच हुए दूसरे टेस्ट मैच की। जिसमें मर्व ह्यूज को बड़े अजीबोगरीब तरीके से अपनी हैट्रिक पूरी करने का मौका मिला था। ह्यूज ने अपने छत्तीसवें ओवर की अंतिम बॉल पर एक विकेट लिया। फिर जब उसे दोबारा बॉलिंग का अवसर मिला तब तक वेस्ट इंडीज का आखिरी विकेट ही बचा था, जिसे ह्यूज ने अपने सैंतीसवें ओवर की पहली बॉल पर आउट कर दिया। फिर दूसरी पारी के अपने पहले ओवर की पहली बॉल पर उसे फिर विकेट मिला ! इस तरह दो पारियों और तीन ओवरों में दुनिया की यह अनोखी हैट्रिक पूरी हुई। क्या अजीब नहीं लगता कि ऐसे मामलों पर कोई ठोस नियम लागू नहीं होते !
इन सब के अलावा भी कई विवादित नियम हैं, जैसे फेक फिल्डिंग नियम ! बॉल को विकेट पर जाने से रोकने के लिए बैट का उपयोग क्योंकि एक बैट्समैन का मुख्य उद्देश्य अपना विकेट बचाना ही होता है ! टोपी, रुमाल भी विकेट पर गिर जाए तो आउट, इत्यादि, इत्यादि ! जिन्हें आज के समयानुसार बदले या सुधारने की जरुरत है !
14 टिप्पणियां:
इतने बड़े पैमाने पर होने वाले क्रिकेट में ऐसे अजीबो गरीब नियम होते है जानकर अचरज हुआ।
ज्योति जी
वो भी बेतुके और अप्रासंगिक
कुछ अलग। सुन्दर।
बेहतरीन प्रस्तुति। बाकी क्रिकेट अनिश्चिताओं का खेल है। बहुत से नियम ये क्रिकेटर भी नही जानते होंगे नियम ही नियम😅
हार्दिक आभार, सुशील जी
शिवम जी
बिल्कुल सही बात
Anjani aur anokhi jankari. Aabhar
बहुत ही उम्दा और नई जानकारी ।
धन्यवाद, कदम जी
जिज्ञासा जी
अनेकानेक धन्यवाद
Aise niymo par to tatkal gour kiya jana chahie
Unknown जी
यदि आप सपहचान उपस्थित होते तो और भी बेहतर रहता ! खैर पधारने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
रोचक प्रसंगों को लिखा है आपने ...
क्रिकेट का खेल रोमांचक और रोचक दोनों ही है ... खिलाड़ियों का उत्साह ज़रूर अच्छा होना जरूरी है ...
नासवा जी
हार्दिक आभार ! पर लगता है कि ज्यादातर नियम बल्लेबाज के हित को ध्यान में रखकर ही बनाए जाते हैं
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