मेरी जिंदगी भर एक ही कामना रही कि आपसे कह सकूँ कि बाबूजी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ ! पर कभी भी कह नहीं पाया ! जबकि आप अपने रुतबे को कभी घर नहीं लाए। सदा गंभीर रहते हुए भी सरल, निश्छल, प्रेमल बने रहे ! पर पता नहीं दोष किसका रहा ! मेरी झिझक का, मेरे संकोच का या आज से बिल्कुल विपरीत उस समय का जब पिता के सामने पड़ने के लिए भी काफी हिम्मत की जरुरत होती थी। सारे काम, जरूरतें, संवाद माँ के जरिए ही संपन्न होते थे.................!!
#हिन्दी_ब्लागिंग
बाबूजी सादर प्रणाम ! 14 मई, आपका जन्मदिन ! पर वर्षों तक ना कभी आपने बताया और ना हीं मनाया ! वह तो भला हो कनिष्ठा पूनम का, जिसने देर से ही सही इस दिशा में पहल की ! अलबत्ता अपना ना सही पर आपने दूसरों का मनाया और मनवाया भी ! पर उन लोगों ने भी कभी जरुरत नहीं समझी, सिर्फ शुभकामना देने तक की ! सिर्फ अपना मतलब सिद्ध करते रहे ! आप जान कर भी अनजान रहे ! कैसा समय हुआ करता था ! कितनी दूरी होती थी इस पीढ़ी के बीच ! प्यार-स्नेह-ममता-लगाव सब कुछ तो था ! पर जताया नहीं जाता था कभी, पता नहीं क्यूँ ?
मेरी जिंदगी भर एक ही कामना रही कि आपसे कह सकूँ कि बाबूजी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ ! आप मेरे आदर्श है ! पर कभी भी कह नहीं पाया ! जबकि आप अपने रुतबे को कभी घर नहीं लाए। सदा गंभीर रहते हुए भी सरल, निश्छल, प्रेमल बने रहे ! पर पता नहीं दोष किसका रहा ! मेरी झिझक का, मेरे संकोच का या आज से बिल्कुल विपरीत उस समय का जब पिता के सामने पड़ने के लिए भी काफी हिम्मत की जरुरत होती थी। सारे काम, जरूरतें, संवाद माँ के जरिए ही संपन्न होते थे ! क्या आज की पीढ़ी सोच भी सकती है वैसे हालात के बारे में !
जब एकांत में आपकी बेपनाह याद आती है ! जब आपसे एकतरफा बात करता हूँ ! तब लाख कोशिशों के बाद भी आँखें किसी भी तरह काबू में नहीं रहतीं
हर बच्चे के लिए उसका पिता ही सर्वश्रेष्ठ व उसका आदर्श होता है ! पर आप तो सबसे अलग थे ! मैंने जबसे होश संभाला तब से आपको अपनी नहीं सिर्फ दूसरों की फ़िक्र और उनकी बेहतरी में ही लीन देखा ! यहां तक कि छोटी सी उम्र से ही अपने पालकों को भी पालते रहे ता-उम्र आप ! अपने भाई बहन का तो बहुत से लोग जीवन संवारते हैं, पर आपने तो उनके साथ ही माँ के परिवार को भी सहारा दिया ! वह भी बिना किसी अपेक्षा के या कोई अहसान जताए या चेहरे पर शिकन लाए ! यह जानते हुए भी कि बहुत से लोग आपका अनुचित फ़ायदा उठा रहे हैं, आप अपने कर्तव्य पूर्ती में लगे रहे ! आखिर वह दिन भी आ ही गया जब आपको भी आराम की जरुरत महसूस होने लगी ! तब मतलब पूर्ती का स्रोत सूखता देख कइयों ने अपना पल्ला झाड़ रुख बदल लिया ! पर आप नहीं बदले ! जितना भी बन पड़ता था, दूसरों की सहायता करते रहे ! कहने-सुनाने को तो मेरे पास अनगिनत बातें हैं, इतनी कि पन्नों के ढेर लग जाएं पर स्मृतियाँ शेष ना हों !
जब भी पुरानी यादें मुखर होती हैं, तो बहुत से ऐसे वाकये भी याद आते हैं जब आप मुझसे नाराज हुए ! पर सही मायनों में बताऊँ तो आज तक समझ नहीं पाया कि जिस बात को मैं सोच भी नहीं सकता वैसा कैसे और क्यूँ हुआ ! सब गैर-इरादतन होता चला गया ! किसी दुष्ट ग्रह की वक्र दृष्टि और कुछ विघ्नसंतोषी लोगों का षड्यंत्र, कुछ का कुछ करवाता चला गया ! याद आता है तो बहुत दुःख और अजीब सा लगता है, अपने को सही साबित ना कर पाना और दूसरों के कुचक्र को ना तोड़ सकना ! पर जब कुछ-कुछ कोहरा छंटने लगा था तभी आप भी मुझे छोड़ गए !
आज जब एकांत में आपकी बेपनाह याद आती है ! जब आपसे एकतरफा बात करता हूँ ! तब आँखें फिर किसी भी तरह काबू में नहीं रहतीं ! बाबूजी मैं (हम सब) आपसे बहुत प्यार करता था, हूँ और रहूंगा........!
25 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर।
नमन।🌻♥️
पर जब कुछ-कुछ कोहरा छंटने लगा था तभी आप भी मुझे छोड़ गए !
आज जब एकांत में आपकी बेपनाह याद आती है ! जब आपसे एकतरफा बात करता हूँ ! तब आँखें फिर किसी भी तरह काबू में नहीं रहतीं ! बाबूजी मैं (हम सब) आपसे बहुत प्यार करता था, हूँ और रहूंगा........!
मन भर आया, पिता होते ही ऐसे हैं, वे कुछ कहां कहते हैं, लेकिन हम ही उस समय को खोज नहीं पाते जब हम उनके साथ उनके करीब होकर बैठ सकते।
अनेकानेक धन्यवाद, शिवम जी
संदीप जी
माता पिता की कमी कब पूरी हो पाई है! उनकी यादें ही हैं जो जीवन भर सहारा और संबल देती रहती हैं!
हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति.
नमन🙏🌹
पिता की याद में बेहतरीन भावों से सजी पोस्ट ।
अक्सर हमें माता - पिता के जाने के बाद ही उनकी अहमियत समझ आती है । बहुत भावमयी पोस्ट ।
रवीन्द्र जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद। स्नेह बना रहे
मीना जी
सदा स्वागत है आपका
संगीता जी
माता-पिता को कहां भूलाया जा सकता है कभी।
सच है कि उनके जाने के बाद यादें और भी सालती हैं
गगन भाई, अक्सर ऐसा ही होता है। इंसान के जाने के बाद उसकी अहमियत समझ मे आती है। बहुत सुंदर रचना।
ज्योति जी
हार्दिक धन्यवाद ! "कुछ अलग सा" पर आपका सदा स्वागत है
आदरणीय गगन जी बहुत ही सुंदर बाबू जी की याद में लिखा आपने. हर व्यक्ति के जाने के बाद उसकी कमी हमें महसूस होती है और उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता है यह बात भी सकते हैं सादर श्रद्धांजलि शत शत नमन बाबूजी को
राजपुरोहित जी
आपका सदा स्वागत है
बढ़िया , डायरी की तरह लिखा है ।
शारदा जी
ब्लाॅग पर सदा स्वागत है
वाकई कुछ अलग-सा।
सादर।
हार्दिक आभार, सधु जी
बेहद सुंदर मां बाबूजी की याद हमेशा तरोताजा ही रहती है
भारती जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है आपका
पिता के प्रति सुंदर भावपूर्ण प्रविष्टि..पिता होते ही ऐसे हैं,दुनिया के सबसे निराले अनोखे और आत्मीय पुरुष ,जिनका कोई स्थान नहीं ले सकता,पिताजी को मेरा नमन ।
जिज्ञासा जी
हार्दिक आभार
Marmik sansmaran
कदम जी
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
वा!!! मी महाराष्ट्रातून आहे. आपला मराठी ब्लॉग पहिल्यांदाच पाहिला. कविता खूप आवडली.
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सिमरन जी
शुभकामनाएं
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