इतने बड़े-बड़े नामों के सफल ना होने, फिल्मों की इतनी भद्द पिटने के बावजूद भी, ना खिलाड़ी फ़िल्मी हीरो बनने का मोह छोड़ पा रहे हैं और ना हीं फिल्मकार उनको लेकर फिल्म बनाने का ! ताजा उदहारण श्री संत हैं ! जो खेल में प्रतिबंधित हो कर ''अक्सर 2'' में हाथ आजमा रहे हैं। पर फिल्मों के आकर्षण से मुक्त न रह पाने वाले वे अकेले नहीं हैं ! जिस तरह से वर्तमान कप्तान का झुकाव फिल्मों की तरफ हो रहा है और जैसा माहौल बनाया जा रहा है, हो सकता है, आने वाले दिनों में कोहली भी तेज रफ़्तार कार चलाते, गाना गाते और विलेन की ठुकाई करते जल्द ही ''सिल्वर स्क्रीन'' पर नजर आ जाएं ......!
#हिन्दी_ब्लागिंग
क्रिकेट और फिल्म संसार दोनों में पैसा, ग्लैमर, शोहरत बेइंतेहा है। खिलाड़ी और फिल्मी सितारे दोनों ही सुर्खियां बटोरते ही रहते हैं। दोनों संस्थाओं की आपसी घनिष्ठता जितनी पुरानी है क्रिकेट के खिलाड़ियों के प्रति फ़िल्मी दुनिया की अभिनेत्रियों का आकर्षण भी उतना ही पुराना है। शायद पहला ऐसा किस्सा यहां खेलने आयी वेस्ट-इंडीज के कप्तान गैरी सोबर्स और फिल्म अभिनेत्री अंजु महेन्द्रू का सुनने में आया था। यह बात तो फिर भी समझ में आती है कि ज्यादातर महिलाओं ने ख्याति और अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ऐसा किया ! पर शोहरत, दौलत, प्रशंसक सब कुछ होने के बावजूद समय-समय पर हमारे क्रिकेट खिलाड़ी रुपहले परदे पर दिखने का लोभ संवरण क्यों नहीं कर पाते, यह एक अनबूझ पहेली है, वो भी यह जानते हुए कि मैदान का कितना भी बड़ा सितारा हो वह कभी भी पर्दे पर कामयाबी हासिल नहीं कर पाया है।
एक पुरानी कहावत है "जिसका काम उसी को साजे.." ! खेल के मैदान में सफलता हासिल करना एक बात है और फ़िल्मी पर्दे पर सफल होना बिल्कुल अलग ! पर क्रिकेटरों को अपनी खेल प्रतिभा के बल-बूते मिली शोहरत के कारण जब कुछ विज्ञापन फ़िल्में मिल जाती हैं, उन्हीं में काम कर उनको यह गुमान सा हो जाता है कि वे अभिनय कला में भी प्रवीण हैं ! उधर कुछ मौका-परस्त फिल्मकार भी इनकी शोहरत को भुनाने के वास्ते अपनी फिल्म में इन्हें मौका दे देते हैं और फिर सबको अपनी औक़ात का पता चल जाता है। ऐसा एक बार नहीं दसियों बार हो चुका है और लोगों को मुंहकी खानी पडी है, पर फिर भी कोई सबक नहीं सीखता। भारतीय टीम के ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जिन्होंने क्रिकेट की अपनी लोकप्रियता को फिल्मी दुनिया में बड़ी उम्मीद के साथ भुनाने की कोशिश की, लेकिन सबके हाथ नाकामी ही आई। बेशक इन खिलाड़ियों ने अपनी खेल प्रतिभा से अपने अनगिनत प्रशंसक बनाए पर फ़िल्मी दर्शकों पर इनका कोई जादू नहीं चल पाया। हालांकि ऐसा कदम उठाने वाले क्रिकेट जगत के दिग्गज सितारा खिलाड़ी रहे थे !
शायद सबसे पहले इस विधा में अपने को आजमाने वाले खिलाड़ी सलीम दुर्रानी रहे हैं। मैदान में दर्शकों की मांग पर उसी ओर छक्का लगाने का हुनर रखने वाले क्रिकेटर ने जब 1973 में रिलीज हुई फिल्म “चरित्र” में परवीन बॉबी के साथ लीड रोल में काम किया तो फिल्म एक रन भी ना बना सकी ! इसके बाद खूबसूरत खिलाड़ी संदीप पाटिल ने ने फिल्म ‘कभी अजनबी थे’ में पूनम और देबश्री रॉय जैसी हीरोइनों के साथ काम किया ! फिल्म में उनके साथ विलेन की भूमिका में वर्ल्डकप 1983 की विजेता भारतीय टीम के सदस्य सैयद किरमानी भी थे। पर फिल्म ने पानी भी नहीं मांगा ! फिर आए देश-दुनिया के सबसे मशहूर व दिग्गज खिलाड़ी, सुनील गावस्कर, जिन्होंने मराठी फिल्म ''सावली प्रेमाची'' में बतौर मुख्य एक्टर भूमिका निभाई पर वह उनकी छाया ही बन कर रह गयी। पर इन दिग्गजों के फ़िल्मी पराभव से कोई सबक नहीं लेने वाले प्लेयर्स की लंबी लिस्ट है जिसमें सलिल अंकोला, सदगोपन रमेश, अजय जडेजा, विनोद कांबली, दिनेश मोंगिया, युवराज सिंह, हरभजन सिंह जैसे नामी-गिरामी योद्धा शामिल हैं। अपनी बायो-ग्राफ़ी में सचिन भी दिखाई दिए। धोनी ने छुपे रुस्तम की तरह एक फिल्म ''हुक या क्रुक'' में कुछ किया पर वह फिल्म भले ही पर्दे पर अवतरित नहीं हो सकी ! उन पर तो एक फिल्म बन ही गयी, वैसे भी वे ढेर सारी विज्ञापन फिल्मों में नजर आते ही रहते हैं। मेहमान कलाकार के रूप में कपिल देव भी रजत पट पर नजर आ चुके हैं। दर्शकों को इरफान पठान, मोहम्मद कैफ, जवागल श्रीनाथ और आशीष नेहरा भी छोटी-मोटी झलक दिखा चुके हैं। ऐसा नहीं है कि मतलबपरस्त फिल्मकारों ने सिर्फ भारत के खिलाड़ियों पर दांव लगाया हो, अपनी फिल्म की सफलता के लिए उन्होंने दूसरे देशों के नामी-गिरामी खिलाड़ियों को, जैसे मोहसिन खान और ब्रेट ली को भी आजमाया।
इतनी भद्द पिटने के बावजूद भी, ना खिलाड़ी फ़िल्मी हीरो बनने का मोह छोड़ पा रहे हैं और ना हीं फिल्मकार उनको लेकर फिल्म बनाने का ! ताजा उदहारण श्री संत हैं ! जो खेल में प्रतिबंधित हो कर ''अक्सर 2'' में हाथ आजमा रहे हैं, हो सकता है कि यह ''अवसर दो'' उन्हें उनका मान-सम्मान फिर से दिला दे। पर फिल्मों के आकर्षण में बंधने वाले वे अकेले उदहारण नहीं हैं ! जिस तरह से वर्तमान कप्तान का झुकाव फिल्मों की तरफ हो रहा है और जैसा माहौल बनाया जा रहा है, हो सकता है, आने वाले दिनों में कोहली भी तेज रफ़्तार कार चलाते, गाना गाते और विलेन की ठुकाई करते जल्द ही ''सिल्वर स्क्रीन'' पर नजर आ जाएं !
#हिन्दी_ब्लागिंग
क्रिकेट और फिल्म संसार दोनों में पैसा, ग्लैमर, शोहरत बेइंतेहा है। खिलाड़ी और फिल्मी सितारे दोनों ही सुर्खियां बटोरते ही रहते हैं। दोनों संस्थाओं की आपसी घनिष्ठता जितनी पुरानी है क्रिकेट के खिलाड़ियों के प्रति फ़िल्मी दुनिया की अभिनेत्रियों का आकर्षण भी उतना ही पुराना है। शायद पहला ऐसा किस्सा यहां खेलने आयी वेस्ट-इंडीज के कप्तान गैरी सोबर्स और फिल्म अभिनेत्री अंजु महेन्द्रू का सुनने में आया था। यह बात तो फिर भी समझ में आती है कि ज्यादातर महिलाओं ने ख्याति और अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ऐसा किया ! पर शोहरत, दौलत, प्रशंसक सब कुछ होने के बावजूद समय-समय पर हमारे क्रिकेट खिलाड़ी रुपहले परदे पर दिखने का लोभ संवरण क्यों नहीं कर पाते, यह एक अनबूझ पहेली है, वो भी यह जानते हुए कि मैदान का कितना भी बड़ा सितारा हो वह कभी भी पर्दे पर कामयाबी हासिल नहीं कर पाया है।
एक पुरानी कहावत है "जिसका काम उसी को साजे.." ! खेल के मैदान में सफलता हासिल करना एक बात है और फ़िल्मी पर्दे पर सफल होना बिल्कुल अलग ! पर क्रिकेटरों को अपनी खेल प्रतिभा के बल-बूते मिली शोहरत के कारण जब कुछ विज्ञापन फ़िल्में मिल जाती हैं, उन्हीं में काम कर उनको यह गुमान सा हो जाता है कि वे अभिनय कला में भी प्रवीण हैं ! उधर कुछ मौका-परस्त फिल्मकार भी इनकी शोहरत को भुनाने के वास्ते अपनी फिल्म में इन्हें मौका दे देते हैं और फिर सबको अपनी औक़ात का पता चल जाता है। ऐसा एक बार नहीं दसियों बार हो चुका है और लोगों को मुंहकी खानी पडी है, पर फिर भी कोई सबक नहीं सीखता। भारतीय टीम के ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जिन्होंने क्रिकेट की अपनी लोकप्रियता को फिल्मी दुनिया में बड़ी उम्मीद के साथ भुनाने की कोशिश की, लेकिन सबके हाथ नाकामी ही आई। बेशक इन खिलाड़ियों ने अपनी खेल प्रतिभा से अपने अनगिनत प्रशंसक बनाए पर फ़िल्मी दर्शकों पर इनका कोई जादू नहीं चल पाया। हालांकि ऐसा कदम उठाने वाले क्रिकेट जगत के दिग्गज सितारा खिलाड़ी रहे थे !
शायद सबसे पहले इस विधा में अपने को आजमाने वाले खिलाड़ी सलीम दुर्रानी रहे हैं। मैदान में दर्शकों की मांग पर उसी ओर छक्का लगाने का हुनर रखने वाले क्रिकेटर ने जब 1973 में रिलीज हुई फिल्म “चरित्र” में परवीन बॉबी के साथ लीड रोल में काम किया तो फिल्म एक रन भी ना बना सकी ! इसके बाद खूबसूरत खिलाड़ी संदीप पाटिल ने ने फिल्म ‘कभी अजनबी थे’ में पूनम और देबश्री रॉय जैसी हीरोइनों के साथ काम किया ! फिल्म में उनके साथ विलेन की भूमिका में वर्ल्डकप 1983 की विजेता भारतीय टीम के सदस्य सैयद किरमानी भी थे। पर फिल्म ने पानी भी नहीं मांगा ! फिर आए देश-दुनिया के सबसे मशहूर व दिग्गज खिलाड़ी, सुनील गावस्कर, जिन्होंने मराठी फिल्म ''सावली प्रेमाची'' में बतौर मुख्य एक्टर भूमिका निभाई पर वह उनकी छाया ही बन कर रह गयी। पर इन दिग्गजों के फ़िल्मी पराभव से कोई सबक नहीं लेने वाले प्लेयर्स की लंबी लिस्ट है जिसमें सलिल अंकोला, सदगोपन रमेश, अजय जडेजा, विनोद कांबली, दिनेश मोंगिया, युवराज सिंह, हरभजन सिंह जैसे नामी-गिरामी योद्धा शामिल हैं। अपनी बायो-ग्राफ़ी में सचिन भी दिखाई दिए। धोनी ने छुपे रुस्तम की तरह एक फिल्म ''हुक या क्रुक'' में कुछ किया पर वह फिल्म भले ही पर्दे पर अवतरित नहीं हो सकी ! उन पर तो एक फिल्म बन ही गयी, वैसे भी वे ढेर सारी विज्ञापन फिल्मों में नजर आते ही रहते हैं। मेहमान कलाकार के रूप में कपिल देव भी रजत पट पर नजर आ चुके हैं। दर्शकों को इरफान पठान, मोहम्मद कैफ, जवागल श्रीनाथ और आशीष नेहरा भी छोटी-मोटी झलक दिखा चुके हैं। ऐसा नहीं है कि मतलबपरस्त फिल्मकारों ने सिर्फ भारत के खिलाड़ियों पर दांव लगाया हो, अपनी फिल्म की सफलता के लिए उन्होंने दूसरे देशों के नामी-गिरामी खिलाड़ियों को, जैसे मोहसिन खान और ब्रेट ली को भी आजमाया।
इतनी भद्द पिटने के बावजूद भी, ना खिलाड़ी फ़िल्मी हीरो बनने का मोह छोड़ पा रहे हैं और ना हीं फिल्मकार उनको लेकर फिल्म बनाने का ! ताजा उदहारण श्री संत हैं ! जो खेल में प्रतिबंधित हो कर ''अक्सर 2'' में हाथ आजमा रहे हैं, हो सकता है कि यह ''अवसर दो'' उन्हें उनका मान-सम्मान फिर से दिला दे। पर फिल्मों के आकर्षण में बंधने वाले वे अकेले उदहारण नहीं हैं ! जिस तरह से वर्तमान कप्तान का झुकाव फिल्मों की तरफ हो रहा है और जैसा माहौल बनाया जा रहा है, हो सकता है, आने वाले दिनों में कोहली भी तेज रफ़्तार कार चलाते, गाना गाते और विलेन की ठुकाई करते जल्द ही ''सिल्वर स्क्रीन'' पर नजर आ जाएं !
7 टिप्पणियां:
विराट कोहली एक अच्छा अभिनेता सिद्ध हो सकता है. वैसे उसकी पत्नी अनुष्का शर्मा ख़ुद फ़िल्म-निर्माता भी बन चुकी है. अगर अपने क्रिकेट-जीवन के शिखर के दौरान विराट की कोई फ़िल्म आती है तो उसके सुपर-हिट होने की पूरी सम्भावना है. आज वो फ़िल्म के सभी सुपर-स्टार्स से बड़ा स्टार है.
हर्ष जी, अनेकानेक धन्यवाद
गोपेश जी, यदि ऐसा होता है तो बहुत अच्छी बात है, एक मिथ टूटेगा! पर खेल और अभिनय में जमीन-आसमान का अंतर है! किसी रिश्तेदार का निर्माता होने से ही सफलता की गारंटी नहीं मिल जाती। यहां कई बाप-भाई हवन करते हाथ जलवा चुके हैं। रही बात शिखर पर होने की, तो गावस्कर, पाटिल, दुर्रानी इन्होंने स्टार रहते ही फिल्में की थीं और शायद उतना बडा स्टारडम अभी कोहली को नहीं मिल पाया है !
गावस्कर तो हमारे सुपर-स्टार हैं पर सलीम दुर्रानी और संदीप पाटिल तो विराट कोहली की छाया के बराबर भी नहीं हैं. और विराट कोहली में एक अच्छे अभिनेता वाले सभी गुण हैं. चलिए देखते हैं कि विराट फ़िल्म में काम करता भी है या नहीं. वैसे फ़िल्म में सफल होने के लिए उसे अनुष्का शर्मा की मदद की कोई ज़रुरत नहीं पदनी चाहिए.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (24-09-2018) को "गजल हो गयी पास" (चर्चा अंक-3104) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
गोपेश जी, जो हमें भाने लगता है हम उससे बहुत सी अपेक्षाएं करने लगते हैं ! चलिए वक्त पर छोड़ देते हैं इसका फैसला ! पर आपका ''कुछ अलग सा'' पर सदा स्वागत रहेगा।
राधा जी, नमस्कार।
रचना शामिल करने का हार्दिक आभार
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