रविवार, 5 जनवरी 2014

पूजन के बाद आरती, क्यूँ और कैसे


अपने यहाँ सबसे ज्यादा की जाने वाली  आरती "ॐ जय जगदीश हरे" है।  यह जितनी लोक प्रिय है उतनी ही इसकी एक लाईन को गलत पढ़ा जाता है, वह है "नारद करत निरांजन" जिसे अधिकाँश महिला-पुरुष  "नारद करत निरंजन" उच्चारण करते हैं। 

आरती लेते  लोग 
अपने यहाँ हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के बाद उनकी आरती, जिसे निरांजन, आरात्रिक या आरातिर्क भी कहते हैं,  करने का विधान है। जो पूजा के षोडशोपचार का एक अंग है। जिसमे गायन, वादन और करतल ध्वनी  के साथ-साथ दीप या बाती जला कर देवी या देवता के हर अंग को ध्यान में रख प्रतिमा के दायीं ओर से बाईं ओर घुमाते हुए किया जाता है और अंत में बाती की लौ पर वहाँ उपस्थित सारे लोग अपने दोनों हाथों की हथेलियों को घुमा कर अपने सर और आँखों से स्पर्श करवाते हैं। यह क्रिया घर, मंदिर, या सार्वजनिक पूजा या उत्सवों में कमोबेश ऐसे ही या तो कपूर या घी की बाती को प्रज्जवलित कर की जाती है। आरती करना और लेना पुण्य का काम माना जाता है।  

आरती जहां पूजा की समाप्ति की द्योतक है वहीं यह अंत में प्रभू के साथ अपने को जोड़ने के लिए किए गए ध्यान की भी क्रिया है। इसके साथ ही ऐसी मान्यता है कि अपने आराध्य की पूजा, मंत्रहीन और क्रियाहीन होने पर भी आरती कर लेने से उसमे पूर्णतया आने के साथ-साथ त्रुटि कि भी कमी पूरी हो जाती है। इसे अपने आराध्य को उनके मूल मंत्र से तीन बार पुष्पांजली दे कर जय-जयकार करते हुए वाद्यों के साथ कपूर या विषम संख्या की घी की बातियों, जिन्हें साधारणतया पांच की संख्या में लिया जाता है, को प्रज्जवलित कर गायन करते हुए किया जाता है। मन्त्र या स्तुति में शब्दों का शुद्ध उच्चारण होना आवश्यक है।  

लौ को प्रतिमा के चरणों में चार बार, नाभी परदेश में दो बार, मुख मंडल पर एक बार तथा समस्त अंगों पर सात बार घुमाने का विधान है। आरती के पांच अंग होते हैं।  दीप माला के द्वारा, जलयुक्त शंख से, कोरे वस्त्र से, आम या पीपल के पत्तों से और साष्टांग दंडवत से। इसके कर लेने से अपने द्वारा की गयी अपने आराध्य की पूजा अर्चना में पूर्णतया का भाव आ जाता है।    

अपने यहाँ सबसे ज्यादा की जाने वाली  आरती "ॐ जय जगदीश हरे" है।  यह जितनी लोक प्रिय है उतनी ही इसकी एक लाईन को गलत पढ़ा जाता है, वह है "नारद करत निरांजन" जिसे अधिकाँश महिला-पुरुष "नारद करत निरंजन" उच्चारण करते हैं।     

@मंदिर के पुजारी श्री रामजी महाराज से ली गयी जानकारी पर आधारित।                

3 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति -
आभार आपका-
सादर -

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (06-01-2014) को "बच्चों के खातिर" (चर्चा मंच:अंक-1484) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन एक छोटा सा संवाद - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

विशिष्ट पोस्ट

रणछोड़भाई रबारी, One Man Army at the Desert Front

सैम  मानेक शॉ अपने अंतिम दिनों में भी अपने इस ''पागी'' को भूल नहीं पाए थे। 2008 में जब वे तमिलनाडु के वेलिंगटन अस्पताल में भ...