पहले पूरे देश की, अब पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को महलों का शहर भी कहा जाता है। वैसे तो यहाँ अनगिनत दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें छोटे-बड़े करीब सात संग्रहालय भी शामिल हैं। उन्हीं संग्रहालयों में से एक है पूरी तरह बच्चों को समर्पित जवाहर लाल नेहरु बाल संग्रहालय। मेट्रो रेल का नजदीकी स्टेशन जो कोलकाता के दिल धर्मतल्ला से भवानीपुर की तरफ, 94/1 जवाहर लाल मार्ग पर, विख्यात विक्टोरिया मेमोरियल से कुछ ही दूर मुख्य मार्ग पर ही स्थित है। यहाँ के लिए देश की पहली मेट्रो रेल का स्टेशन "रविन्द्र सदन" है। मुख्य मार्ग पर होने की वजह से यहाँ पहुँचने के लिए हर तरह के आवागमन की सुविधा उपलब्ध है.
मुख्य भवन |
खिलौनों की दुनिया |
गुड़ियों का संसार |
फिर आता है सबसे अहम् तीसरा और चौथा भाग, जहां छोटी-छोटी पर बिलकुल सजीव लगती मिट्टी की पुतलियों से पूरी रामायण और महाभारत की कथा को दर्शाया गया है। दोनों महाकाव्यों की प्रमुख घटनाओं को सिद्धहस्त कलाकारों द्वारा अति दक्षता से दर्शाया गया है. ये दोनों भाग किसी को भी सम्मोहित करने का जादू रखते हैं।
अब तक करोंड़ों देसी-विदेशी लोगों द्वारा देखा और सहारा गया यह संग्रहालय विख्यात समाजसेवी जुगल श्रीमाल जी, जिनका मानना था कि बच्चों को खेल-खेल में या उनकी पसंददीदा अभिरुचि से किसी विषय को ज्यादा अच्छी तरह समझाया जा सकता है बनिस्पत कक्षा में किताबों द्वारा पढ़ाने या समझाने के। यह म्यूजियम उन्हीं की कल्पना का मूर्तिमान रूप है। उन्हीं की प्रेणना से प्रेरित हो कर यह संस्थान देश के पिछड़े इलाकों में कार्यशालाएं लगा कर बच्चों की शिक्षा में भी हाथ बंटाता रहता है। अक्षम पर मेधावी बच्चों को आर्थिक सहायता का भी प्रावधान रखा गया है।
अब जब भी कोलकाता जाना हो तो अन्य दर्शनीय स्थानों के साथ इसे भी देखना ना भूलें। यह सोमवार को छोड़ सप्ताह के बाक़ी दिनों सुबह से शाम तक खुला रहता है। यह दावा है कि आप यहाँ जा "वाह" बोले बिना नहीं रह पाएंगे।