''भैया; बताइये ना ! भले ही उतना समझ ना पाएं पर गर्व से अपना छाती तो फुल्लइये सकते हैं ! ई तो हमरे देशो के लिए गर्व का बात जो है।''
चैतू मुंह बाए सब सुनता रहा ! कुछ देर बाद उसने पूछा , ''तो भैया ! जो आज सब नाच रहा है, ई लोग भी तो इसी देश का आदमी है ! तो ई लोग तब काहे नहीं खुस हुआ ?
#हिन्दी_ब्लागिंग
सुबह -सुबह चाय वगैरह से निपटा ही था कि ठाकुर जी की रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की दूकान से घर-पहुँच सेवा के तहत उनका सहायक चैतू कुछ सामान पहुंचाने आ गया। सामान रखने के बाद जाते समय मेरे पास आ खड़ा हुआ। मैंने उसे देखा और पूछा ''क्यों चैतू कैसे हो ?''
''ठीक हूँ भईया ! आपसे एकठो बात पूछना था !''
''बोलो ! क्या बात है ?''
''भैया, ये ''मैं गाय जैसे'' पुरस्कार क्या होता है ?
मेरा एक बार तो चौंकना स्वाभाविक था, पर इतने दिनों से चैतू को जानने, उससे बतियाते रहने के कारण जल्दी ही समझ में आ गया उसका प्रश्न !
फिर भी पूछ लिया "कहां देखा यह सब ?"
"फेसबुक पर। बहुते लोग एकर बारे में बतिया रहा है।"
''अरे बुड़बक ! वो मैग्सेसे पुरस्कार है ! जो हमारे एक पत्रकार को मिला है। फिलीपींस देश का नाम सुने हो ? वहीं से इसका विजेता चुना जाता है।''
फिर भी पूछ लिया "कहां देखा यह सब ?"
"फेसबुक पर। बहुते लोग एकर बारे में बतिया रहा है।"
''अरे बुड़बक ! वो मैग्सेसे पुरस्कार है ! जो हमारे एक पत्रकार को मिला है। फिलीपींस देश का नाम सुने हो ? वहीं से इसका विजेता चुना जाता है।''
''अरे वाह भईया जी ! बहार का देश हमरे आदमी को समानित किया ! ई तो बहुते अच्छा बात है। ई का बहुत बड़ा इनाम होता है ?''
"हाँ, भाई ! एशिया के लोगों और वहां की संस्थाओं को बढ़िया और उल्लेखनीय काम करने पर उन्हें इस इनाम के लिए चुना जाता है। दुनिया का सबसे प्रसिद्ध नोबेल पुरुस्कार सुने हो ? समझो, यह एशिया का नोबेल पुरस्कार की तरह है। इसका मिलना हम सबके लिए बड़े गर्व की बात है।''
''तभिएं !! हरदम दुखी और गरियाने वाला लोग भी आज बहुते खुस नज़र आ रहा है। बद्धियो दे रहा है सबको। अच्छा भैया; का पहले भी ऐसा पुरूस्कार हम लोगन को मिला है ?''
''अरे, बहुत बार। हमारे देश में गुणी, ज्ञानी, प्रतिभाशाली लोगों की कोई कमी नहीं है। हमें दुनिया भर के तरह-तरह के सम्मान मिलते रहे हैं। अभी तो हमारे एक ही माननीय को दसियों देश अपना सबसे बड़ा पुरूस्कार दे चुके हैं।''
''दसियों ? कऊन-कऊन सा ?"
''अरे, तुम अपना नाम तो बोल नहीं पाते ! वह सब कहां समझोगे !''
''नहीं भैया; बताइये ना ! भले ही बोल ना पाएं पर छाती तो फुल्लइये सकते हैं ! ई तो हमरे देशो के लिए गर्व का बात जो है।''
मजबूरन उसे बताना पड़ा कि बहुत कम समय में हमारे देश के एक ही आदमी को दुनिया के अलग-अलग देशों ने अपने-अपने सर्वोच्च पुरुस्कारों, जैसे, *जायेद मैडल पुरुस्कार, *फिलिप कोटलर पुरूस्कार, *सियोल शांति पुरूस्कार, *चैंपियंस ऑफ द अर्थ पुरुस्कार, *सेंट एंड्रूयज़ पुरूस्कार, *फिलिस्तीन ग्रैंड कॉलर पुरूस्कार, *आमिर अमानुल्लाह खान पुरूस्कार, *किंग अब्दुल सैश पुरूस्कार इत्यादि इत्यादि, से नवाजा है ! कई पुरूस्कार तो पहली बार किसी भारतीय को मिले हैं। यह भी एक रेकॉर्ड ही है !''
चैतू मुंह बाए यह सब सुन रहा था ! कुछ देर बाद उसने पूछा ''तो भैया ! जो आज सब नाच रहा है, ई लोग भी तो इसी देश का आदमी है ! तो ई लोग तब काहे नहीं खुस हुआ ?''
अब मेरी बारी थी चैतू का मुंह तकने की !
19 टिप्पणियां:
जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
04/08/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
कुलदीप जी, सम्मिलित करने का हार्दिक आभार
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (05-08-2019) को "नागपञ्चमी आज भी, श्रद्धा का आधार" (चर्चा अंक- 3418) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शास्त्री जी, हार्दिक धन्यवाद
ओंकार जी, अजीब से कालखंड में जी रहे हैं, हम सब ¡
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भगवान को भेंट - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
रोचक।
हर्ष जी आप का और ब्लॉग बुलेटिन का हार्दिक आभार
विकास जी, हार्दिक धन्यवाद
पुरस्कार पाने वालों के प्रति सलेक्टिविटी पर चैतू का कटाक्ष ... बहुत अच्छा लगा गगन जी
अलकनंदा जी, "कुछ अलग सा पर" आपका सदा स्वागत है
जबरदस्त कटाक्ष ...
चैतू का सवाल और जवाब दोनों बहुत बढ़िया लगे ।
संजय जी, बहुत-बहुत धन्यवाद
मीना जी, आपका सदा स्वागत है
विचारणीय पोस्ट.
" जो कुछ हमें अच्छा नहीं लगता है " ये प्रमाण नहीं बन जाता है कि वो चीज किसी के लिए भी अच्छी नहीं है.
अपनी ही मानसिकता अगर हम किसी पर थोंपते है और वो उस मानसिकता के मुताबिक ढल जाता है तो वो हमें अच्छा लगने लगता है.
कृपया आप अप्रूवल हटाने का तरीका भी बताएं
हम इस तकनीकी क्षेत्र में अनपढ़ मालूम होते हैं?
रोहितास जी, बात अपने अच्छे या बुरे लगने पर दूसरे का आकलन करने की या अपनी मर्जी थोपने की नहीं हो रही, बात हो रही है सम्मान की ! किसी भी रचनाकार, लेखक, ब्लॉगर की यह इच्छा रहती है कि उसकी रचना को, पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ें, सराहें, अपनी राय दें। जिससे और भी सुधार आ सके। इसी मनोवृति के तहत जब किसी को किसी की रचना अच्छी लगती है तो उसे बधाई दी जाती है। पर जब ऐसा करने के दौरान वहां जाया जाता है और पता चलता है कि उसकी शुभकामनाओं को कसौटी पर कसने, अपने मन मुताबिक़ होने के बाद स्वीकार किया जाएगा ! यानी तुम ख्वाहमख़ाह गले पड़ रहे हो ! तब पहला ख्याल यही मन में आता है कि जब अगला अपने खोल में बंद रहना चाहता है तो क्यों नाहक अपना समय खराब करना !
आपको हक़ है अपनी निजता बचाए रखने का ! पर खुल कर मिलने-जुलने में एक अपना ही आनंद होता है !
सहमत।
अप्रूवल की बाध्यता हटा दी गयी है। स्नेह बनाये रखें।
रोहितास जी, "कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है"
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