शनिवार, 16 फ़रवरी 2019

व्यस्त रहें, मस्त रहें !

अब यह तो पता नहीं कि खाली दिमाग ना मिलने पर शैतान कहां रहता होगा; पर यह जरूर लगता है कि दिमाग में घर बना कर वह इंसान का भला ही करता है, उसे कुछ ना कुछ करने के लिए उकसा कर ! जिससे शरीर चलायमान रहता है। अपनी तरफ से तो वह पूरी कोशिश करता है कि जिस शरीर के दिमाग  को उसने घर बनाया है वह स्वस्थ रहे ! बेशक उसकी नीयत ठीक होती है। पर नाम तो उसका बदनाम है, तो वह जो भी करवाता है, वह शैतानियत ही लगती है। जबकि सच्चाई यह है कि उसी के कारण हमारे व्यस्त व स्वस्थ रहने का सकारात्मक असर हमारे परिवार पर पड़ता है। वह बचा रहता है, हमारे बेवजह के हस्तक्षेप से, बिन मांगी सलाहों से, हमारी टोका-टाकी से, बार-बार की चाय-पानी की फरमाइश से, हमारी दवा-दारु की परेशानी से जिसके फलस्वरूप हमारे आत्मीय सुकून महसूस करते हैं, नतीजतन घर में शांति बनी रहती है.........!

#हिन्दी_ब्लागिंग 
वैसे तो मनुष्य की आदत है अपने भूतकाल को गौरवान्वित करने की ! पर जब इंसान, खासकर सेवा-निवृत्त हुआ, कुछ नहीं करता होता है यानि बेल्ला होता है; और बैठे-बैठे अपने अतीत को खंगालने लगता है तो उस समय खुशनुमा बातें तो कम, बुरी यादें, नाकामियां, आधे-अधूरे प्रसंग,  कष्ट, अभाव व तकलीफ में गुज़रे लम्हों की जैसे फ़िल्मी रील सी चलने लगती है या फिर अनिश्चित भविष्य के खतरे, निर्मूल आशकाएं या अनहोनी घटनाओं का डर उसे घेर लेता है। इस नकारात्मक सोच का दिलो-दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। जिससे वह अपने को बीमार सा महसूस करने लगता है। इसलिए इंसान को चाहिए कि वह अपने-आप को सदा व्यस्त तथा किसी भी काम में उलझाए रखे। काम ही सखा, साथी, सहारा बन जाना चाहिए। इससे एक तो नकारात्मक विचारों को दिमाग में घुसने का मार्ग नहीं मिल पाता, ऊल-जलूल बातों पर ध्यान नहीं जाता और सबसे बड़ी बात शारीरिक और मानसिक रूप से थकने के बाद रात को नींद ना आने की बिमारी से भी मुक्ति मिल जाती है। दिमाग दुरुस्त रहता है और शरीर स्वस्थ। इसलिए हरेक को कुछ भी कैसा भी कोई ना कोई शौक, रूचि, ''हॉबी'' जरूर पाल कर रखनी चाहिए। 

एक कहावत भी है, खाली दिमाग शैतान का घर ! अब यह तो पता नहीं कि खाली दिमाग ना मिलने पर शैतान कहां रहता होगा पर यह जरूर लगता है कि दिमाग में घर बना कर वह इंसान का भला ही करता है, उसे कुछ ना कुछ करने के लिए उकसा कर ! जिससे शरीर चलायमान रहे। अब अपनी तरफ से तो वह पूरी कोशिश करता है कि जिस शरीर के दिमाग को उसने घर बनाया है, वह स्वस्थ रहे ! बेशक उसकी नीयत ठीक होती है पर नाम तो उसका बदनाम है सो वह जो भी करवाता है, वह शैतानियत ही लगती है ! जबकि सच्चाई यह है कि उसी के कारण हमारे व्यस्त व स्वस्थ रहने का सकारात्मक असर हमारे परिवार पर पड़ता है। वह बचा रहता है, हमारे बेवजह के हस्तक्षेप से, बिन मांगी सलाहों से, हमारी टोका-टाकी से, बार-बार की चाय-पानी की फरमाइश से, हमारी दवा-दारु की परेशानी से ! जिसके फलस्वरूप हमारे आत्मीय सुकून महसूस करते हैं, नतीजतन घर में शांति बनी रहती है। 

भाग्यवश अपने काम के दौरान ही मेराआभासी दुनिया से नाता जुड़ गया था। थोड़ी-बहुत कम्प्युटर की जानकारी हो गयी, खोलना, लिखना, बंद करना आ गया ! जो अब निवृत्ति के बाद ब्लॉग लेखन में सहायक हुआ तो व्यस्त रहने का एक जरिया मिल गया। जीवन का एक अंग हो गया हो जैसे। दो-चार दिन के लिए भी लैप-टॉप अपनी हारी-बिमारी ठीक करवाने डॉक्टर के पास चला जाए तो ऐसा महसूस होता है जैसे कोई प्रियजन बिछुड़ गया हो ! इतना तो कभी श्रीमती जी के मायके जाने पर (शुरूआती दिनों में) भी सूनापन महसूस नहीं होता था ! हालांकि मोबाईल पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, पर उस छुटकु पर ना ढंग से लिखा जाता है ना हीं पढ़ा !अलबत्ता धकेले-थकेले-अकेले मैसेज कुछ समय जरूर निकलवा देते हैं। पर आनंद देने वाली व्यस्तता नहीं मिल पाती। तो लब्बो-लुआब यह है कि हमारे पास अपने-आप को व्यस्त रखने का कोई ना कोई जरिया जरूर होना चाहिए। और वह भी ऐसा जिसमें व्यस्त रहते हुए ख़ुशी मिले। आनंद महसूस हो। कुछ ज्ञान बढे। सृजनता का आभास हो। समय की बर्बादी न लगे और ना हीं मजबूरी ! ऐसे के साथ बोनस में घरेलू सुख-शांति-सुकून तो हईये है !        

5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-02-2019) को "श्रद्धांजलि से आगे भी कुछ है करने के लिए" (चर्चा अंक-3250) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अमर शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी, नमस्कार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हर्षवर्धन जी, हार्दिक आभार

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

सही कहा आपने
खाली दिमाग शैतान का घर


गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राजपुरोहित जी, कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है

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