बहुतेरी बार कुछ ऐसा घटता है जो कभी-कभी सोच में डाल देता है, कुछ सोचने-समझने लायक ना होने पर भी दिमाग में कुछ सवाल पैदा कर देता है, क्यूं एक-दो बार नहीं, ऐसा कई-कई बार होता है। आपने भी जरूर यह "महसूसा" होगा कि बाथ-रूम में जाने पर ही द्वार-घंटी बजती है, या फिर :-
* जब आप घर में अकेले हों और नहा रहे हों तभी फ़ोन की घंटी बजती है।
* जब आपके दोनों हाथ तेल आदि से सने हों तभी आपके नाक में जोर की खुजली होती है।
* जब भी आप गर्म चाय या काफ़ी पीने लगते हैं तो कोई ऐसा काम आ जाता है जिसे आप चाय के ठंडा होने के
पहले पूरा नहीं कर पाते।* जब आप देर से आने पर टायर पंचर का बहाना बनाते हैं तो दूसरे दिन सचमुच टायर पंचर हो जाता है।
* जब आप यह सोच कर कतार बदलते हैं कि यह कतार जल्दी आगे बढेगी तो जो कतार आपने छोडी होती है
वही जल्दी बढ़ने लगती है।
क्यों -----हुआ है क्या :-D
4 टिप्पणियां:
बहुधा ऐसा ही होता है।
सभी के साथ ऐसा ही होता है।
शुक्र है अकेला मैं ही नहीं हूं :-)
बिलकुल ऐसा ही होता है.
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