सोमवार, 16 अप्रैल 2012

कभी न कभी आप के साथ भी ऐसा जरूर हुआ होगा :-D


बहुतेरी बार कुछ ऐसा घटता है जो कभी-कभी सोच में डाल देता है, कुछ सोचने-समझने लायक ना होने पर भी दिमाग में कुछ सवाल पैदा कर देता है, क्यूं एक-दो बार नहीं, ऐसा कई-कई   बार होता है। आपने भी जरूर यह "महसूसा" होगा कि बाथ-रूम में जाने पर ही द्वार-घंटी बजती है,  या फिर :-  

* जब आप घर में अकेले हों और नहा रहे हों तभी फ़ोन की घंटी बजती है।

* जब आपके दोनों हाथ तेल आदि से सने हों तभी आपके नाक में जोर की खुजली होती है।

* जब भी कोई छोटी चीज आपके हाथ से गिरती है तो वहाँ तक लुढ़क जाती है जहाँ से उसे उठाना कठिन होता है।

* जब भी आप गर्म चाय या काफ़ी पीने लगते हैं तो कोई ऐसा काम आ जाता है जिसे आप चाय के ठंडा होने के
   पहले पूरा नहीं कर पाते।

* जब आप देर से आने पर टायर पंचर का बहाना बनाते हैं तो दूसरे दिन सचमुच टायर पंचर हो जाता है।

* जब आप यह सोच कर कतार बदलते हैं कि यह कतार जल्दी आगे बढेगी तो जो कतार आपने छोडी होती है
   वही जल्दी बढ़ने लगती है।

क्यों -----हुआ  है क्या  :-D

4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुधा ऐसा ही होता है।

विवेक रस्तोगी ने कहा…

सभी के साथ ऐसा ही होता है।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शुक्र है अकेला मैं ही नहीं हूं :-)

P.N. Subramanian ने कहा…

बिलकुल ऐसा ही होता है.

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