करीब डेढ़-दो साल पहले प्राणायाम करते समय नाक के बाएँ नथुने में 'कुछ' होने जैसा महसूस किया था। ऐसे ही होगा ठीक हो जाएगा की सोच के साथ समय और वह दोनों अपनी गति से बढ़ते गए। पतंजलि से संपर्क किया तो जैसी की आशा थी उन्होंने इसे किसी और कारण से होने का बताया, साथ ही कुछ घरेलू उपाय बताए पर उन्हें और अपने तौर पर कुछ न कुछ करते रहने के बाद भी जब 'उसने' अवैध कब्जा न छोड़ा और धीरे-धीरे बायाँ छिद्र पूर्णतया बंद हो गया। फिर एलोपैथी से सहायता की गुजारिश की। पता चला कि यह "पोलिप" कहलाता है, इलाज शुरू हुआ पर कोई फ़ायदा नहीं मिल पाया। हाँ 'प्रकृति-विरुद्ध' दवाओं से कुछ अलग सी समस्याएँ और जरूर हो गयीं। फिर कुछ दिनों बाद होम्योपैथी की शरण ली, बातों-बातों में डाक्टर साहब ने बताया कि वह भी इससे जूझ चुके हैं। उनका मस्सा तो नाक के बाहर आ जाता था। यहाँ कुछ आशा बंधी। दवा-दारू चालू हुई, थोड़ा असर दिखने भी लगा, पर एक जगह आ 'उसकी' हठधर्मिता के सामने कोई बात नही बन पाई। इसी बीच दाएं नथुने पर भी असर शुरू हो गया था। रात सोते समय दोनों छिद्र बंद हो हवा को अन्दर आने से रोकने में पूरी तरह सफल हो गए थे। मजबूरी में सहानुभूतिवश मूंह अपना द्वार खोल सांस लेने की क्रिया को सुचारू रूप देने का प्रयास करता रहता था। पर उससे जीभ, तालू, गला बुरी तरह सूख जाते थे। सर भी भारी रहने लगा था। इन सब को लिए-दिए फिर दिल्ली आना हुआ और फिर एक बार एलोपैथी की सरकार से इस नाजायज कब्जे की शिकायत की। इस बार उन्होंने अपना अंतिम निर्णय लेते हुए शल्य-चिकित्सा करवाने को कह दिया। हालांकि आजकल बिना पूर्ण बेहोश किए लेज़र की सहायता से यह उपचार संभव है, फिर भी यदि कोई इसका भुगत-भोगी हो तो उनके विचारों, ख्यालों और तजुर्बे का सदा स्वागत है।
आखिर नाक की इज्जत का सवाल है भाई।
आखिर नाक की इज्जत का सवाल है भाई।
7 टिप्पणियां:
ईश्वर करे आप शीघ्र स्वस्थ हों
भुक्तभोगी तो नहीं हैं, लेकिन सलाह यही है कि शीघ्रातिशीघ्र इससे मुक्ति पायें। शुभकामनायें!
kisi achche dr.se checkup karayen isse pahle ki der ho jaaye.
aap shigr swasth hon ...
Take five pills of KALI BICH. 200[Homeo] once a day for three days and feel the difference :)
आप सभी का बहुत-बहुत और हार्दिक धन्यवाद। इलाज जारी है पहले से काफी ठीक है। थोड़ी लापरवाही हो ही जाती है।
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