आयडिया आते हैं और गायब हो जाते हैं ! एक ही पल में उन को पहचानने, समझने और प्रयोग में ले आने की जरुरत होती है ! ये एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक संचार प्रणाली की तरह हैं, जो हमारे चारों ओर लगातार घूमते-विचरते तो रहते हैं पर क्लिक तभी करते हैं जब टीवी ऑन किया जाता है ! पर फर्क यह है कि टीवी सिग्नल कोई भी मॉनिटर ऑन कर पकड़ सकता है पर आइडिया को लपकने के लिए जुनून होना जरुरी है ! उठते-बैठते, सोते-जागते, खाते-पीते, नहाते-धोते, हर समय उसकी आहट पर कान लगे होने चाहिए ! कहते हैं ना कि पता नहीं ईश्वर किस रूप में दर्शन दे दें ! उसी तरह विचार भी अच्छे-बुरे, छोटे-बड़े किसी भी रूप में कभी भी कौंध सकते हैं............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
मेरे पास एक आइडिया है !"
टीवी सीरियलों में, फिल्मों में या रोजमर्रा की जिंदगी में अक्सर यह जुमला सुनाई पड़ जाता है ! क्या होता है यह आयडिया या विचार ! जो कभी-कभी जिंदगी तक बदल देता है ! जिसकी जरुरत बड़े-बड़े साइंसदा, उद्यमी, नेताओं, कारोबारियों से लेकर आम इंसान या कहिए बच्चों-छात्रों तक को रहती है ! यह कहाँ से आता है ! कब आता है ! कैसे आता है ! सोचा जाए तो इसको ले कर ढेरों प्रश्न सामने आ खड़े होते हैं !
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ऐसी मान्यता है कि हर इंसान की जिंदगी में एक ना एक बार सौभाग्य जरूर दस्तक देता है ! उस क्षण को को पकड़ने और पहचानने की लियाकत होनी चाहिए ! वही हालत विचारों की भी है, ये भी आते हैं और उसी समय गायब भी हो जाते हैं ! बस एक ही पल में उस को पहचानने, समझने और प्रयोग में ले आने की जरुरत होती है ! ये एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक संचार प्रणाली की तरह होते हैं, जो हमारे चारों ओर लगातार घूमते-विचरते तो रहते हैं पर क्लिक तभी करते हैं जब टीवी ऑन किया जाता है ! जिस तरह किसी खास प्रोग्राम को उसके समय पर ही देखा जा सकता है वैसे ही विचारों को भी उचित समय पर लपकना पड़ता है ! पर इतना फर्क भी है कि टीवी सिग्नल कोई भी पकड़ सकता है पर आइडिया को लपकने के लिए जुनून होना जरुरी है ! उसको लपकने के लिए सदा तैयार होना चाहिए ! उठते-बैठते, सोते-जागते, खाते-पीते, नहाते-धोते, हर समय उसकी आहट पर कान लगे होने चाहिए ! कहते हैं ना कि पता नहीं ईश्वर किस रूप में दर्शन दे दें ! उसी तरह विचार भी अच्छे-बुरे, छोटे-बड़े किसी भी रूप में कौंध सकता है !
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दुनिया के इतिहास में दसियों ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, जब सही समय में सही विचार को सही समय पर लपक, सही दिशा में उसका उपयोग कर दुनिया को चमत्कृत कर रख दिया गया हो ! इसमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय और उल्लेखित न्यूटन और सेव, आर्कमिडीज की नग्नावस्था में दौड़, इलियास होवे का स्वप्न में खुद को नोक पर बने छिद्र वाले भालों से कौंचा जाना, विल्हेल्म कोनराड द्वारा X-ray की पहचान, बेंजामिन फ्रैंकलिन का आकाशीय बिजली का प्रयोग हैं ! इनके पहले भी सेव-आम-अमरूद पेड़ों से गिरते ही रहते थे ! बिजली चमकती ही रहती थी ! पानी भरे बर्तन में किसी चीज के गिरने से पानी उसके लिए जगह बना उसे हल्का महसूस करवाता ही था ! इन विचारों को ही उपयोग में ला, हमारे ऋषि-मुनियों-आचार्यों ने अध्ययन के सरलीकरण की विविध विधियां ईजाद की हुई थीं। अपने विचारों को ही उपदेश बना उन्होंने मानव को सुखी-स्वस्थ-प्रसन्न रहने का मार्ग प्रशस्त किया था !
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कहावत है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है, पर आविष्कार को जन्म देने के लिए विचारों की कोख की जरुरत पड़ती है ! बड़े-बड़े आविष्कारों को जाने दें, विचारों के कौंधने से सैंकड़ों ऐसी खोजें हुई है जिन्होंने हमारे कई दुष्कर कार्यों को सरल बना दिया है ! आप सोचिए यदि जूते के तस्मों के सिरे पर लगे एग्लेट न होते तो जूतों में फीता डालने में कितना समय व्यर्थ जाता ! वर्षों पहले हार्वे केनेडी मोमबत्ती की रौशनी में अपने जूतों में लेस डालने की कोशिश कर रहा था, अचानक उसके फीते के सिरे पर पिघला मोम गिर कर जम गया, बिखरे फीते के कडा होते ही उसे जूते में पिरोना आसान हो गया ! इसे देख हार्वे के दिमाग में आए आयडिया ने करोड़ों लोगों का बहुमूल्य समय बचाने में मदद की !
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बहुत पीछे ना जाएं ! अभी कुछ ही वर्षों में ऐसी सैंकड़ों ईजादें हुई हैं जिन्होंने समाज का रहन-सहन-चलन बदल डाला है ! फिर चाहे वह यू ट्यूब हो, फेस बुक हो, ट्विटर हो ! अमेजन हो ! घर पहुँच सेवाएं हों, चाय-कॉफी के स्टालों की चेन हो, फलों-सब्जियों, रोजमर्रा में काम आने वाली चीजों की पैंकिग हो, विज्ञापनों को लुभावना बनाना हो, मेडिकल हेल्प हो, कहाँ तक गिनाएं ! सब कुछ किसी ना किसी आयडिया के क्लिक हो किसी के दिमाग की बत्ती जलने का ही परिणाम है ! आज जो नए-नए स्टार्ट-अप रोज चलन में आ रहे हैं यह सब नए-नए विचारों का ही तो खेल है !
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हमारी हर अड़चन नए आयडिया की जननी होती है ! पर ऐसा भी नहीं है कि आपने सोचा और आयडिया आ गया ! कभी तो दिनों-हफ़्तों तक कुछ नहीं सूझता और कभी पल भर में दिमाग की बत्ती जल जाती है ! पर कोशिश सदा सकारात्मक सोच की होनी चाहिए ! अपनी अड़चन को दूर करने का ख्याल सदा बना रहना चाहिए ! हमारा अवचेतन भी समस्या का हल ढूंढने में हमारी सहायता करता है ! ठीक उसी तरह जैसे आप सुबह निश्चित समय पर उठने का याद कर सोते हैं और बिना किसी बाहरी सहायता के आपकी नींद ठीक उसी समय खुल जाती है ! इसी तरह कभी-कभी अवचेतन से हमें अपनी अड़चनों का हल भी मिल जाता है ! वैसे कभी-कभी विफल विचार में से भी नया विचार उभर आता है !
अधिकतर यह कहा-सुना जाता है कि शरीर को स्वस्थ रखने, तनाव-मुक्त रहने, चिंताओं से निजात पाने या ध्यान इत्यादि के लिए दिलो-दिमाग का विचार शून्य होना जरुरी है ! पर इसके साथ ही दुनिया को चलायमान बनाए रखने, सुविधायुक्त बनाने, रोजमर्रा की अड़चनों से छुटकारा पाने के लिए सकारात्मक व सृजनात्मक विचारों का प्रवाह भी उतना ही जरुरी है ! अब यह हम पर है कि हम कैसे सही ताल-मेल बिठा कर अपना, समाज का और देश का भला कर पाते हैं !