पता नहीं ऐसी कितनी ही जगहें इंतजार कर रही हैं अपने को खोजे जाने का ! अपने अस्तित्व के सार्थक होने का ! अपने इतिहास का दुनिया के सामने उजागर होने का ! जरुरत है ऐसी जगह जाने, पहुँचने वाले सिर्फ खुद ही देख कर ना रह जाएं, कोशिश करें इन जगहों के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताने और वहां जाने के लिए प्रोत्साहित करने की। खास कर आजकल के मॉल प्रेमी बच्चों-युवाओं को.....!
#हिन्दी_ब्लागिंग
कभी-कभी इच्छित कार्यक्रम में बदलाव कुछ अनोखा, अलग, सुखद अनुभव दे जाता है। ऐसा ही पिछली रायपुर की यात्रा के दौरान घटित हुआ। सारे परिवार का नव-निर्मित रायपुर सफारी जाने के कार्यक्रम में अचानक व्यवधान पड़ जाने से एक नई जगह जाने का मौका हासिल हुआ, जगह थी, शिवनाथ और खारून नदियों के संगम पर स्थित कुछ अनजान सा सोमनाथ धाम। जिसके बारे में प्रचलित है कि इसे शिवाजी ने अपनी गुजरात विजय के उपलक्ष्य में बनवाया गया था। यह रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर स्थित ग्राम सांकरा से पश्चिम दिशा मे करीब सात कि.मी. की दुरी पर स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन तिल्दा है। पर सड़क मार्ग से निजी वाहन से जाना ही सुविधाजनक है।
पहले तो बच्चों में कार्यक्रम के, जंगल-सफारी से मंदिर की तरफ तब्दील हो जाने से निराशा नज़र आई पर उन्हें जब वर्षों बाद पिकनिक का "स्कोप" नजर आया तो सब फ़टाफ़ट राजी हो गए और एक ही गाडी में मय खाद्य-सामग्री, लद-फद कर चल दिए प्रभू के दर्शन हेतु। धरसींवा से आगे तक़रीबन 10 किमी की दूरी पर एक मार्ग बायीं ओर मुड़ता है जहां से करीब तीन की.मी. दूर खारून नदी और शिवनाथ नदी के संगम पर भगवान शिव का प्रचीन मंदिर सोमनाथ तीर्थ स्थित है।
मंदिर, अत्यंत शांत, सुरम्य, प्राकृतिक सौंदर्य और हरीतिमा से भरपूर जगह में, एक ऊँचे टीले पर स्थित है। कहते हैं इसी टीले के उत्खनन में यहाँ स्थपित शिव लिंग मिला था। सीढ़ियां चढ़ते ही लॉन में पहले हनुमानजी की प्रतिमा नजर आती है। उनके पीछे कुछ दुरी पर, छोटे पर अपनी प्राचीनता दर्शाते मंदिर के गर्भ-गृह में करीब 3 फीट ऊँचा शिवलिंग स्थापित है। मंदिर में शिव परिवार, पार्वती देवी, गणेश जी, कार्तिकेय एवं नंदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। शिव लिगं के बारे में मान्यता है कि वह धीरे-धीरे बडा होता जा रहा है। मंदिर के पास ही उन महिला का निवास है जिन पर यहां की देख-रेख का जिम्मा है।
मंदिर पहुँचने पर पीछे बह रही नदी से पानी ला कर मंदिर में अभिषेक किया गया और जितना थोड़ा-बहुत ज्ञान है, उसी के अनुसार, गलतियों के लिए क्षमा मांग, शिव परिवार की प्रार्थना-अर्चना की। फोटुएं ली गयीं, यादगार स्वरुप। शाम हो चली थी। सभी की भूख चमक उठी थी। वही लॉन में सबने भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर, दस-पन्द्रह मिनट पीठ सीधी की और प्रभू से इजाजत ले घर का रूख किया।
पता नहीं ऐसी कितनी ही जगहें इंतजार कर रही हैं अपने को खोजे जाने का ! अपने अस्तित्व के सार्थक होने का ! अपने इतिहास का दुनिया के सामने उजागर होने का ! जरुरत है ऐसी जगह जाने, पहुँचने वाले सिर्फ खुद ही देख कर ना रह जाएं, कोशिश करें इन जगहों के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताने और वहां जाने के लिए प्रोत्साहित करने की। ख़ास कर आजकल के मॉल प्रेमी बच्चों-युवाओं को।