#चौहान_पट्टा, अंग्रजों के समय में यह एक छोटा सा गांव हुआ करता था। पहाड़ों से पेड़ काट कर यहां ला कर इकट्ठे किए जाते थे, फिर यहां से सुविधानुसार उन्हें अलग-अलग जगहों पर भेजा जाता था। लकड़ियों का डिपो होने के कारण इस जगह का नाम काठगोदाम पड़ गया था........
#हिन्दी_ब्लागिंग
#काठगोदाम, देश के सबसे सुंदर, साफ़-सुथरे, शांत, व्यवस्थित, खूबसूरत रेलवे स्टेशनों में से एक। नाम तो वर्षों से सुना, जाना-पहचाना हुआ था पर कभी वहाँ रुकना नहीं हो पाया था क्योंकि उधर जाने के लिए सदा बसों का ही सहारा लिया गया था। इस बार जब अल्मोड़ा का कार्यक्रम बना तो ट्रेन को प्राथमिकता दी गयी। जाने के लिए दिल्ली-काठगोदाम सम्पर्क क्रान्ति और लौटने के लिए काठगोदाम-नई दिल्ली शताब्दी में आरक्षण करवाया गया। जाने पर पाया कि उसके बारे में जितना सुना था वह उससे कुछ ज्यादा ही अनुरूप था।
#हिन्दी_ब्लागिंग
काठगोदाम रेलवे स्टेशन |
साफ़-सुथरा प्लेटफार्म |
प्रकृति की गोद में |
सीढ़ियों पर संदेश |
15 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (27-10-2017) को
"डूबते हुए रवि को नमन" (चर्चा अंक 2770)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शास्त्री जी,
आभार
हर्ष जी,
हार्दिक धन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, देश के सब से बड़े अनशन सत्याग्रही को ब्लॉग बुलेटिन का नमन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सुंदर, साफ़-सुथरा ..एकदम अलग
प्यारा सा स्टेशन। मैंने भी इसके विषय में काफी सुना है। एक बार तो जाऊँगा ही। देखें कब तक होता है। भारत के सारे स्टेशन इतने ही साफ़ हो जाएं तो मजा आ जाएगा।
सच मन को अच्छा लगता है साफ़ सुथरा रेलवे स्टेशन देखकर, वहीँ गंधे स्टेशन देख ऊबकाई आने लगती है
बहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
ब्लॉग बुलेटिन, आपका हार्दिक धन्यवाद
प्रीति जी, कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है
विकास जी, ऐसी जगह प्रतीक्षा भी खलती नहीं है
कविता जी, गंदगी का मुख्य कारण हद से ज्यादा भीड़-भाड़ ही है और कुछ हमारी लापरवाहियां भी हैं। पर ऐसी जगहें सुकून देती हैं।
बहुत सुंदर विवरण काठगोदाम का
दिया आपने गगन जी,साथ में बहुत ही प्यारी तस्वीरें भी है।
श्वेता जी,
हार्दिक धन्यवाद
जी सही कहा।
एक टिप्पणी भेजें