संसार में सुंदरवन अकेली जगह है, जो करीब 500 शेरों (बाघों) का आश्रय स्थल है। एक ही स्थान पर शायद ही इतने शेर कहीं और पाए जाते हों। पर यहां इंसान भी बसते हैं, जो मजबूर हैं, यहां रहने के लिए, दहशत भरी जिंदगी जीने के लिए।
संसार में सुंदरवन अकेली जगह है, जहां शेर लगातार आदमी का शिकार करते रहतें हैं। हर साल करीब 50 से 60 लोग यहां शेरों के मुंह का निवाला बन जाते हैं। वहां के लोग किन परस्थितियों में जी रहे हैं इसका रत्ती भर अंदाज भी बाहर की दुनिया को नही है। यहां आकर तो लगता है कि जानवर ही नहीं आदमी को भी बचाने, संरक्षण देने की जरूरत है।
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सरकार ने और यहां के रहवासियों ने अपने-अपने स्तर पर इस आपदा से बचने के लिए कुछ इंतजाम किए भी हैं, जिससे हमले से मरने वालों की संख्या में कमी भी आई है। शेर हरदम मनुष्य पर पीछे से हमला करता है, खासकर रीढ़ की हड्डी पर। इसीलिए सरकारी कर्मचारी कमर से लेकर गरदन तक का एक मोटा पैड सा पहने रहते हैं जिससे काफी हद तक हमले की गंभीरता कम हो जाती है। यहां के लोग जंगल में या नौका में आते-जाते समय अपने चहरे के पीछे, गरदन के ऊपर एक मुखौटा लगा कर चलते हैं। जिससे शेर को लगे कि सामने वाला मुझे देख रहा है, पर वह ज्यादा देर
धोखे में नहीं रहता और हमला कर देता है। इसके अलावा यहां के निवासी पूजा-पाठ में भी बहुत विश्वास करते हैं इसीलिए अपने रोजगार पर निकलने के पहले वनदेवी जिसे स्थानीय भाषा में "बोनदेवी" कहते हैं (बंगला भाषा में 'वन' का उच्चारण 'बोन' होता है ) की पूजा-अर्चना कर निकलते हैं। पर कहीं न कहीं, कभी न कभी भिड़ंत हो ही जाती है। दोनों की मजबूरी है, कोई भी पक्ष अपनी रिहाइश छोड़ और कहीं जा नहीं सकता। शेरोन पर तो यह एक तरह से दोहरी मार है। इनकी प्रजाति पर पहले से ही "पोचरों" से खतरा बना हुआ था, उस पर अब एक और गंभीर समस्या
बढ़ती जा रही है। धीरे-धीरे यहां के मनुष्यों और शेरों में एक अघोषित युद्ध शुरू हो चुका है। जैसे ही कोई मानव शेर का शिकार करता है वैसे ही शेर से बदला लेने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं। यह बात दोनों ही पक्षों के लिए घातक हैं। इस आपसी भिड़ंत को ख़त्म या कम करने के लिए अभी तक आजमाए गए उपायों का बहुत ही कम असर हुआ है। फिर भी कुछ न कुछ उपाय किए ही जा रहे हैं जैसे घने जंगल में तार का घेराव या फिर शेरों को उनके भोजन के लिए जानवरों की उपलब्धता इत्यादि। पर पूर्णतया कारगर कोई उपाय अभी सामने नहीं आ पाया है। तब तक अभिशप्त हैं दोनों प्राणी एक दूसरे के दुश्मन बने रहने के लिए।