सदा से धारणा रही है की कानों सुनी पर विश्वास नहीं करना चाहिए, जब तक कि आँखों से देख नहीं लिया जाए. पर क्या आँखें सदा सच दिखलाती हैं ? नीचे दिए चित्र तो कुछ और ही बताते हैं :-
लगता नहीं कि मोहतरमा जादुई कालीन पर खड़े हो भाषण दे रही हैं ? |
ये क्या ? इतना धुँआ वह भी मूर्ती के बिगुल से ? |
गजब! मुंह से इन्द्रधनुष |
ये कौन है भाई ? अर्द्ध घोडीश्वर |
3 टिप्पणियां:
सुन्दर चित्रावली।
nice compilation
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शास्त्री जी, ब्लॉग पर सदा स्वागत है
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