अब इतना तो मालुम ही था कि इंटरनेट
से कहीं भी कुछ भी मंगा या या भेजा जा सकता है। पर अभी तक ऐसा मौका या सुयोग नहीं
मिल पाया था या यूं कह लें कि हासिल करने की कोशिश ही नहीं की थी। तो जब पिछली
शादी की सालगिरह पर दिल्ली से बच्चों द्वारा भेजा या सही अर्थों में, इंतजाम किया हुआ 'बुके' हमें मिला तो आश्चर्य मिश्रित हर्ष होना लाजिमी था।
उसके बाद फूलों की ऐसी सेवाओं के लिए 'जाल' छानने पर जो सार हासिल हुआ वह यह है कि वर्षों से
कुछ पुष्प प्रेमी फूलों को उनके चाहने वालों के पास भेजा करते थे। तब यह काम तार
या फोन के जरिए किया जाता था। एकाधिक ऐसी संस्थाओं में 'टेलेफ़्लोरिस्ट' का नाम प्रमुख था जिनके करीब 1000 के उपर सदस्य थे। इसकी
स्थापना 1947 मे की गयी थी। समय बदला
इलेक्ट्रोनिक क्रांति के आने पर इन्होंने अपना नाम बदल कर 'इफ़्लोरिस्ट' कर लिया और अब यह "इंटरफ़्लोरा" के सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं।
'इंटरफ़्लोरा' नाम की यह संस्था एक विश्वव्यापी संस्थान है जो 65-70 साल से इस व्यवसाय मे सफलता पूर्वक काम कर रही है।
इसके दो लाख से भी ज्यादा सदस्य दो सौ देशों में फैले हुए हैं। जो करोडों के आर्डर
प्रतिवर्ष पूरा करते हैं। संवाद स्थापित करने के हर माध्यम से इन्हें दुनिया भर से
आर्डर मिलते हैं और ये दुनिया के किसी भी हिस्से में फूल पहुंचाने का काम हर बाधा
को, चाहे वह भौगोलिक हों, चाहे भाषा सम्बंधी, चाहे समय या मुद्रा की दिक्कत,
सब को दूर
कर पुष्प-प्रेमियों की इच्छा पूरी करते हैं।
अपने यहां भी बहुतेरी संस्थाएं सफलता पूर्वक पुष्प-प्रेमियों की जरूरतों को
पूरा कर रही है।
तो आप को कभी भी किसी भी आयोजन-प्रयोजन के लिए, संसार के किसी भी कोने में,
दुनिया के
किसी भी हिस्से मे पाए जाने वाले किसी भी फूल को पहुंचाना हो, वह भी तीन-चार घंटों में, तो....
"इंटरफ्लोरा" है ना।