ज्यादातर यही देखा और जाना गया है कि प्रकृति ने पक्षियों या कीट-पतंगों को ही बहुरंगों से नवाजा है। थलचरों को रंग-बिरंगा होने का सौभाग्य नहीं मिल पाया है। पर पश्चिमी अफ्रिका के घने जंगलों में पाई जाने वाली बंदरों की एक प्रजाति "मैंड्रीन" एक अपवाद है। कुछ-कुछ कुत्ते जैसे मुंह, इंसानों जैसी आखों, पीली दाढी, बीच-बीच में धारियों वाली नीली नाक, गुलाबी जबडे, कुछ बड़े चमकीले "पिछले हिस्से" तथा रंग-बिरंगे हाथ पैर वाला यह बंदर बहुत खूबसूरत लगता है। बबून की इस प्रजाति के बाल बहुत घने और मुलायम होते हैं। इसका वजन करीब 50 की.ग्रा. तथा ऊंचाई 150 सें मी इसे दुनिया का सबसे बडा बंदर बनाती है। प्रकृति ने इन्हें आत्म-रक्षा के लिए नुकीले तथा मजबूत दांत प्रदान किए हैं। पर इस जाति की मादा अपने नर से करीब आधी कद-काठी की ही होती है। इसका भोजन फल-फूल, कीड़े-मकोड़े तथा छोटे जीव हैं इसीलिए यह ज्यादातर जमीन पर ही विचरता है। पर आराम या सोना पेड़ों पर पसंद करता है।
मैंड्रीन झुंड में रहना पसंद करते हैं, जिसमे इनकी संख्या 200 तक हो सकती है। परिवार की बात करें तो एक नर के साथ 10 से 15 तक मादा और बच्चे होते हैं। यह स्तनपायी जीव बेहद शर्मीला होता है जिसके रंग उत्तेजित अवस्था में और भी चटक और चमकदार हो जाते हैं।
अब कटते जंगलों और इनके शिकार के कारण इनके अस्तित्व पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
7 टिप्पणियां:
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जानकारी भरा आलेख।आभार।
इनके बारे में पहली बार पता चला, बहुत आभार इस जानकारी के लिये.
रामराम
भगवान ने बन्दर को भी सुन्दर बना दिया है।
सचमुच इंद्रधनुष सा प्यारा।
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आप चलेंगे इस महाकुंभ में...?
...खींच लो जुबान उसकी।
vaah ...beautiful mandarin and nice look.
SUNDAR BANDAR
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