पावस ऋतु आ ही गयी। इसके स्वागत के साथ-साथ ज़रा सी सावधानी भी बरत ली जाए तो यह खुशगवार मौसम और भी सुहावना हो जाएगा। तो सोचना क्या; आनंद लीजिए इस अनमोल-नायाब-जीवनदायक उपहार का, जिसे प्रकृति खुले दिल से लुटा रही है। पर अपनी तरफ से भी भरसक कोशिश और उपाय जरूर करें, गगन से झरते इस अमृत को सहेजने, संभालने का.......!
#हिन्दी_ब्लागिंग
इस बार गर्मी का मौसम कुछ ज्यादा ही तेवर दिखा रहा था। पूरा देश तपिश से हलकान हुआ पड़ा था। आखिरकार इंद्र देवता की इजाजत से बरखा रानी ने धरती पर अपने कदम रखे। झुलसाती
गर्मी धीरे-धीरे अपना दामन समेट विदा होने लगी। गगन से अमृत झरा, धरा की प्यास मिटी, मौसम सुहाना होने लगा। पेड़-पौधों ने धुल कर राहत की सांस ली, किसानों की जान में जान आयी। कवियों को नयी कविताएं सुझने लगीं। हम जैसों को भी चाय के साथ पकौड़ियों की तलब लगने लगी। पर यहीं से शुरु भी हो जाती है, हमारे बेचारे शरीर की परेशानी, क्योंकि इस मौसम में जठराग्नि मंद पड़ जाती है। हर किसी के पावस ऋतू के स्वागत में मस्त हो जाने के बावजूद शरीर साफ सुन पाता है, बरसात के साथ आने वाले उसके अनचाहे हमसफर रोगों, सर्दी, खांसी, फ्लू, डायरिया, डिसेन्टरी, जोड़ों का दर्द और न जाने किस-किस की पदचाप ! इसी आहट को हमें भी पहले ही सुन, स्वस्थ रहते हुए, स्वस्थ रहने की प्रक्रिया शुरु कर देनी चाहिये। क्योंकी बिमार होकर स्वस्थ होने से अच्छा है कि बिमारी से बचने का पहले ही इंतजाम कर लिया जाये।
यहां कुछ हल्की-फुल्की घरेलू व डाक्टरों की सुझाई हिदायतें लिख रहा हूं, जिनके प्रयोग से भला ही हो सकता है बुराई कुछ भी नहीं है :-
* इस मौसम में जठराग्नि मंद पड़ जाती है। सो रोज सुबह एक चम्मच अदरक और शहद की बराबर मात्रा लेने से फायदा रहता है।
* खांसी-जुकाम में एक चम्मच हल्दी और शहद गर्म पानी के साथ लेने से राहत मिलती है।
* इस मौसम में दूध, दही, फलों के रस, हरी पत्तियों वाली सब्जियों का प्रयोग बिल्कुल कम कर दें।
* नीम की पत्तियों को उबाल कर उस पानी को अपने नहाने के पानी में मिला कर नहायें। इसमें झंझट लगता हो तो पानी में डेटॉल जैसा कोई एंटीसेप्टिक मिला कर नहायें।
* आज कल तो हर घर में पानी के फिल्टर का प्रयोग होता है। पर वह ज्यादातर पीने के पानी को साफ करने के काम में ही लिया जाता है। भंड़ारित किये हुए पानी को वैसे ही प्रयोग में ले आया जाता है। ऐसे पानी में एक फिटकरी के टुकड़े को कुछ देर घुमा कर छोड़ दें। पानी की गंदगी नीचे बैठ जायेगी। इसे निथार कर उपयोग में लाएं। वैसे भंडारित पानी में एक चम्मच अजवायन या सहजन (ड्रम स्टिक) की फलियां डाल देने से वह बहुत हद तक शुद्ध हो जाता है।
* तुलसी की पत्तियां भी जलजनित रोगों से लड़ने में सहायक होती हैं। इसकी 8-10 पत्तियां रोज चबा लेने से बहुत सी बिमारियों से बचा जा सकता है।
* खाने के बाद यदि पेट में भारीपन का एहसास हो तो एक चम्मच जीरा पानी के साथ निगल लें। आधे घंटे के अंदर ही राहत मिल जायेगी।
* बाहर के खाने खासकर सड़क किनारे मिलने वाली चाट वगैरह तथा चायनिज खाद्य पदार्थों से इन दिनों दूरी बनाये रखें।
* ज्यादा देर से कटे रखे फल और सलाद का उपयोग ना करें।
* बहुतों को, खासकर बच्चों को बरसात में भीगना, मस्ती करना बहुत भाता है पर ख्याल रखें कि ज्यादा देर तन-बदन गीला न रहे। भीग कर आने के बाद तुरंत शरीर को सुखा लें।
यदि हम जरा सी सावधानी बरत लें तो यह खुशगवार मौसम और भी सुहावना हो जाएगा। तो सोचना क्या आनंद लीजिए प्रकृति के इस अनमोल-नायाब-जीवनदायक उपहार का: और हो सके तो भरसक कोशिश और उपाय भी करें गगन से झरते इस अमृत को सहेजने का........!