फिल्मी दुनिया का माया लोक तो अपनी निष्ठुरता के लिए प्रसिद्ध है ही, जहां काम निकलने के बाद लोग पहचानने से भी इंकार कर देते हैं। अब छोटे पर्दे पर भी उसका असर दिखने लगा है। चकाचौंध की दुनिया में इंसानियत, नैतिकता, संवेदना जैसी भावनाएं तिरोहित होती चली जा रही हैं। हालांकि "रील और रियल" की जिंदगी में जमीं-आसमान का फर्क होता है पर…
टी.वी. पर चौबीसों घंटे चलने वाले कार्यक्रमों में एक "सब" भी है। इसने अपनी पहचान हल्के-फुल्के पारिवारिक हास्य सीरियलों से बनाई है। जिनमें परिवार के सदस्य एक-दूसरे के लिए समर्पण, आदर, प्रेम, लिहाज तथा त्याग की भावना से ओत-प्रोत दिखते हैं। ये सरल पात्र इंसानियत और मानवता के प्रतिरूप की तरह गढ़े गए हैं। इनका यह प्रेम और लगाव घर वालों के लिए ही नहीं पड़ोस के साथ-साथ समाज के लिए भी सरोकार रखता है।
मनीष विश्वकर्मा |
पिछले दिनों #सब टी.वी. पर चलने वाले एक सीरियल "चिड़ियाघर" में मेढक प्रसाद के पात्र को निभाने वाले मनीष विश्वकर्मा शूटिंग के वास्ते जाते हुए सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए। अस्पताल में वे कोमा में हैं। पर नाहीं सब वालों ने खुद दर्शकों को इसकी जानकारी दी नाहीं उस सीरियल के पात्रों से कुछ कहलवाया। जबकी अपने आने वाले किसी कथानक की घोषणा जबरदस्ती सीरियल के बीच जगह बना किसी पात्र द्वारा करवा दी जाती है। टी. वी. धारावाहिकों के निर्माताओं ने एक सहूलियत ले रखी है जिसके अंतर्गत कथानकों में पात्रों का आना-जाना-बदलना एक आम बात है। पर यदि किसी की जान पर बन आई हो तो इंसानियत के नाते संवेदना प्रगट करना तो फर्ज बनता ही है न !
2 टिप्पणियां:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ४ का चक्कर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आभार
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