आज ठाकुर जी मिले तो कुछ अनमने से थे। मैने पूछा भईये क्या बात है? तो उन्होनें अपनी समस्या बताई। "समस्या" बड़ी दिलचस्प थी। उनका कहना था कि बरसाती मौसम में चाट-पकौड़ी खाने की बड़ी इच्छा होती है पर सेहत बिगड़ने का भी डर लगता है। उनकी जिज्ञासा थी कि दोनों इच्छापूर्तियाँ कैसे की जा सकती हैं?
मैंने कहा लो, कर लो बात यह तो बडा आसान काम है।
ठाकुर जी चमके, बोले, वो कैसे?
मैंने कहा महाराज, अपने मुंह और जीभ दोनों साथ-साथ रहते हैं, पर जहां मुंह से लिया गया पौष्टिक आहार शरीर को पुष्ट तथा निरोग रखता है वहीं जीभ के चटोरेपन से वही शरीर रोगों का घर बन जाता है। पर इसका यह मतलब थोडे ही है कि बेचारी जीभ को ललचाते ही रहने दो। हां ! बरसात के मौसम में पाचन शक्ति जरूर कुछ कमजोर व मंद पड़ जाती है। इसीलिए ज्यादा तले, मसालेदार, भारी भोजन से हर चिकित्सा में परहेज रखने की सलाह दी जाती है। वैसे भी अति हर चीज की नुकसानदायक होती है। पर यदि संतुलित, कभी-कभार, स्वच्छता से बने ऐसे व्यंजन ले भी लिए जाएं तो कोई हानि नहीं है। और यदि ऐसे पदार्थ घर में बने हों तो बेहतर रहते हैं। पर यदि बाहर खाना ही पड़े तो उन पर बरती गयी सफाई और उनके ताजेपन पर ध्यान जरूर देना चाहिए। यदि कभी लगे कि खाना खाने के बाद कुछ परेशानी हो रही है तो एक चम्मच कच्चा जीरा या अजवायन पानी के साथ ले लें। कुछ ही देर में अच्छा महसूस होने लगेगा।
ठाकुर जी चौंके, बोले एकदम कच्चा?मैंने कहा हां, भाई, आजमा कर तो देखो।
बोले, अभी ले लूं?
मैं बोला, भईये ये भी एक तरह की औषध ही है। फिर इस मौसम में सेहत को सबसे ज्यादा खतरा पीने के पानी के अशुद्ध होने से होता है। इस लिए उसका ख़ास ध्यान रखना चाहिए और हर कहीं के पानी को ना पीने में ही बेहतरी है। पीने का पानी साफ और स्वच्छ हो तो आधा खतरा यूं ही टल जाता है। घर पर पानी साफ करने के दसियों तरीके हैं पर एक सबसे सरल तथा सुरक्षित उपाय है कि पीने के पानी के बर्तन में रात को एक चम्मच अजवायन डाल दें जो पांच-सात लीटर पानी के लिए काफी है। पानी के साथ-साथ इसे भी बदलते रहें। पानी पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
ठाकुर जी आप तो विज्ञान के शिक्षक हैं, आप तो जानते ही हैं कि हमारा शरीर खुद ही अपने को निरोग बनाए रखने में पूरी तरह सक्षम है। फिर भी यदि कुछ बातें ध्यान में रख ली जाएं तो स्वस्थ रहते हुए वर्षा ऋतु का पूरा आनंद उठाया जा सकता है। कुछ ज्यादा नही करना है, सुबह की चाय तीन-चार तुलसी के पत्तों के साथ बना कर पीएं। हल्का और सुपाच्य भोजन लें। भारी व्यंजन कम मात्रा और हफ्ते में एकाध बार ही लें। देर रात या बेवक्त न खाएं। बासी तथा खुले भोजन से बचें। अपच तथा कब्ज न होने दें। स्वच्छ जल ग्रहण करें। बरसात में भीग गए हों तो तुरंत गीले कपडे बदल डालें। फिर देखिए मौसम कितना सुहाना लगता है।
वैसे अभी क्या विचार है? बारिश की संभावना लग रही है, चलें! चाय के साथ भाभी जी के हाथ के गर्मा-गरम पकौडों का आनंद लेने?
ठाकुर जी की तो जैसे मन की बात हो गयी, बोले भईये बढ लो, इसके पहले कि कपडे भीग जाएं।
6 टिप्पणियां:
सच कहा, थोड़ा ध्यान रखा जाये तो स्वास्थ्य बनाये रखा जा सकता है।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन रुस्तम ए हिन्द स्व ॰ दारा सिंह जी की पहली बरसी - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें ,कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
उपयोगी जानकारी !
बात-बात में कितनी तत्वपूर्ण सलाह की सौगात !
धन्यवाद !
ठाकुर जी से वार्तालाप के जरिये मौसम के अनुकूल अच्छी जानकारी दी है. आभार.
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