जब पतंजलि की तरफ से इजाजत नहीं मिली है तो फिर कैसे ये लोग उसके नाम और लोगो का इस्तेमाल कर रहे है। ऐसा तो नहीं कि उन्होंने सोच रखा हो कि इजाजत मिलने में तो समय लगेगा ही तब तक उनके नाम का इस्तेमाल करते रहो, पब्लिक को क्या पता कि अधिकृत हैं की नहीं, वह तो नाम देखती है, यदि इजाजत ना भी मिली तब तक पब्लिक को आदत पड़ चुकी होगी !!
पिछले कुछ दिनों से मीडिया पर #पतंजलि-के-नाम-का-रेस्त्रां खुलने की खूब चर्चा हो रही है। जिसे अपने आप को बाबा रामदेव का अनुयायी कहने वाले दो सज्जनों द्वारा "पौष्टिक" नाम से पंजाब के जीरकपुर इलाके में खोला गया है। उनका दावा है कि उनके द्वारा सिर्फ पतंजलि के उत्पाद ही उपयोग में लाए जाते हैं। वैसे तो उनके अनुसार अभी बाबा रामदेव की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली है, जिसके लिए उन्होंने आवेदन कर रखा है, फिर भी उनके रेस्त्रां में हर जगह बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के फोटो के साथ-साथ पतंजलि के उत्पादों से दीवालें सजी पड़ी हैं, यहां तक की उनके मेनू-कार्ड पर भी पतंजलि का 'लोगो' लगा हुआ है।
पिछले कुछ दिनों से मीडिया पर #पतंजलि-के-नाम-का-रेस्त्रां खुलने की खूब चर्चा हो रही है। जिसे अपने आप को बाबा रामदेव का अनुयायी कहने वाले दो सज्जनों द्वारा "पौष्टिक" नाम से पंजाब के जीरकपुर इलाके में खोला गया है। उनका दावा है कि उनके द्वारा सिर्फ पतंजलि के उत्पाद ही उपयोग में लाए जाते हैं। वैसे तो उनके अनुसार अभी बाबा रामदेव की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली है, जिसके लिए उन्होंने आवेदन कर रखा है, फिर भी उनके रेस्त्रां में हर जगह बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के फोटो के साथ-साथ पतंजलि के उत्पादों से दीवालें सजी पड़ी हैं, यहां तक की उनके मेनू-कार्ड पर भी पतंजलि का 'लोगो' लगा हुआ है।

चाहता है। उसकी लोकप्रियता का फायदा उठाने के लिए लालायित हो रहा है। इसीलिए इस रेस्त्रां पर भी तुरंत भरोसा करने का मन नहीं हो पा रहा। हो सकता है कि इसके संस्थापकों की मंशा जन-हित की ही हो पर इससे नकारा भी नहीं जा सकता कि आज के समय में सिर्फ संस्था का नाम उपयोग कर लोगों को आकर्षित कर अपने को सफल करने का प्रयास किया जा रहा हो। आज जहां बाजार आर्गेनिक-आर्गेनिक के खेल में दस की चीज को सौ का बता खपाने में माहिर है। वहीँ आम-जन अपनी सेहत को लेकर कुछ भी खर्च करने को तत्पर नजर आता है। इसलिए शक की गुंजायश कुछ ज्यादा ही हो रही है।

6 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (27-04-2017) को पाँच लिंकों का आनन्द "अतिथि चर्चा-अंक-650" पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना चर्चाकार का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 97वीं पुण्यतिथि - श्रीनिवास अयंगर रामानुजन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
शास्त्री जी, स्नेह बना रहे
हर्ष जी,
हार्दिक धन्यवाद
मैने भी इस बारे में व्हाट्स एप पर पढ़ा था कि ऐसा रेस्तरा खुला है। सच्चाई बताने के लिए धन्यवाद। जिसका नाम एक बार चल गया लोग उसका फ़ायदा उठाने लगते है।
ज्योति जी,
सदा स्वागत है
एक टिप्पणी भेजें