मुहावरे या लोकोक्तियां यूं ही नहीं बन जाते इनमें वर्षों के अनुभवों का निचोड होता है। अब देखिए कर्नाटक में सत्ता पलटते ही और कुछ सिद्ध हो ना हो पर एक साथ कई मुहावरे सार्थक हो गये, जैसे घर का भेदी लंका ढाए, दो की लडाई में तीसरे का भला, बिल्ली के भाग छींका टूटा, हम तो डूबेंगे तुम्हे भी ले डूबेंगे, दो नावों का सवार कहीं नहीं पहुंचता।
ऐसे ही अर्थों वाले और मुहावरे भी अपने औचित्य पर मुस्कुराने लगे हैं।
3 टिप्पणियां:
सब सिद्ध कर दिया है..
और यह अक्सर सच होते हैं :)
सही कह रहे हैं.
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