रविवार, 18 मई 2025

भगत, किसिम-किसिम के

भक्त ! यह शब्द सुनते ही जो तस्वीर दिमाग में उभरती है वह होती है किसी ऐसे इंसान की जो प्रभु के प्रति पूर्णतया समर्पित हो ! जो अपने इष्ट के प्रति आस्था, समर्पण तथा अटूट श्रद्धा रखता हो !द्वापर में प्रभु ने भक्तों के चार प्रकार बताए थे ! आज द्वेष-भावना तथा कुंठित मनोदशा के चलते, भक्त जैसे सुंदर शब्द का अर्थभक्ष्य कर, एक  उपसर्ग लगा तीर बना, वक्रोक्ति की तरह अपने राजनितिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा है , आज के तथाकथित ऐसे भक्तों के भी चार ही प्रकार हैं.............!                            

#हिन्दी_ब्लॉगिंग 

भक्त ! यह शब्द सुनते ही जो तस्वीर दिमाग में उभरती है वह होती है किसी ऐसे इंसान की जो प्रभु के प्रति पूर्णतया समर्पित हो ! जो अपने इष्ट के प्रति आस्था, समर्पण तथा अटूट श्रद्धा रखता हो ! प्रभु के बाद गुरु इस श्रेणी में आते हैं ! वैसे तो पूजा, वंदना, कीर्तन, अर्चना करने वाले सभी लोग भक्त कहलाते हैं। गीता में इनके चार प्रकारों का उल्लेख है ! इनमें सच्चा भक्त वह कहलाता है जो निष्काम होता है, उसे अपने प्रभु को छोड़ और कुछ नहीं चाहिए होता ! यह तो हुआ भक्त शब्द का असली अर्थ या उसकी परिभाषा ! 

अपने यहां सदा से ही अलग-अलग विचारधाराओं के राजनितिक दल अपने विपक्षियों को नीचा दिखाने के लिए तरह-तरह के हथकंडों का इस्तेमाल करते रहे हैं ! उन्हीं में से एक है शब्द-बाण यानी बातों के तीर ! आज द्वेष-भावना तथा कुंठित मनोदशा के चलते, भक्त जैसे सुंदर शब्द का अर्थभक्ष्य कर, एक उपसर्ग लगा तीर बना, वक्रोक्ति की तरह अपने राजनितिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा है ! द्वापर में प्रभु ने भक्तों के चार प्रकार बताए थे ! आज के भक्तों के भी चार ही प्रकार हैं ! उन्हीं का विश्लेषण !

आधुनिक भक्त 
अंधभक्त - ये उन लोगों के लिए वितृष्णा के साथ प्रयोग में लाया जाता है, जिन्हें तथाकथित रूप से सत्ता पर काबिज दल के हिमायती के रूप में देखा जाता है ! पर असलियत में ऐसा है नहीं ! कुछेक को छोड़ कर हमारे देश के लोग, जब तक मोह-भंग न हो जाए या असलियत सामने ना आ जाए, तब तक हर उस इंसान या दल का साथ देने को तत्पर रहते हैं, जिसको वह देश-हितैषी समझते हैं ! आजादी के बाद से कई बार इसके उदाहरण मिलते रहे हैं ! ऐसे लोग बहुत भावुक होते हैं। देश के लिए समर्पित। इसीलिए कभी-कभी भावनाओं के वश में हो धूर्तों के वाग्जाल में फंस, धोखे में आ, उनको भी सर पर बैठा लेते हैं ! पर सच सामने आते ही उन्हें धूल चटाने से भी बाज नहीं आते ! कुछ लोग इन्हीं लोगों की भावनाओं से कुंठित और लगातार अपनी अवनति के चलते, उन्हें व्यंग्यात्मक शब्दों का निशाना बना लेते हैं ! पर सच्चाई यही है कि इस श्रेणी के भक्तों के लिए कोई इंसान नहीं, देश सबसे पहले और सर्वोपरि होता है !

बेशर्मभक्त - ये वे अनुयायी होते हैं, जो अपने इष्टों के भूतकालीन कुकर्मो, दुष्कर्मों को जानते हुए भी उसके दुर्गुणों का, उसके दुष्कर्मों का बेशर्मी से बचाव करते नहीं शरमाते ! अपने स्वामी की दुर्बुद्धि को भी विश्वस्तरीय अक्लमंदी स्थापित करने में जी-जान से लगे रहते हैं ! चारणाई में इनका विश्व में कोई सानी नहीं होता ! मालिक बैठने को बोले तो ये लेटने को तत्पर रहते हैं ! इनकी अपनी कोई जमीन नहीं होती, इसलिए अपने स्वामी की दूकान को चलायमान रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते ! इनके लिए अपने मालिक की झूठी ही सही, आन-बान के सामने किसी भी चीज यानी किसी भी चीज की कीमत कोई मायने नहीं रखती ! वैसे भक्त की जगह इन्हें जर-खरीद गुलाम कहा जाना ज्यादा सही है !

निर्लज्जभक्त - इनका तो कहना ही क्या ! इनका मालिक यदि नर संहार भी करवा दे तो भी ये मरने वालों को ही दोषी ठहरा उन्हीं को गरियाते रहेंगे ! इनके द्वारा अपने आका को, दुनिया का हर कुकर्म करने के बावजूद सबसे बुद्धिमान, चतुर, सच्चा तथा ईमानदार स्थापित करने का गुर आता है ! ये सदा अपने विरोधी पक्ष को संसार का सबसे बड़ा दुराचारी, भ्रष्टाचारी, देशद्रोही निरूपित करते रहते हैं ! इनके आत्ममुग्ध बॉस के दो चेहरे होते हैं। सार्वजनिक जीवन में वह सदा मुखौटा लगाए रहता है ! दोगलेपन का वह शातिर खिलाड़ी होता है ! इनके चेले अपने विरुद्ध हुए हर दोष का कारण विपक्षी को साबित करने में दिन-रात एक कर देते हैं ! साथ ही दुनिया के किसी भी अच्छे काम का श्रेय खुद लेने और सच को झूठ बनाने में इनका कोई जवाब नहीं होता !  

* स्वार्थी या मतलबीभक्त - जैसा नाम है वैसा ही इनका काम है ! ये किसी के नहीं होते ! इनका मालिक कोई इंसान नहीं, कुर्सी यानी सत्ता होती है ! जिसका प्रभुत्व होता है ये उसी का राग गाते हैं ! इनको सिर्फ अपने हित, अपने स्वार्थ से मतलब रहता है ! जिसकी सत्ता, ये उसी के ये भक्त होते हैं ! दिन में दो बार सत्ता बदल जाए तो ये भी तुरंत तोते की तरह आँख फेर लेते हैं !

इनके अलावा भी एक प्रजाति होती है पर उसे भक्त नहीं कहा जा सकता ! वे पेड कारकून होते हैं ! कई बार सड़कों पर उलटी-सीधी मांगों वाली तख्तियां उठाए ये नजर आ जाते हैं ! कहीं भीड़ इकट्ठी करनी हो ! बवाल मचाना हो ! अराजकता फैलानी हो ! जुलुस निकालना हो ! किसी की जय-जयकार करवानी हो तो इनका ''उपयोग'' किया जाता है ! इनको सिर्फ अपनी तनख्वाह या नोटों से मतलब होता है उसके लिए इनसे कुछ भी करवाया जा सकता है !  

आज की पोस्ट सिर्फ एक निष्पक्ष विश्लेषण है, जो अनुभव के आधार पर किया गया है ! इसमें कोई दुर्भाव, पूर्वाग्रह या किसी से द्वेष का रंचमात्र भी स्थान नहीं है, इसलिए अन्यथा ना लें ! यदि ले भी लेंगे तो भी सच्चाई तो सच्चाई ही रहेगी 😇   

@चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

4 टिप्‍पणियां:

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
बहुत बढ़िया
भगत किसम किसम के..
लाजवाब👌👌

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 20 मई 2025 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुधा जी,
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रवीन्द्र जी,
अनेकानेक धन्यवाद 🙏

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