एक बार अनजाने में बाबा जी को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के नीम करौली गांव के पास ट्रेन से उतार दिए जाने के बाद काफी कोशिशों और जद्दोजहद के बावजूद रेल गाड़ी एक इंच भी चल नहीं पाई थी ! उसके बाद उनसे विनम्रता पूर्वक क्षमा याचना कर, गाड़ी में सवार करवाने के पश्चात ही वह अपनी जगह से हिली थी ! तबसे उस अलौकिक घटनास्थल के नाम पर बाबा जी को नीम करौली बाबा कहा जाने लगा.......!
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कैंची धाम उत्तराखंड राज्य के नैनीताल शहर से 17 की.मी. की दूरी पर अल्मोड़ा-नैनीताल मार्ग पर भवाली नामक स्थान के पास स्थित है। इसकी स्थापना हनुमान जी के परम भक्त, नीब करौरी बाबा, जिनका असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था, द्वारा 1964 के दशक में 15 जून को एक छोटी सी पहाड़ी नदी शिप्रा के पास करवाई गई थी। वे अक्सर इस नदी के किनारे अपनी धुन में बैठे रहा करते थे। उस समय यहां दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं थी, पर ऐसे दो अनोखे घुमावदार मोड़ थे, जो कैंची जैसा आकार बनाते हैं, इसलिए जगह की पहचान के लिए इस आश्रम को कैंचीधाम का नाम दे दिया गया !
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कैंची धाम
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नीब करौरी बाबा या महाराज जी की गणना बीसवीं सदी के महान संतों में होती है। अपने जीवन काल में उन्होंने जगह-जगह भ्रमण करते हुए कई आश्रम तथा मंदिर बनवाए थे, जिनमें वृंदावन और कैंची धाम आश्रम प्रमुख हैं। अपने जीवन के उत्तरार्द्ध का काफी समय उन्होंने कैंची धाम में ही बिताया था। इस जगह पर आश्रम और हनुमान जी के मंदिर का निर्माण उन्होंने अपने दो स्थानीय शिष्यों, प्रेमी बाबा और सोमवारी महाराज की पूजा-अर्चना की सुविधा के लिए करवाया था।
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नीब करौरी बाबा |
बाबा जी के पानी को घी में बदलने, बच्चे की जान बचाने, अपने भक्त को धूप से बचाने के लिए बादलों की छतरी बनाने जैसे अनगिनत चमत्कारों की कहानियां हैं ! जिनमें सबसे प्रमुख वह घटना है जब बाबा जी को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के नीम करौली गांव के पास ट्रेन से उतार दिए जाने के बाद काफी कोशिशों और जद्दोजहद के बावजूद रेल गाड़ी एक इंच भी चल नहीं पाई थी और फिर उनसे विनम्रता पूर्वक क्षमा याचना कर, गाड़ी में सवार करवाने के पश्चात ही वह अपनी जगह से हिली थी ! तबसे उस अलौकिक घटनास्थल के नाम पर बाबा जी को नीम करौली बाबा कहा जाने लगा।
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हनुमान प्रतिमा |
हमेशा एक कंबल ओढ़े रहने वाले बाबा के आर्शीवाद के लिए भारतीयों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी विदेशी हस्तियां भी उनके आश्रम पर आती रही हैं। पं. गोविंद वल्लभ पंत, डॉ. सम्पूर्णानन्द, राष्ट्रपति वीवी गिरि, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरुप पाठक, जवाहर लाल नेहरू, जुगल किशोर बिड़ला, महाकवि सुमित्रानन्दन पंत, जैसी महान हस्तियों के साथ-साथ कई विदेशी जाने-माने नाम यहां आकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते रहे हैं ! जिनमें फेसबुक और एप्पल जैसी कंपनियों के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और स्टीव जॉब भी शामिल हैं ! .jpg) |
आश्रम में प्रतिष्ठित बाबा जी की प्रतिमा |
वैसे तो सुरम्य, मनोरम, हरियाली से घिरे आश्रम में, जुलाई अगस्त को छोड़, साल भर कभी भी जाया जा सकता है। पर मार्च से जून और सितम्बर से नवंबर का समय सबसे उपयुक्त होता है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम और हवाई मार्ग के लिए पंतनगर हवाई अड्डा है, जहां से सड़क मार्ग से आगे जाया जा सकता है।  |
कृतार्थी |
कैंची धाम में साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, जो यहां पहुंच कर भक्तिभाव व श्रद्धा से बाबा का दर्शन कर कृतार्थ होते हैं। प्रतिवर्ष 15 जून को आश्रम के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर यहां एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन किया जाता है। ऐसी दृढ आस्था और मान्यता है कि यहां पर श्रद्धा एवं विनयपूर्वक की गई प्रार्थना कभी भी व्यर्थ नहीं जाती। यहां पर हर मनोकामना हमेशा पूर्ण होती है।
@एक के अलावा, सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से
2 टिप्पणियां:
सुंदर प्रस्तुति
आभार, ओंकार जी 🙏
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