गुरुवार, 28 अगस्त 2014

क्या आँखों देखा सदा सच होता है ?

सदा से धारणा रही है की कानों सुनी पर विश्वास नहीं करना चाहिए, जब तक कि आँखों से देख नहीं लिया जाए. पर क्या आँखें सदा सच दिखलाती हैं ?  नीचे दिए चित्र तो कुछ और ही बताते हैं :-

लगता नहीं कि मोहतरमा जादुई कालीन पर खड़े हो भाषण दे रही हैं ? 


ये क्या ?  इतना धुँआ वह भी मूर्ती के बिगुल से ?

गजब! मुंह से इन्द्रधनुष 



ये कौन है भाई ? अर्द्ध घोडीश्वर 
तो अब क्या विचार है ?  

3 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर चित्रावली।

Dexter the Tester ने कहा…

nice compilation



https://dexterthetester.blogspot.in

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी, ब्लॉग पर सदा स्वागत है

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