शनिवार, 22 नवंबर 2008

ग्रहों की कहानी पुराणों की जुबानी : 1, शनी

शनि, भगवान सूर्य तथा छाया के पुत्र हैं। इनकी दृष्टि में जो क्रूरता है, वह इनकी पत्नी के शाप के कारण है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, बचपन से ही शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे। बड़े होने पर इनका विवाह चित्ररथ की कन्या से किया गया। इनकी पत्नि सती-साध्वी और परम तेजस्विनी थीं। एक बार पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से वे इनके पास पहुचीं पर ये श्रीकृष्ण के ध्यान में मग्न थे। इन्हें बाह्य जगत की कोई सुधि ही नहीं थी। पत्नि प्रतिक्षा कर थक गयीं तब क्रोधित हो उसने इन्हें शाप दे दिया कि आज से तुम जिसे देखोगे वह नष्ट हो जाएगा। ध्यान टूटने पर जब शनिदेव ने उसे मनाया और समझाया तो पत्नि को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ, किन्तु शाप के प्रतिकार की शक्ति उसमें ना थी। तभी से शनिदेव अपना सिर नीचा करके रहने लगे। क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा किसीका अनिष्ट हो।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह यदि रोहिणी-शकट भेदन कर दें तो पृथ्वी पर बाराह वर्ष का अकाल पड़ जाय और प्राणियों का बचना मुश्किल हो जाय। कहते हैं यह योग राजा दशरथ के समय में आने वाला था। जब ज्योतिषियों ने राजा को इस बारे में बताया तो प्रजा को बचाने के लिए दशरथ नक्षत्रमण्डल में पहुंच गये। वहां जाकर पहले उन्होंने शनिदेव को प्रणाम किया फिर पृथ्वी वासियों की भलाई के लिए क्षत्रिय धर्म के अनुसार युद्ध का आह्वान किया। शनिदेव उनकी कर्तव्यनिष्ठा से परम प्रसन्न हुए और वर मांगने को कहा। राजा दशरथ ने वर मांगा कि जब तक सूर्य, नक्षत्र आदि विद्यमान हैं, तबतक आप शटक-भेदन ना करें। शनिदेव ने उन्हें यह वर देकर संतुष्ट कर दिया।
शनि के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। इनका वर्ण इन्द्रनीलमणी के समान है। वाहन गीध तथा रथ लोहे का बना हुआ है। ये अपने हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। यह एक-एक राशि में तीस-तीस महीने रहते हैं। यह मकर व कुम्भ राशि के स्वामी हैं तथा इनकी महादशा 19 वर्ष की होती है। इनका सामान्य मंत्र है - "ऊँ शं शनैश्चराय नम:" इसका श्रद्धानुसार रोज एक निश्चित संख्या में जाप करना चाहिए।

5 टिप्‍पणियां:

P.N. Subramanian ने कहा…

शनि देव की जानकारी के लिए आभार. ये हनुमान से क्यों डरते हैं? अब अगला कौनसा ग्रह होगा.
http://mallar.wordpress.com

विवेक सिंह ने कहा…

जानकारी का आभार !

Anil Pusadkar ने कहा…

जानकारी बढाने के लिये आभार आपका.

राज भाटिय़ा ने कहा…

भारत मै तो कई गरीबो के लिये आज कल अकाल ही पडा लगता है,
बहुत ही सुंदर जानकारी दी आप ने.
धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

subramanian jee
नमस्कार
ऐसी कथा है कि अपने लंका अभियान के दौरान हनुमानजी ने रावण के द्वारा बंदी बनाए गये सारे ग्रहों को मुक्ति दिलाई थी। तब शनिदेव के प्रसन्न हो उनसे वरदान मांगने पर हनुमानजी ने अपने भक्तों पर कृपा रखने का वरदान मांगा था। इसीलिए कहा जाता है कि हनुमानजी के भक्त शनिदेव के कोप से बचे रहते हैं।

अगला ग्रह - सूर्यदेव

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