tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post7609554891300362443..comments2024-03-29T03:30:17.212+05:30Comments on कुछ अलग सा: यहाँ होती है, संसार की सर्वोत्तम भांग की खेती.गगन शर्मा, कुछ अलग साhttp://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-46948194440049013902009-12-13T16:20:48.763+05:302009-12-13T16:20:48.763+05:30Gyanvardhan hua...abhar.Gyanvardhan hua...abhar.KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-42331742801859847632009-12-13T15:46:06.016+05:302009-12-13T15:46:06.016+05:30.
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आदरणीय गगन शर्मा जी,
अच्छा आलेख, आभार!
धीर....<br />.<br />.<br />आदरणीय गगन शर्मा जी,<br /><br />अच्छा आलेख, आभार!<br /><br />धीरू सिंह जी सही कह रहे हैं हेरोईन केवल अफीम से ही बन सकती है,<a href="http://en.wikipedia.org/wiki/Heroin" rel="nofollow">देखिये यहां पर...</a><br /><br /><br /><a href="http://www.himadventures.net/downreport/malana.htm" rel="nofollow">मलाना गांव अपनी उच्च क्वालिटी की चरस के लिये मशहूर है,</a> चरस ही वह 'काला पदार्थ' है जो पौधे के रस को सुखा कर बनता है, सबसे अच्छी चरस पौधे के पुष्पक्रम को हथेली पर मल-मल के बनती है, आप स्थानीय लोगों को ऐसा करते देख सकते हैं, रस हथेली पर काले पदार्थ के रूप में सूख जाता है, जिसे खुरच कर निकाला जाता है फिर सिगरेट के तंबाकू के साथ मिलाया, सिगरेट में भरा... और वाह!!!... एक दूसरी दुनिया में पहुंच जाता है आदमी।<br /><br />एक और बात जो महत्वपूर्ण है कि गांव वासियों के पूर्वज ग्रीक थे। आज भी उनमें और प्राचीन ग्रीक सभ्यता में कई साम्य हैं।<br />स्थानीय नेताओं के स्वार्थों के चलते यहां कानून का कोई दखल नहीं है और चरसियों का यह 'स्वर्ग' फलफूल रहा है... प्राचीन संस्कृति (???) को बचाये रखने के नाम पर...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-24822057315332099982009-12-13T14:09:15.345+05:302009-12-13T14:09:15.345+05:30इस जानकारी के लिये धन्यवाद!इस जानकारी के लिये धन्यवाद!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-60341596671225016562009-12-13T11:27:50.454+05:302009-12-13T11:27:50.454+05:30मयंक जी,
आपसे पूरी तरह सहमत हूं। वहां जो देखा वह स...मयंक जी,<br />आपसे पूरी तरह सहमत हूं। वहां जो देखा वह सोचनीय था। हर एक का ध्यान सिर्फ भांग की फसल पर ही होता है। यहां तक कि पढाने वाले भी अच्छी बुरी पैदावार का ही ज्यादा ख्याल रखते हैं। सब कुछ अवैध होने पर भी पुलिस वहां तक जाने की हिम्मत नहीं कर पाती।<br />पर एक बात है यदि आप वहां त्योहार के दिनों में जाते हैं तो आपके खाने-पीने-रहने का सारा जिम्मा गांव वाले उठाते हैं, बस साथ में किसी जानकार का होना जरूरी है।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-18133408803906365282009-12-13T08:48:42.599+05:302009-12-13T08:48:42.599+05:30नवीन जानकारी ! शुक्रिया ।नवीन जानकारी ! शुक्रिया ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-12023410024779133992009-12-12T21:13:24.261+05:302009-12-12T21:13:24.261+05:30जानकारी तो नई है परन्तु चिन्ता की बात यह है कि इसक...जानकारी तो नई है परन्तु चिन्ता की बात यह है कि इसका प्रयोग भी भारत के लोगों को बरबाद करेगा!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-20961273087287423362009-12-12T19:05:00.340+05:302009-12-12T19:05:00.340+05:30एक नई जानकारी..आभार.एक नई जानकारी..आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-58723184165892769782009-12-12T19:00:40.450+05:302009-12-12T19:00:40.450+05:30मलाणा जाना हुआ था। वहीं इसके अजीब पौधे को देखा था।...मलाणा जाना हुआ था। वहीं इसके अजीब पौधे को देखा था। मैदानों में यह छोटे-छोटे पौधों के रूप में पायी जाती है, पर वहां तो यह छोटे-मोटे गन्ने के रूप में दिखी। वहीं यह जानकारी मिली कि पहले इसे पत्थरों पर पीट-पीट कर इसका रस निकालते हैं जो सूख कर काले रंग के ठोस पदार्थ में बदल जाता है जिसको रासायनिक क्रियाएं से गुजारने के बाद हिरोईन के रूप में बदल दिया जाता है।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-28064385832670935742009-12-12T18:37:35.961+05:302009-12-12T18:37:35.961+05:30भान्ग से हेरोइन नही बनती है . अफ़ीम से बनती है . ऎ...भान्ग से हेरोइन नही बनती है . अफ़ीम से बनती है . ऎसा मैने कही पढा हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com