tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post1785771314327786766..comments2024-03-29T03:30:17.212+05:30Comments on कुछ अलग सा: बंगाल का दिल कलकत्ता और कलकत्ते का दिल धर्मतल्ला यानि चौरंगी यानि एसप्लेनेडगगन शर्मा, कुछ अलग साhttp://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-55683769955403308882012-04-06T09:13:54.060+05:302012-04-06T09:13:54.060+05:30राजेन्द्रजी, मौका मिलते ही जरूर जाएं। गुणी-जनों के...राजेन्द्रजी, मौका मिलते ही जरूर जाएं। गुणी-जनों के लिए यह शहर सदा बाहें पसारे रहता है।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-49390350621903683792012-04-05T10:16:07.350+05:302012-04-05T10:16:07.350+05:30♥
आदरणीय गगन शर्मा जी
सादर नमस्कार !
तब ...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />♥</a></b><br /><b> </b><br /><br /><b><i> आदरणीय गगन शर्मा जी </i></b> <br />सादर नमस्कार !<br /><br /><b> तब कलकत्ता, कलकत्ता ही हुआ करता था, कोलकाता नहीं !</b> पढ़ कर स्मृतियों की वीथियों में भटकने चला गया मन … … …<br /><b> </b>मैं कलकता कभी नहीं गया <b>मेरे बाबूजी </b> अपने बचपन की बातें बताया करते थे कलकत्ता के बारे में… … …<br />उदासी-सी तारी हो रही है …… <br /><br /># कवि हूं, दो-चार बार आमंत्रण मिले भी कलकत्ता आने के … इसी होली से पहले भी निमंत्रित था…<br /> लेकिन कभी संयोग नहीं बन पाया <br />आपके आलेख ने कलकत्ता के लिए मन में बसे एक 'चार्म' ने अंगड़ाई ली है …<br /> चित्रों के लिए आभार !<br /><br /><b>शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित… </b> <br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-24258012559314043842012-04-05T10:00:06.529+05:302012-04-05T10:00:06.529+05:30शिवम.....जी, जी लगा रहने दें :-)
कितना अच्छा लगता...शिवम.....जी, जी लगा रहने दें :-) <br />कितना अच्छा लगता है इस तरह के अनोखे संबन्ध बनने से। जिनके लिए शब्द ही ना मिलते हों। मैंने अनदेखे अपनों का नाम दिया हुआ है। <br />'यह सर जी बहुत भारी लग रहा है।'गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-90154790620527795392012-04-05T02:36:09.934+05:302012-04-05T02:36:09.934+05:30शर्मा सर जी 78 मे मैं सिर्फ एक साल का था ... और अब...शर्मा सर जी 78 मे मैं सिर्फ एक साल का था ... और अब आपसे निवेदन है कि मुझे केवल शिवम ही कहे ... मेरे पिता जी वही पास मे जो सिगरेट फैक्टरी थी NTC उस मे काम करते थे ... 1994 मे उनका रिटायरमेंट हो गया फिर 1997 मे हम सब मैनपुरी आ गए ! <br /><br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/04/blog-post_05.html" rel="nofollow">इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - कब तक अस्तिनो में सांप पालते रहेंगे ?? - ब्लॉग बुलेटिन </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-55492952044427155282012-04-04T20:11:00.733+05:302012-04-04T20:11:00.733+05:30अरे, मेरी पहली नौकरी भी आपके पास ही लगी थी, कमरहट्...अरे, मेरी पहली नौकरी भी आपके पास ही लगी थी, कमरहट्टी में स्थित कमरहट्टी जूट मील में। वहां 78 तक था मैं। पिताजी कांकीनाडा में रिलायंस जूट मील में थे।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-41992946849934357952012-04-04T19:44:24.364+05:302012-04-04T19:44:24.364+05:30शर्मा जी ,
मैं बैरकपुर से लगभग 5 - 6 स्टॉप पहले अग...शर्मा जी ,<br />मैं बैरकपुर से लगभग 5 - 6 स्टॉप पहले अगरपाड़ा मे रहता था ! 1997 तक हम लोग वहाँ रहे फिर मैनपुरी आ गए और तब से यहाँ ही है !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-79525944065682479532012-04-04T18:42:19.604+05:302012-04-04T18:42:19.604+05:30शिवमजी,
बचपन से लेकर करीब 35 साल वहां गुजरे हैं। ...शिवमजी, <br />बचपन से लेकर करीब 35 साल वहां गुजरे हैं। कहां भूल पाया जाएगा वह समय। वैसे आप कहां रहा करते थे?<br />मेरा आधा समय हावडा लाइन पर स्थित 'कोननगर' तथा बाकि सियालदह लाइन पर बैरकपुर के आगे 'कांकिनाडा में व्यतीत हुआ था। स्कूल कालेज सब कलकत्ता में ही निपटा था।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-10045342804908768542012-04-04T18:41:42.532+05:302012-04-04T18:41:42.532+05:30प्रवीणजी, यह शहर ही ऐसा है, पता नहीं क्या बात है भ...प्रवीणजी, यह शहर ही ऐसा है, पता नहीं क्या बात है भुलाए नहीं भूलता।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-10191462912671957492012-04-04T18:39:31.621+05:302012-04-04T18:39:31.621+05:30शाहजी, ट्राम को भी कयी अच्छे-बुरे समय से गुजरना पड...शाहजी, ट्राम को भी कयी अच्छे-बुरे समय से गुजरना पडा है। पर अब उसे 'हेरीटेज' का दर्जा प्राप्त हो गया है। रही हाथ रिक्शे की बात तो वह अमानवीय तो था ही।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-34745018370283127732012-04-04T18:36:50.651+05:302012-04-04T18:36:50.651+05:30शिवमजी,
बचपन से लेकर करीब 35 साल वहां गुजरे हैं। ...शिवमजी, <br />बचपन से लेकर करीब 35 साल वहां गुजरे हैं। कहां भूल पाया जाएगा वह समय। वैसे आप कहां रहा करते थे?<br />मेरा आधा समय हावडा लाइन पर स्थित 'कोननगर' तथा बाकि सियालदह लाइन पर बैरकपुर के आगे 'कांकिनाडा में व्यतीत हुआ था। स्कूल कालेज सब कलकत्ता में ही निपटा था।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-5189217755227467382012-04-03T22:00:49.261+05:302012-04-03T22:00:49.261+05:30कलकत्ता के दिन याद आ गये।कलकत्ता के दिन याद आ गये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-19689115327854375982012-04-03T20:12:57.337+05:302012-04-03T20:12:57.337+05:30शर्माजी इस पोस्ट को पढ़ कर पुरानी यादे ताजी हो गयी ...शर्माजी इस पोस्ट को पढ़ कर पुरानी यादे ताजी हो गयी !अब तो tramway भी लुप्त प्राय है ! मानव द्वारा खींचते रिक्से तो चार चाँद लगा देते है !G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-56975197507631578162012-04-03T00:07:18.779+05:302012-04-03T00:07:18.779+05:30अच्छी जानकारी दी....बहुत पहले एक बार हम भी कलकत्ता...अच्छी जानकारी दी....बहुत पहले एक बार हम भी कलकत्ता गये थे।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-75415100753268769412012-04-02T21:05:58.644+05:302012-04-02T21:05:58.644+05:30बखूब याद किया है आपने पुराने दिनों को ... मेरी भी ...बखूब याद किया है आपने पुराने दिनों को ... मेरी भी काफी सारी यादें जुड़ी हुयी है इस शहर से ... मेरी जन्मभूमि है कलकत्ता !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com