शनिवार, 3 अप्रैल 2010

नदी ने कहा जब तक तुझमें मिठास न आ जाए !!!

जिन्दगी जीने के सबके अपने-अपने फलसफे हैं :-

* जीवन में कामयाब होने के लिए तीन कारखाने लगाने की जरूरत है :-

1) दिमाग में बर्फ का कारखाना।

2) जुबान पर चीनी का कारखाना।

3) दिल में प्यार का कारखाना।



* एक दिन सागर ने नदी से पूछा, "कब तक मिलती रहोगी मुझ खारे पानी वाले से?"
नदी ने जवाब दिया, "जब तक तुझ में मिठास न आ जाये तब तक" !!!



* एक पेड़ से एक लाख माचिस की तीलियां बन सकती हैं। पर सिर्फ एक माचिस की तीली एक लाख पेड़ों को जला कर राख कर सकती है। उसी तरह एक नकारात्मक सोच सैकड़ों सपनों का नाश कर देती है।

इसलिये सदा सकारात्मक सोच को दिमाग में जगह दें।


* एक दोस्त ने मुझसे पूछा ,तुम सबको ई-मेल भेजते हो ? तुम्हे क्या मिलता है? मैंने हंस कर कहा, देना लेना तो व्यापार है, जो देकर कुछ न मांगे, वो ही तो प्यार है।

* अपने गम को अपने चेहरे की मुस्कान के पीछे छुपाओ,

बातें करो पर अपना दुख ना बताओ,

खुद ना रूठो कभी पर सब को मनाओ,

यही राज है जिंदगी का बस ऐसे ही जीते जाओ।

6 टिप्‍पणियां:

Jandunia ने कहा…

1) दिमाग में बर्फ का कारखाना।

2) जुबान पर चीनी का कारखाना।

3) दिल में प्यार का कारखाना।
अपनी जिंदगी में उतारकर देखेंगे।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर शर्मा जी लेकिन यह सब के लिये मुस्किल है जी....

Anil Pusadkar ने कहा…

शर्मा जी तीनो कारखाने लग जायें तो ये नही अगला जनम भी सुधर जाये।बहुत सही सलाह,कोशिश करेंगे मानने की,फ़िलहाल तो दिमाग में भट्ठी,ज़ुबान पर मिर्ची पाऊडर का ही कारखाना हैं।हां दिम मे ज़रुर प्यार भरा हुआ है,शायद इसिलिये टिके हुये हैं।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत प्रेरणादायक पोस्ट...पढ़ना अच्छा लगा....बधाई

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही अच्छी लगी आपकी सब बातें ... सार्थक लेखन है ... काश हम ऐसा कर पाते ...

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मुश्किल तो बहुत है। जब दिमाग में गुस्से का धूंआ भरता है तो फिर कुछ नहीं सूझता। पर दिन में एक बार तो कोशीश करी जा सकती है। शायद कोशीशें रंग ले ही आएं।

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