tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post7669135706461580841..comments2024-03-29T16:21:34.079+05:30Comments on कुछ अलग सा: क्या रावण सचमुच निंदा का पात्र है ?गगन शर्मा, कुछ अलग साhttp://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-11668754296336488062014-10-03T12:41:18.340+05:302014-10-03T12:41:18.340+05:30रामायण काल को विद्वान 5-6 हजार साल पुराना मानते है...रामायण काल को विद्वान 5-6 हजार साल पुराना मानते हैं, 8-9 करोड़ साल पहले का नहीं। गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-15297182148047515232011-04-25T20:45:52.369+05:302011-04-25T20:45:52.369+05:30अनवर जी,
जैसा कि पुस्तकें और ज्ञानी जन बताते हैं। ...अनवर जी,<br />जैसा कि पुस्तकें और ज्ञानी जन बताते हैं। अलग-अलग समय मे अलग-अलग महापुरुषों का इस धरती पर प्रादुर्भाव होता रहा है। उनके जाने-अनजाने उनके शिष्यों, अनुयायियों या अनुरागियों द्वारा अपने इष्ट की महत्ता को महत्वपूर्ण बनाने, करने के लिए स्थापित छवियों को धुमिल करने के प्रयास होते रहे हैं। उन्हीं प्रयासों के कारण आज उपलब्ध कथानकों का यह रूप हमारे सामने है। <br /><br />रही वाल्मीकी जी की बात तो वह जन्म से ब्राह्मण नहीं थे। आखेट उनका पेशा था। जैसा कि प्रसंगों में आता है, नारद जी के समझाने पर उन्होंने राम नाम में मन लगाया था। वैसे भी वे राम-रावण के समकालीन थे तो घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी भी थे। इसलिए पक्षपात की बात कुछ गले नहीं उतरती।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-55636770765290983012011-04-23T13:32:40.397+05:302011-04-23T13:32:40.397+05:30@ गगन शर्मा जी ! अगर आप बाल्मीकि रामायण में लक्ष्म...@ गगन शर्मा जी ! अगर आप बाल्मीकि रामायण में लक्ष्मण जी के विचार और कथन पढ़ेंगे तो आपको मालूम हो जाएगा कि रावण में अहंकार भी नहीं था। रामायण में विलेन रावण को अनेक बार महात्मा कहा गया है , उसे ज्ञानी , सुंदर , पराक्रमी और कुशल प्रशासक कहा गया है । सीता माता और स्त्री पात्रों के साथ उसके व्यवहार को इतना उत्तम दिखाया गया है कि कथा के नायक श्री रामचंद्र जी का क़द भी उसके सामने छोटा पड़ जाता है । कथाकार कहता है कि राजा दशरथ 60 हज़ार साल तक कोई बच्चा पैदा न कर पाए तो एक जवान ब्राहमण को बुलाकर अश्वमेध यज्ञ किया । सरयू के किनारे माता कौशल्या ने घोड़े के साथ ब्राह्मणों की बताई रीति से व्यवहार किया । ऐसा घिनौना प्रकरण कथाकार ने श्री रामचंद्र जी के साथ क्यों रचा ?<br />इसी प्रकार कथाकार ने जानबूझ कर रामकथा में जगह जगह ऐसे प्रकरण पिरोये हैं जो न तो न्याय और नैतिकता के अनुरूप हैं और न ही संभव हैं । आदर्श व्यक्ति झूठ नहीं बोलता , औरत पर हाथ नहीं उठाता और प्रणय निवेदन करती हुई औरत पर तो क़तई भी नहीं , क्षत्रिय कभी भागते हुए शत्रु को नहीं मारता तो छिपकर भला क्यों मारेगा ?<br />आग में गुज़रने की परीक्षा औरत से कोई बुद्धिजीवी नहीं लेता और झूठे आरोप पर कोई पति और राजा अपनी पत्नी और अपने नागरिक के मानवाधिकारों का हनन नहीं करता और गर्भावस्था में तो आज का पतित समाज भी किसी बुरी औरत तक के साथ बदसुलूकी की इजाज़त नहीं देता । तब मर्यादा की स्थापना के लिए जन्मे सदाचारी श्री रामचंद्र जी एक सती के साथ उसकी इच्छा और न्याय के विपरीत उसका निर्वासन कैसे कर सकते हैं जबकि लक्ष्मण जी भी इसे अन्याय बताते हुए उन्हें सीता परित्याग से रोकते ही रहे ?<br />इन सभी सवालों के जवाब हमें तब मिल जाते हैं जब हम देखते हैं कि इसी कथाकार ने रावण के चरित्र में इतने दोष नहीं दिखाए , आख़िर क्यों ?<br />क्या इसके पीछे ब्राह्मण कथाकार बाल्मीकि का ब्राह्मण रावण के प्रति किसी प्रकार का मोह था ?<br />या ऐसे सभी प्रसंग बाद के ब्राह्मणों ने क्षेप (चेप) दिए ?<br />यह पूरी रामायण भी बाद की लिखी हो सकती है क्योंकि भाषा विज्ञान के आधार पर भी यह रामायण 8-9 करोड़ साल पुरानी साबित नहीं होती जोकि श्री रामचंद्र का काल माना जाता है ।<br />इन बातों पर न्यायपूर्वक विचार किया जाए तो रामकथा पर उठने वाली बहुत सी आपत्तियों का निराकरण हो जाता है ।<br />आप एक ज्ञानपसंद आदमी लगते हैं , सो कुछ तथ्य आपके सामने रख दिए हैं ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-4316305975942736052011-04-22T23:10:30.146+05:302011-04-22T23:10:30.146+05:30विचारोत्तेजक आलेख।विचारोत्तेजक आलेख।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-41385620126389777262011-04-22T19:31:01.458+05:302011-04-22T19:31:01.458+05:30भगवान की लीला भगवान ही जानते है.भगवान की लीला भगवान ही जानते है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-19395872408609341632011-04-22T17:58:31.003+05:302011-04-22T17:58:31.003+05:30ब्रह्मा जी का पुत्र भी यदि राह भटक जाए तो भूला ही ...ब्रह्मा जी का पुत्र भी यदि राह भटक जाए तो भूला ही कहेंगे ना ???चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-80984391579406757182011-04-22T17:51:09.375+05:302011-04-22T17:51:09.375+05:30निंदा रावण में व्याप्त बुराईयों की होती है।
रावण त...निंदा रावण में व्याप्त बुराईयों की होती है।<br />रावण तो एक पात्र है बुराईयों को दिखाने का।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-71501037028167347232011-04-22T17:49:15.875+05:302011-04-22T17:49:15.875+05:30रावण जैसा महान विद्वान कौन था ... लेकिन एक गलती और...रावण जैसा महान विद्वान कौन था ... लेकिन एक गलती और उसके अहंकार ने उसे इस संसार में निंदा का पात्र बना दिया ...शिवाhttps://www.blogger.com/profile/14464825742991036132noreply@blogger.com