tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post7298406760364843996..comments2024-03-28T11:13:49.811+05:30Comments on कुछ अलग सा: क्या देवी-देवताओं को वाहनों की जरूरत पड़ती है?गगन शर्मा, कुछ अलग साhttp://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-79484574344273828482011-07-21T17:27:17.605+05:302011-07-21T17:27:17.605+05:30ललितजी, सिर्फ छिद्रावेंषण ही किसी का लक्ष्य हो तो ...ललितजी, सिर्फ छिद्रावेंषण ही किसी का लक्ष्य हो तो आप उसे समझा नहीं सकते। अब देखिए जिसकी खोज सिंह, गरुड़ या मकर तक ही सीमीत हो उसे कैसे आप समझाएंगे कि अधुरे ज्ञान से बात का बतंगड़ बन जाता है। अब किसी को विष्णु, वामन, सूर्य,वायु, इंद्र, सुमेरु,बृहस्पति, कार्तिकेय, समुद्र, उच्चैश्रवा, ऐरावत, कामधेनु इत्यादि-इत्यादि प्रतिरुप नजर ना आएं या जानता ही ना हो या अगला जानना ही ना चाहे तो आप लाख जोर लगा लें कुछ होने वाला नहीं। तो छोड़िए क्यों दिमाग और समय खराब करना।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-66997910170496048802011-07-20T19:38:30.201+05:302011-07-20T19:38:30.201+05:30वैदिक काल में शिल्पकार अभियंता पशु पक्षियों की विश...वैदिक काल में शिल्पकार अभियंता पशु पक्षियों की विशेषता को ध्यान में रखकर वाहनों का निर्माण करते थे। फ़िर उसी विशेषता के आधार पर उनका नामकरण भी होता था।<br />मानव को विमान एवं वाहन बनाने की प्रेरणा अपने आस-पास रहने वाले पशु पक्षियों से ही मिली। इस विषय पर एक पोस्ट और बनती है।<br />रही कृष्ण जी द्वारा सिंह, मगरमच्छ और गरुड़ का उल्लेख करने की बात तो इस संदेश के शब्दार्थ एवं तत्वार्थ में जमीन आसमान का फ़र्क है। इसके तत्वार्थ को समझने से प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-2001086920576288012011-07-18T15:40:47.304+05:302011-07-18T15:40:47.304+05:30अनवरजी,आपकी नाराजगी की वजह क्या है यह साफ पता नहीं...अनवरजी,आपकी नाराजगी की वजह क्या है यह साफ पता नहीं चल रहा। मेरा विषय पशु-पक्षी संरक्षण का था पता नहीं आप क्या समझ रहे हैं।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-91224424912319864112011-07-18T09:07:35.137+05:302011-07-18T09:07:35.137+05:30Aapke is behtareen article ke liye badhai. Maine h...Aapke is behtareen article ke liye badhai. Maine http://fresh-cartoons.blogspot.com par iska link joda hai.अशोक कुमार शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00322447925425282794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-84371999988983006942011-07-18T07:06:38.393+05:302011-07-18T07:06:38.393+05:30शायद यही सच्चाई हो बहुत बहुत आभारशायद यही सच्चाई हो बहुत बहुत आभारSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-1629906283745422132011-07-17T23:37:20.092+05:302011-07-17T23:37:20.092+05:30गगन शर्मा जी ! यह पतन का काल चल रहा है। इसीलिए आप ...गगन शर्मा जी ! यह पतन का काल चल रहा है। इसीलिए आप ऐसी बात कह रहे हैं। प्राचीन भारत में आपके जैसा मिज़ाज नहीं था यहां के लोगों का। वे हरेक बात पर बहस और शास्त्रार्थ करते थे और सत्य को सामने लाने की हद भर कोशिश करते थे। एक पहलू तो यहां आपने रख ही दिया है, दूसरा हमने रख दिया। अगर यहां पहला पहलू न होता तो हम दूसरा भी न रखते।<br />आप क्या चाहते हैं कि केवल एक पहलू ही सामने आए और दूसरा सामने न आने पाए ?<br />इस तरह कभी किसी सभ्यता ने विकास नहीं किया और न ही कभी सत्य सामने आ पाया। <br />कृप्या विचार करें।<br /><br />धन्यवाद !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-7788126032193823252011-07-17T23:19:54.065+05:302011-07-17T23:19:54.065+05:30अनवरजी, धर्म और राजनीति पर बहस करनी बेकार है। दोनो...अनवरजी, धर्म और राजनीति पर बहस करनी बेकार है। दोनों का कोई अंत नहीं होता।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-68949272405196381862011-07-17T23:17:52.767+05:302011-07-17T23:17:52.767+05:30सुब्रमनियनजी, ऐसे ही एक ख्याल आया था मन में कि शाय...सुब्रमनियनजी, ऐसे ही एक ख्याल आया था मन में कि शायद उस समय भी मानव की हवस को नियंत्रित करने के उपाय किए गये हों, बस।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-58094789378529677462011-07-17T22:25:00.814+05:302011-07-17T22:25:00.814+05:30सोचने का एक पहलू यह भी है कि गीता में श्री कृष्ण ज...सोचने का एक पहलू यह भी है कि गीता में श्री कृष्ण जी ने सभी प्रधान चीज़ों में स्वयं का प्रतिरूप बताया है जैसे कि नक्षत्रों में स्वयं को चन्द्रमा बताया है, हालांकि यह बात और है कि चन्द्रमा को नक्षत्र कोई भी नहीं मानता। पेड़ों में ख़ुद को पीपल बताया है और आज पीपल पूजा जा रहा है। जब पशु-पक्षियों की बात आई तो उन्होंने स्वयं को सिंह, मगरमच्छ और गरूड़ बताया है। ये सभी मांसाहारी हैं। <br />श्री कृष्ण जी ने स्वयं को व्यक्त करने के लिए श्रेष्ठ पशु-पक्षियों के नाम पर मांसाहारी जीवों को ही क्यों चुना ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-79441246644398479382011-07-17T21:12:31.332+05:302011-07-17T21:12:31.332+05:30आपने तो सच्चाई ढून्ढ निकाली. बधाई और आभार भी.आपने तो सच्चाई ढून्ढ निकाली. बधाई और आभार भी.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-2325204074196587292011-07-17T17:58:34.397+05:302011-07-17T17:58:34.397+05:30हमें भी यही लगता है, ये निरीह पशु बचे रहें।हमें भी यही लगता है, ये निरीह पशु बचे रहें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-32245336591364456862011-07-17T17:57:31.149+05:302011-07-17T17:57:31.149+05:30जीवों पर दया दृष्टि बनी रहे
मूढ़ मनुष्य की ||
बधा...जीवों पर दया दृष्टि बनी रहे <br />मूढ़ मनुष्य की ||<br />बधाई |<br />बढ़िया प्रस्तुति ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com