tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post4266764911221455735..comments2024-03-29T03:30:17.212+05:30Comments on कुछ अलग सा: आपको लोग नाम से जानते हैं कि घर के नंबर से ?गगन शर्मा, कुछ अलग साhttp://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-90540890346243814202018-04-07T13:19:47.843+05:302018-04-07T13:19:47.843+05:30श्वेता जी,
कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है श्वेता जी,<br />कुछ अलग सा पर सदा स्वागत है गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-72497544830251707992017-10-08T17:45:28.601+05:302017-10-08T17:45:28.601+05:30@बंद दरवाजों की संस्कृति है......बिलकुल सही ! पर प...@बंद दरवाजों की संस्कृति है......बिलकुल सही ! पर पहले ऐसी तो ना थी !!गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-41548971813862209942017-10-08T17:43:28.362+05:302017-10-08T17:43:28.362+05:30ध्रुव जी,
ब्लॉग पर सदा स्वागत है ध्रुव जी,<br />ब्लॉग पर सदा स्वागत है गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-8142078213469509192017-10-08T13:52:06.679+05:302017-10-08T13:52:06.679+05:30वाह्ह्ह...बहुत सुंदर कविता मीना जी।सस्नेह बधाई।वाह्ह्ह...बहुत सुंदर कविता मीना जी।सस्नेह बधाई।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-57226892006772494162017-10-08T09:33:21.639+05:302017-10-08T09:33:21.639+05:30
रोबोट से यंत्रचालित
नापकर मुस्कुराते
तौलकर बोलते,...<br />रोबोट से यंत्रचालित<br />नापकर मुस्कुराते<br />तौलकर बोलते,<br />आत्मकेंद्रित,सभ्य और शालीन,<br />लोगों की यह बस्ती है.<br />यहाँ बड़ी शांति है <br /><br />अंतर्जाल के आभासी रिश्तों में<br />अपनापन ढूँढ़ने की कोशिश,<br />सन्नाटे से उपजता शोर<br />उस शोर से भागने की कोशिश !<br /><br />अशांत मनों की नीरव शांति !<br />यह महानगरों की<br />फ्लैट संस्कृति है,<br />बंद दरवाजों की संस्कृति है,<br />यहाँ बड़ी शांति है!<br /> फ्लैट संस्कृति में संवेदनाएँ भी गिरकर फ्लैट हो गई हैं!Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-22206505299970147082017-10-08T07:35:42.991+05:302017-10-08T07:35:42.991+05:30अत्यंत विचारणीय ! एवं मंथन योग्य विषय ! विचार करना...अत्यंत विचारणीय ! एवं मंथन योग्य विषय ! विचार करना होगा ! शुभकामनायें ,आभार'एकलव्य'https://www.blogger.com/profile/13124378139418306081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-59536996125658669042017-10-07T16:30:28.003+05:302017-10-07T16:30:28.003+05:30शास्त्री जी,
धन्यवाद शास्त्री जी,<br />धन्यवाद गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-69161859772448883872017-10-07T15:45:54.214+05:302017-10-07T15:45:54.214+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-10-2017) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"><br />"सलामत रहो साजना" (चर्चा अंक 2751) <br /> </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-28733565856203764982017-10-07T14:02:46.168+05:302017-10-07T14:02:46.168+05:30ज्योति जी,
सहमत हूँ पूरी तरह ! पर होगा कैसे यही च...ज्योति जी, <br />सहमत हूँ पूरी तरह ! पर होगा कैसे यही चिंता है गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-78851068026866196842017-10-07T12:06:50.447+05:302017-10-07T12:06:50.447+05:30आज हर किसी को सिर्फ़ अपनी ही पड़ी हैं। किसी दूसरे व्...आज हर किसी को सिर्फ़ अपनी ही पड़ी हैं। किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में सोचने की फुरसत ही नहीं हैं। लेकिन हम दूसरों को दोष देकर पल्ला नहीं झाड सकते हैं। हमें अपने आप को ही सुधारना होगा ताकि कुछ सुधार हो सके।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-83783040993127775632017-10-06T23:26:47.955+05:302017-10-06T23:26:47.955+05:30@atoot bandhan...पता नहीं आने वाला समय कैसा होगा !...@atoot bandhan...पता नहीं आने वाला समय कैसा होगा ! गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-62942431466601527552017-10-06T23:21:23.766+05:302017-10-06T23:21:23.766+05:30सुशील जी, अटपटा इस लिए लग रहा था क्योंकि दोनों घरो...सुशील जी, अटपटा इस लिए लग रहा था क्योंकि दोनों घरों में सिर्फ़ 15-20 गज का ही फासला है गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-33306834298121510242017-10-06T20:15:09.049+05:302017-10-06T20:15:09.049+05:30आज संवेदनहीनता बढती जा रही है | ये दृश्य हर शहर मे...आज संवेदनहीनता बढती जा रही है | ये दृश्य हर शहर में आम हैं | सब दुखी हैं पर सब वही कर रहे हैं | कहीं न कहीं हम सब दोषी हैं | सुधार भी हमें ही करना होगा | बहुत अच्छा विषय उठाया आपने | Atoot bandhanhttps://www.blogger.com/profile/03159968183922673399noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-76327677854925923472017-10-06T19:57:21.894+05:302017-10-06T19:57:21.894+05:30शोर कम कर के मना सकते थे अगर मनाना ही था लेकिन सम्...शोर कम कर के मना सकते थे अगर मनाना ही था लेकिन सम्वेदनाओं का होना शायद अच्छा नहीं माना जाता है इस जमाने में ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-76555113517107241202017-10-06T19:16:33.864+05:302017-10-06T19:16:33.864+05:30ब्लॉग बुलेटिन का आभार ब्लॉग बुलेटिन का आभार गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-66590663536490428612017-10-06T18:23:37.589+05:302017-10-06T18:23:37.589+05:30क्या कहा जाए श्वेता जी ! पर एक बात तो है हमें खुद ...क्या कहा जाए श्वेता जी ! पर एक बात तो है हमें खुद आगे बढ़ कर अपनापा बनाए रखना होगा। कुछ लोग (मेरे जैसे) झिझक के मारे ही अपने आप में सिमटे रहते हैं गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-76379984993970676822017-10-06T17:03:08.201+05:302017-10-06T17:03:08.201+05:30जी,आपने बिल्कुल सही लिखा है,आज तो जैसे हम संवेदनवि...जी,आपने बिल्कुल सही लिखा है,आज तो जैसे हम संवेदनविहीन होते जा रहे है।बहुत ही सोचनीय दशा है समाज की,सड़क पर चलते अनजान मुसाफिर और बगल में रहने वाले पड़ोसी मे मानो कोई अंतर ही न हो। पर शुक्र है अभी तक हमारे मुहल्ले में थोड़ा अपनत्व और अपनापन बचा हुआ है।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.com