tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post2622841512627975756..comments2024-03-29T03:30:17.212+05:30Comments on कुछ अलग सा: क्या होलिका किसी षडयंत्र का शिकार थी. होली पर विशेष.गगन शर्मा, कुछ अलग साhttp://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-72739143281263763892012-03-01T18:03:25.659+05:302012-03-01T18:03:25.659+05:30कुमार कार्तिकेयजी, यह कहानी एक अपनी सोच है। होलिका...कुमार कार्तिकेयजी, यह कहानी एक अपनी सोच है। होलिका कातिल कैसे हो गयी? उसने तो भाई के अत्याचार के सामने बचाव का कोई रास्ता ना देख अपनी जान न्योछावर कर दी। देवताओं द्वारा दिया गया वरदान खाली तो नहीं जाता उसने अपने वरदान का लाभ अपने भतीजे को दे स्वंय को मौत के घाट उतार दिया। यह तो उसका बलिदान ही हुआ न?गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-72543086638983312252011-03-18T01:18:47.183+05:302011-03-18T01:18:47.183+05:30Kahani bahut hi rochak aur gyanprad hai lekin kaha...Kahani bahut hi rochak aur gyanprad hai lekin kahani fir bhi baki hai dost.... HOLIKA kisi shadyantra ki shikar thi!!!! pooore kahani se ye to nahi laga, lekin ye jaroor laga ki swarth ki khatir usne apne pran se pyare bhatije ko marne ke shadyantra mein shamil ho gayi......... vartman samaj mein aise hadse hote hai.. kya we sabhi daya/ samman ke haqdar hai..... nahi...<br />Ye kahani sambandho ki maryada tatha ussme nihit pyar aur sneh ki nai vyakha karta hai......... "apne rishtedaro ke swabhao ki bhi parakh rakkhe, agar aisi waisi bat lage to sawdhan rahe aur ghar ke bujurgo ko suchit kare'<br />Prahalad ke case mein to ghar ke buzug hi shadyantra mein shamil the. Balak Prahlad ki taraf se soche aur shdyantra ki vyakhya ko review kare.<br /> Fir kahoonga kahano achhi thi, kai nai jankari mili par katil Holika kisi sadvawna ke kabil nahi thi..<br />Kumar Kartikeya<br />DelhiAdv Kartikeyahttps://www.blogger.com/profile/17594369860838469024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-58850139660082775752010-02-24T19:14:38.804+05:302010-02-24T19:14:38.804+05:30भाटिया जी,
पिछले साल भी होली पर यह सोच पोस्ट की थी...भाटिया जी,<br />पिछले साल भी होली पर यह सोच पोस्ट की थी। ईलोजी तथा होलिका के आपसी प्रेम की कथा पढने के बाद ऐसा लगा था कि हो सकता है मजबूरी में होलिका को यह कदम उठाना पड़ा हो। आज हिमांशु जी की टिप्पणी पढ कर विश्वास और पुख्ता हो गया।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-30684170850230896482010-02-24T13:13:46.833+05:302010-02-24T13:13:46.833+05:30कहानी चाहे कैसे भी बांची जाय पर उपदेश तो वही है बु...कहानी चाहे कैसे भी बांची जाय पर उपदेश तो वही है बुराई पर अच्छाई की जीत <br />पर विडंबना है कि आज हम इससे दूर होते जा रहे हैंshyam jagotahttps://www.blogger.com/profile/12365674485912010851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-43134272392137734492010-02-24T09:31:06.593+05:302010-02-24T09:31:06.593+05:30मेरे लिये तो यह एकदम नयी जानकारी है.मेरे लिये तो यह एकदम नयी जानकारी है.नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-48603364498536282852010-02-23T23:39:26.759+05:302010-02-23T23:39:26.759+05:30यह कथा मैंने बचपन में अपनी दादी से सुनी थी। उसमें ...यह कथा मैंने बचपन में अपनी दादी से सुनी थी। उसमें मात्र इतना स्पष्टीकरण जोड़ने को शेष है कि होलिका का वरदान एक 'ओढ़नी' के रूप में था जिसे ओढ़ने वाले को अग्निदेव जलाएँगे नहीं ऐसा चमत्कार उस ओढ़नी में निहित था। होलिका ने अपनी ममता पर अपने प्राणों को न्यौछावर किया इसीलिए होलिकादहन के पूर्वापर पाँच दिनों में 'सूतक' लागू माना जाता है जिसे अन्य शब्दों में 'पंचक' भी कहते हैं। 'सूतक' उस अवधि को कहते हैं जिस दौरान कुल में किसी मृत्यु या जन्म आदि के कारण 'अशौच' या अशुद्धि/अपवित्रता का लागू होना समझा जाता है। इस अवधि में किसी भी मांगलिक कार्य का निषेध होता है, मंत्रजप और मूर्ति-स्पर्श का भी। होलिका को यह सम्मान मिला कि उनके दहन की वर्षगाँठ को सभी के कुल में सूतक लागू माना जाता है। होलिका की प्रथम लपटों को सधवा स्त्रियों द्वारा देखे जाने का भी निषेध है।<br />यहाँ यह भी उल्लेखनीय होगा कि हमारी प्राचीन हिन्दू संस्कृति में किसी के दुर्गुणों मात्र के कारण उसका पूरी तरह तिरस्कार न करके उसके अच्छे गुणों का सम्मान करते रहने का चलन था - बापू के शब्दों में "पाप से घृणा करो, पापी से नहीं" वाली बात। उसी तरह अच्छे गुणों के बावजूद दुर्गुणों का तिरस्कार भी लागू रहता था।<br />इसीलिए दशहरे पर, रावण के वध को एक ज्ञानी पण्डित की हत्या भी मानते हुए, ब्रह्महत्या का सूतक जहाँ एक ओर लागू होता है, वहीं दूसरी ओर होलिका और इलोजी का संबन्ध परिणय में तब्दील न हो पाने के कारण उसे सामाजिक मान्यता नहीं प्राप्त थी - और यही कारण था उनके सीमित तिरस्कार का भी।<br />यह मैंने दादी दे सुना था, सो आप सबकी जिज्ञासा देखकर शेअर कर लिया। अब आगे जिज्ञासाओं के निदान हेतु अपनी मति के आधार पर मेरा कोई स्पष्टीकरण देना मर्यादा का उल्लंघन होगा।Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-78612482305736644802010-02-23T23:33:18.117+05:302010-02-23T23:33:18.117+05:30इस सुंदर जानकारी के लिये धन्यवाद, लेकिन यह कही पहल...इस सुंदर जानकारी के लिये धन्यवाद, लेकिन यह कही पहले भी पढी हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-41103987182199881242010-02-23T22:37:56.436+05:302010-02-23T22:37:56.436+05:30इस जानकारी के लिए धन्यवाद!इस जानकारी के लिए धन्यवाद!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-88561785319793552982010-02-23T21:07:39.732+05:302010-02-23T21:07:39.732+05:30अनोखी जानकारी!
बी एस पाबलाअनोखी जानकारी!<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-88544317405369705692010-02-23T20:49:49.529+05:302010-02-23T20:49:49.529+05:30kahta rochak lagi.
nayee bat janane ko mili.
san...kahta rochak lagi. <br />nayee bat janane ko mili.<br /><br />sanjay swadesh<br />nagpursanjay swadeshhttp://www.visfot.com/author/sanjayswadeshnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-60249434542684220482010-02-23T20:26:35.073+05:302010-02-23T20:26:35.073+05:30बंधु, इस कथा का स्रोत क्या है?बंधु, इस कथा का स्रोत क्या है?Amitabh Mishrahttps://www.blogger.com/profile/10933907992563172748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-52901127722093581462010-02-23T20:02:14.439+05:302010-02-23T20:02:14.439+05:30नई जानकारी.नई जानकारी.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com