tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post1529848843360356874..comments2024-03-28T11:13:49.811+05:30Comments on कुछ अलग सा: रामलीला के संवादों में हिंग्लिश की सेंध गगन शर्मा, कुछ अलग साhttp://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-25179578254400916032015-10-20T23:15:39.052+05:302015-10-20T23:15:39.052+05:30कविता जी, ऐसे लोगों की किसी भी भाषा पर पकड़ नहीं हो...कविता जी, ऐसे लोगों की किसी भी भाषा पर पकड़ नहीं होती। पर हाव-भाव ऐसा होता है जैसे अगला अकादमी इन्हीं के लिए हो !गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-60977390674914751702015-10-20T23:13:06.640+05:302015-10-20T23:13:06.640+05:30वीरेन्द्र जी, सोच कर ही कोफ़्त होती है जब फिल्मों स...वीरेन्द्र जी, सोच कर ही कोफ़्त होती है जब फिल्मों से आए तथाकथित कलाकारों की नौटंकी रामायण के दूसरे पात्रों पर भारी पड़ने लगेगी। जिस तरह फिल्मों के संवाद अश्लीलता को छू-छू कर वापस आते हैं वैसा ही कुछ यहां भी ना होने लगे। <br />गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-57146171878961590572015-10-20T22:08:00.619+05:302015-10-20T22:08:00.619+05:30मौज़ू मुद्दा उठाया है आपने। मौज़ू मुद्दा उठाया है आपने। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-25904637704618040572015-10-20T22:06:12.854+05:302015-10-20T22:06:12.854+05:30आहट है कैसी वक़्त ये कैसा है आ गया ?
क्या खून में म...आहट है कैसी वक़्त ये कैसा है आ गया ?<br />क्या खून में मेरे कोई पानी मिला गया !!<br />बनती थी पहली रोटी जहाँ गाय के लिए !<br />उस मुल्क में रोटी से कोई गाय खा गया !!virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-27449515934463813582015-10-20T12:20:29.996+05:302015-10-20T12:20:29.996+05:30ये हिंग्लिश की मानसिकता वाले लोग ले डुबोना चाहते ह...ये हिंग्लिश की मानसिकता वाले लोग ले डुबोना चाहते है हिंदी को। . फैशन बन गया है यह। ऐसे लोग इंग्लिश तो बोल नहीं पाते है चलताऊ इंग्लिश क्या आये की झाड़ने लगते हैं फिर हिंदी क्या बोलेंगे इसलिए हिंग्लिश से रौब झाड़ना उनको अच्छा लगता है। बच्चों को हिंदी नहीं आती, उनकी समझ में नहीं आता, ये सब बहाना भर है। दुःख होता है ऐसे प्रसंग देखकर... . कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-21425411900449405682015-10-20T09:13:40.395+05:302015-10-20T09:13:40.395+05:30ब्लॉग बुलेटिन का आभारब्लॉग बुलेटिन का आभारगगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4965594300150482608.post-89415635481552293082015-10-19T22:24:04.116+05:302015-10-19T22:24:04.116+05:30Shastri ji
aabhaarShastri ji <br />aabhaarगगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.com