गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019

दो बार हुई थी अर्जुन की मृत्यु

यह तो सर्व ज्ञात है कि अपने अंतिम समय में स्वर्ग यात्रा के दौरान पर्वतारोहण के समय, युधिष्ठिर को छोड़ एक-एक कर सभी पांडव भाइयों की मृत्यु होती चली गयी थी। लेकिन महाभारत की उपकथाओं में इस महाकाव्य के प्रमुख पात्र अर्जुन की इसके पहले भी एक बार हुई मृत्यु का एक बहुत अल्पज्ञात जिक्र मिलता है ! आज करवा चौथ के अवसर पर एक पत्नी का अपने पति को बचाने के उपक्रम का विवरण........!

#हिन्दी_ब्लागिंग 
हमारी पौराणिक कथाओं में ''अष्टवसु'' का जिक्र आता है। इन आठों देवभाइयों को इन्द्र और विष्णु का रक्षक देव माना जाता है। एक बार इनमें सबसे छोटे वसु द्वारा वशिष्ठ ऋषि की गाय नंदिनी को लालचवश चुरा लेने के फलस्वरूप आठों वसुओं को मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप मिला पर इनके द्वारा क्षमा मांगने पर वशिष्ट ने सात वसुओं के शाप की अवधि एक वर्ष कर दी पर सबसे छोटे वसु को जिसने यह कृत्य किया था, उसे महान विद्वान, वीर, ख्यात और दृढ़प्रतिज्ञ होने के साथ-साथ दीर्घकाल तक मनुष्य योनि में रहने, संतान उत्पन्न न करने तथा स्त्री परित्यागी होने का दंड भी मिला। इसी शाप के अनुसार महाभारत काल में उसका जन्म भीष्म के रूप में हुआ था।   
भीष्म पितामह 
महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था। युधिष्ठिर राज-पाठ संभाल रहे थे। तभी एक दिन महर्षि वेदव्यास और श्रीकृष्ण ने पांडव भाइयों को अश्वमेध यज्ञ करने की सलाह दी, जिससे शासन व्यवस्था और मजबूत हो सके। इसी के तहत, शुभ मुहूर्त देखकर यज्ञ का शुभारंभ कर घोड़ा छोड़ दिया गया, जिसकी रक्षा का भार अर्जुन को सौंपा गया था। जहां कहीं घोड़े को रोका गया वहां के राजाओं को अर्जुन ने परास्त कर अपने राज्य का विस्तार किया। इसी दौरान यह कारवां मणिपुर जा पहुंचा। एक बार पहले नियम भंग करने के प्रायश्चित स्वरुप, घूमते हुए अर्जुन के यहां  आने पर यहां की राजकुमारी चित्रांगदा से उनका विवाह संपन्न हुआ था, जिसके फलस्वरूप उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी जो की अब वहां का राजा था, बभ्रुवाहन ! 
अर्जुन 
 बभ्रुवाहन
जब बभ्रुवाहन को अपने पिता अर्जुन के आने का समाचार मिला तो उनका स्वागत करने के लिए वह नगर के द्वार पर आया। अपने पुत्र को देखकर अर्जुन बहुत खुश हुए पर नियमों से बंधे होने के कारण मजबूरीवश उन्हें कहना पड़ा कि यज्ञ के घोड़े को यहां रोका गया है, जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी है इसलिए तुम्हें मुझसे युद्ध करना पडेगा ! बभ्रुवाहन ने ऐसी परिस्थिति की कल्पना भी नहीं की थी ! पर अर्जुन भी अपनी बातों पर अड़े हुए थे !  इसी वाद-विवाद के बीच अर्जुन की एक और पत्नी नागकन्या उलूपी भी वहां आ गई और बभ्रुवाहन को अर्जुन के साथ युद्ध करने के लिए उकसाना शुरू कर दिया ! अपने पिता के हठ व सौतेली माता उलूपी के कहने पर बभ्रुवाहन युद्ध के लिए तैयार हो गया। पिता पुत्र में भयंकर युद्ध हुआ। अपने पुत्र का पराक्रम देखकर अर्जुन बहुत प्रसन्न हुए। दोनों बुरी तरह घायल और थक चुके थे। इसी बीच बभ्रुवाहन का एक तीक्ष्ण बाण सीधा आ अर्जुन को लगा जिसकी चोट से अर्जुन गिर पड़े और उनकी मृत्यु हो गयी ! उधर बभ्रुवाहन भी बेहोश हो धरती पर गिर पड़ा। पति और पुत्र की यह हालत  देख चित्रांगदा पर तो मानो पहाड़ ही टूट पड़ा ! कुछ देर बाद जब बभ्रुवाहन को होश आया तब वह भी अपने पिता की हालत देख शोकाकुल हो उठा और ऐसे जघन्य कृत के लिए अपने को दोषी मान विलाप करने लगा। 
उलूपी व संजीवनी मणि 
अर्जुन की मृत्यु से दुखी होकर चित्रांगदा और बभ्रुवाहन दोनों ही आमरण उपवास पर बैठ गए। जब नागकन्या उलूपी ने यह देखा तो उसने संजीवनी मणि का आह्वान कर उसको बभ्रुवाहन को देते हुए उसे अर्जुन की छाती  पर रखने को कहा, ऐसा करते ही अर्जुन जीवित हो उठे। तब उलूपी ने यह रहस्योद्घाटन किया कि महाभारत में भीष्म पितामह की धोखे से किए गए वध के कारण ''वसु'' बहुत नाराज व क्रोधित हो गए थे। जिसके कारण उन्होंने अर्जुन को श्राप देने का संकल्प ले लिया था। जब यह बात मुझे पता चली तो मैंने यह बात अपने पिता को बताई। उन्होंने वसुओं के पास जाकर सब विधि का विधान बता प्रार्थना की। तब वसुओं ने कहा कि मणिपुर का राजा बभ्रुवाहन अर्जुन का पुत्र है यदि वह बाणों से अपने पिता का वध कर देगा तो अर्जुन को अपने पाप से छुटकारा मिल जाएगा। इसीलिए वसुओं के श्राप से बचाने के लिए ही मुझे अपनी यह मोहिनी माया रचनी पड़ी। तत्पश्चात अर्जुन बभ्रुवाहन को अश्वमेध यज्ञ में आने का निमंत्रण दे पुन: अपनी यात्रा पर आगे चल दिए। 

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

7 टिप्‍पणियां:

राजीव कुमार झा ने कहा…

रोचक जानकारी.

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी, चयन के लिए हार्दिक आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राजीव जी, "कुछ अलग सा" पर आपका सदा स्वागत है

Meena Bhardwaj ने कहा…

आपके ब्लॉग पर आकर सदा ही कुछ नया पढ़ने को मिलता है । यह लेख भी बहुत बढ़िया लगा ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मीना जी, हार्दिक धन्यवाद । कुछ अलग सा पर आपका सदा स्वागत है

kuldeep thakur ने कहा…


जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
20/10/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......

अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुलदीप जी, चयन के लिए हार्दिक आभार

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