शनिवार, 28 जून 2014

शरीर जरूर विकलांग है पर आत्मा नहीं

क्या कोई विश्वास करेगा कि हाथ ना होने के बावजूद कोई मुंह या पैरों की सहायता से खूबसूरत पेंटिंग बना सकता है. पर यह सच है आज दुनिया में सैकड़ों ऐसे कलाकार  हैं जो ब्रश को मुंह या पैरों में थाम कर खूबसूरत पेंटिंग को उकेरते हैं।  इसे संभव किया है Mouth and Foot painting artists (MFPA)  नामक संस्था ने।  1956 में बनी यह अंतर्राष्ट्रीय संस्था पूरी तौर से ऐसे ही विकलांग लोगों द्वारा चलाई जा रही है,  इसी से अपनी सारी जरूरतें पूरी करते हैं इसके सदस्य, जो जन्म से, बचपन में या किसी दुर्घटना में अपने अंग खो चुके होते हैं, वे अपने मुंह में या पैर में ब्रश अटका कर पेंटिंग बनाते हैं. पचास साले से भी ऊपर हो गए हैं जबसे MFPA ने ऐसे कलाकारों की प्रतिभा को एक मंच दिया, उन्हें एक पहचान दी, स्वाबलंबी बनाया, गर्व और आजादी से जीने का मौका दिया.    

1956 में पोलियो ग्रस्त एरिच स्टेगमैन, जो खुद मुंह से पेंटिंग बनाया करते थे, विकलांग लोगों की कष्ट दायक जिंदगी से बड़े दुखी थे। वे किसी तरह उनकी सहायता करना चाहते थे।     उनका    उद्देश्य   ऐसे    लोगों   को एक
सम्मानजनक जिंदगी देना ही मुख्य लक्ष्य था।  इसीलिए उन्होंने अपने जैसे लोगों को इकट्ठा कर एक सहकारी संस्था बनाई जिसे Mouth and Foot Painting Artists (MFPA) नाम दिया गया. इसके सदस्य मुख्यतया कार्ड, कैलेण्डर और किताबों के लिए पेंटिंग बनाते हैं. आज करीब 74 देशों के 700  से ज्यादा कलाकार इस संस्था के सदस्य हैं। इनकी बनाई गयी कलाकृतियों को बाजार में अच्छे मूल्य मिल सकें इसके लिए कुछ आम स्वस्थ लोगों को यह कार्य-भार सौंपा गया है।  विकलांग सदस्यों के आत्म-सम्मान को ठेस ना पहुंचे इसलिए स्टेगमैन ने कभी कोई दान स्वीकार नहीं किया।       इसीलिए MFPA का आदर्श वाक्य है "self-help, not charity".    
  
भारत में इस संस्था का आगाज 1980 में हुआ. जिसका आफिस मुम्बई में है।  फिलहाल अभी इसमें 16 कलाकार काम कर रहे हैं, अपने घरों में अपनी पेंटिंग बना उसे एसोशिएशन में जमा करवा देते हैं। जिसे विशेषज्ञों द्वारा कार्ड या कैलेण्डर जैसे उचित स्थान पर जगह दे दी जाती है। ये लोग स्कूलों या दूसरी जगहों पर भी जा-जा कर अपनी कला का प्रदर्शन कर समय-समय पर लोगों का उत्साह बढ़ाने, उन्हें स्वाबलंबी होने का मार्ग-दर्शन भी करते रहते हैं।  

तो अब जब भी आप कोई कार्ड या कैलेण्डर लेने की सोचें तो  MFPA  द्वारा पेंट किए हुए उत्पादनों का जरूर ध्यान रखें। जिससे जाने-अनजाने किसी की मदद हो सके।       

6 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

Pichale 2-3 salon se ISO sanstha se cards Leti hoon.ABHAR IS LEKH KA

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (29-06-2014) को ''अभिव्यक्ति आप की'' ''बातें मेरे मन की'' (चर्चा मंच 1659) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

Kailash Sharma ने कहा…

सलाम इस ज़ज्बे को...

मीनाक्षी ने कहा…

अधिकतर देखने में आया है कि सेहतमंद लोगों की आत्मा विकलांग होती है... उत्साहवर्धक लेख..

Anamikaghatak ने कहा…

Adbhut krtiya

dr.mahendrag ने कहा…

मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये ,जज्बा कुछ भी करा सकता है, नमन इनके जज्बे को

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