बुधवार, 14 अगस्त 2013

बखेड़ा बिजली का बरसात में

कई दिनों से लगी झड़ी आज सुबह ही बंद हुई थी. मौसम खुशगवार था. मैंने चाय का प्याला थामा ही था कि ठाकुर जी नमूदार हो गये. उन्हें भी चाय दी जिसकी एक चुस्की ले बोले, पता है कल शाम अपने जैन साहब को करेंट लग गया था.

मैं चौंका, अरे नहीं मुझे तो नहीं पता ! कैसे हैं ? कुछ ज्यादा चोट तो नहीं आई ? और यह सब हुआ कैसे ?
ठाकुर जी बोले, लगातार बारिश से दीवारों में सीलन आ गयी थी, उसी के कारण शायद स्विचों में भी करेंट आ गया था, काम से लौटने पर मुंह-हाथ धो जैसे ही लाईट बंद करने लगे जोर का झटका खा गये. वैसे डाक्टर देख गया था, खतरे से बाहर हैं। 
चाय में  दो बिस्कुट डूबा कर उदरस्त करते हुए बोले, देखो इसी बिजली के बिना हम अपनी दिनचर्या की कल्पना भी नहीं कर सकते पर यही कभी-कभी मुसीबत भी बन जाती है. 

मैं बोला, वो तो है, जब तक उसे चेरी बना कर रखेंगे तब तक आप के सारे काम सुचारू रूप से होते जाएंगे जैसे ही  आपने अपनी असावधानी की ढील दी वह जानलेवा हो जाएगी. इसलिए सावधानी बहुत जरूरी है..

ठाकुर जी ने चाय ख़त्म करते हुए कहा, भईये कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि यह सदा निरापद रहे ?

मैंने कहा ठाकुर जी ऐसा है कि शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने अपने जीवन  काल में कभी बिजली का झटका न खाया हो. वैसे झटका खाने वाले हर व्यक्ति को नुक्सान नहीं होता. दुर्घटना की गंभीरता इसके वोल्टेज, अर्थिंग, बिजली के स्वरूप, व्यक्ति के स्वास्थ्य और उसे संपर्क में आने वाले हिस्से पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. इसके झटके का असर ऐसे लोगों पर कुछ ज्यादा होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। बच्चे, बूढ़े, ह्रदय रोगी और डायबिटिक व्यक्तियों को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. कड़ी, खुरदरी या कठोर चमड़ी पर भी कोमल त्वचा के बनिस्पत कम असर पड़ता है. 

ठाकुर जी ने इसी बीच एक प्रश्न और उछाल दिया, अच्छा भईये, या बताओ कितने वोल्ट की बिजली निरापद होती है ? 

मैं बोला, घरों में बिजली महकमे द्वारा जो विद्युत प्रवाह  भेजा जाता है वह २२०-२४० वोल्ट का होता है. जिसके संपर्क में ५-६ सेकेण्ड का समय भी जानलेवा हो सकता है. निरापद तो यह होती ही नहीं फिर भी पचास वोल्ट तक के करेंट को सहा जा सकता है. 

ठाकुर जी ने जेब से सौंफ की डिबिया निकाल  कर कुछ दाने मुंह के हवाले किए और बोले, अब लगे हाथ यह भी बता दो कि किसी को करेंट लग ही जाए तो क्या किया जाना चाहिए ?

मैंने भी उनकी डिबिया कुछ हल्की कर कहा, हर दुर्घटना में समय का बहुत महत्व होता है. पीड़ित को जितनी जल्द हो सके सहायता उपलब्ध करवानी चाहिए. बिजली के मामले में यदि करंट लगाने वाला व्यक्ति तार से चिपका हो तो उसे किसी सूखी लकड़ी से या रबर के दस्ताने पहन या फिर हाथों पर सूखे कपडे की कई परतें लपेट कर ही छूना और हटाना चाहिए. यदि व्यक्ति बेहोश हो तो उसे कृत्रिम सास देनी चाहिए. यदि उसकी नब्ज धीमी पड़ रही हो तो कार्डियक मसाज जरूरी होती है. यदि पीड़ित बेहोश न हो तो उसे गरम काफी पिलाना फायदेमंद रहता है. झटका खाए व्यक्ति को कुछ दिन आराम जरूर करना चाहिए. जिससे किसी अंदरूनी नुक्सान से बचाव हो सके.

ठाकुर जी सबसे अहम् बात तो बिजली से किसी भी तरह का पंगा, असावधानी या लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. मौसम कैसा भी हो गीले हाथों से स्विच वगैरह या बिजली के उपकरणों को नहीं छूना चाहिए. ज़रा सी भी कोई भी खराबी हो तो उसे तुरंत सुधारवा लेना चाहिए. घर के छोटे बच्चों की पहुँच से साकेट वगैरह दूर होने चाहिए यदि ऐसा संभव न हो तो उन्हें ढक कर रखना उचित रहता है. घर की तारों, फिटिंग और उपकरण अच्छी क्वालिटी के तथा सही अवस्था में होने चाहिए। बरसात में कड़कती बिजली या घनघोर वर्षा के समय टी.वी, फ्रिज वगैरह बंद ही कर दिए जाएं तो बेहतर है. 
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थोड़ी सी सावधानी से इसे चेरी बना कर इसका असीमित लाभ उठाया जा सकता है. 
ठाकुर जी उठते हुए बोले, भईये चलूं, तुम्हारी भाभी को भी कुछ सीख दे दूँ।          

4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ी ही उपयोगी सलाहें..

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं

Rajendra kumar ने कहा…

अतिसुन्दर ,स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

पूरे सैंतालिस और आधे दिन बाद फिर से "बी एस एन एल" नामक संस्था ने अपनी नाराजगी दूर कर अपनी सेवाएं मुहैय्या करवा मुझे अनुगृहित किया। समझ में नहीं आता कि पैंतीस दिनों तक बिल जमा ना करने वालों का कनेक्शन काट देने की धमकी देने वाला यह सरकारी विभाग, इतने दिन फोन बंद रखने पर खुद पर कौन सी कार्यवाही कर सकता है?
"जागो ग्राहक जागो" जैसे नारे दिखाने वाले इस पर किसको जगाएंगे?

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