गुरुवार, 11 अगस्त 2011

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से ही तिरंगा क्यों फहराया जाता है ?

स्वतंत्रता दिवस की पहली सुबह, सारा देश रात भर सो ना पाया था। अंग्रेजों के चंगुल से लहूलुहान स्वतंत्रता को छीन लाने में हजारों-हजार नवजवान मौत का आलिंगन कर चुके थे। उनकी शहादत रंग लाई
थी। सारा देश जैसे सड़कों पर उतर आया था। लोगों की आंखें भरी पड़ी थीं खुशी और गम के आंसूओं से। खुशी आजादी की, गम प्रियजनों के बिछोह का।
दिल्ली तो जैसे पगला गयी थी। होती भी क्यों ना आजाद देश की राजधानी जो थी। हुजूम का हुजूम, ठट्ठ के ठट्ठ बढे जा रहे थे लाल किले की ओर। आज यह एतिहासिक किला भी फूला नहीं समा रहा था अपने भाग्य पर। बहुत उतार-चढाव देख रखे थे इसने अपने जीवन काल में, जबसे शाहजहां, ने उस जमाने में करीब एक करोड़ की लागत से इसे नौ सालों में बना कर पूरा किया था,
तब से आज तक यह अनगिनत घटनाओं का साक्षी रहा था। इसे यह गौरव ऐसे ही नहीं मिल गया था।

1857 की क्रांति में स्वतंत्रता संग्राम के वीरों ने अंग्रेजों को मात दे कर यहीं बहादुर शाह जफर को अपना सम्राट चुना था। किला गवाह है उस इतिहास का कि कैसे बदला लेने के लिए अंग्रेजों ने मौत का तांडव शुरु कर दिया था। हजारों वीर मारे गये थे, कितनों को फांसी पर लटका दिया गया था, सैंकडों को काला पानी नसीब हुआ था। बुढे शेर को कैद कर रंगून भेज दिया गया था।
जहां यह किला मुगलों की शानो-शौकत का गवाह रहा था वहीं दो सौ साल बाद अंतिम बादशाह की दर्दनाक मौत का अभिसाक्षी भी इसे बनना पड़ा। ऐसा नहीं है कि इसके पहले या बाद में इसने जुल्मों-सितम नहीं देखे थे। सालों बाद एक बार फिर 1945 में ब्रिटिश हुकूमत ने आजाद हिंद फौज के जांबाजों, जी एस ढिल्लन, कैप्टन शाहनवाज तथा कैप्टन सहगल पर यहीं मुकदमा चला उन्हें सजा देने की कोशिश की थी पर उस समय सारा देश उनके पीछे खड़ा हो गया था। प्रचंड विरोध छा गया था पूरे देश में और डर के मारे अंग्रेजों को उन वीरों को मुक्त करना पड़ गया था। देश में विजयोत्सव मनाया गया और लाल किला उस विजय का प्रतीक बन गया। इसीलिए जब हमें आजादी मिली तब देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरु ने सर्वसम्मति से इसे पहले स्वतंत्रता दिवस पर झंडोतोलन के लिए सबसे उपयुक्त स्थल मान यहां से सारे राष्ट्र को संबोधित किया। उसके बाद से आज तक देश का हर प्रधान मंत्री यहां से झंडा फहरा कर अपने आप को गौरवांन्वित महसूस करता है।
आप सभी को, असंख्य विडंबनाओं के बावजूद, यह शुभ दिन मुबारक हो।
जय हिंद।

12 टिप्‍पणियां:

अशोक कुमार शुक्ला ने कहा…

। इसे यह गौरव ऐसे ह नहं िमल गया था। 1
bahut achchi jaankaari
aabhar.

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट है ...जय हिंद

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

गगन शर्मा जी
सादर वंदे मातरम् !

असंख्य विडंबनाओं के बावजूद, यह शुभ दिन मुबारक हो। :(
अब स्थितियां तो जैसी हैं , सामने हैं । इनमें सुधार के लिए आम नागरिक ही सचेष्ट हो'कर दायित्व निभाए तो बदलाव संभव है …


बहरहाल , अच्छी और जानकारी बढ़ाने वाली पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !


रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

-राजेन्द्र स्वर्णकार

संजय भास्‍कर ने कहा…

अच्छी जानकारी बढ़ाने वाली पोस्ट ...शर्मा जी

Udan Tashtari ने कहा…

शुभ दिन मुबारक हो।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
स्वतन्त्रतादिवस की भी बधाई हो!

मनोज कुमार ने कहा…

इस जानकारी को हमसे बांटने के लिए आभार।

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सार्थक लिखा है आपने आज पहली बार aapke ब्लॉग पर आना हुआ और देश प्रेम से ओत-प्रोत आपकी प्रस्तुति ने मन को स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर हमें भी देश प्रेम की भावनाओं से भर diya .aabhar.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अभी भी हमारे गौरव का प्रतीक है लाल किला।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शालिनीजी आपका स्वागत है।

नरेन्द्र कुमार राय ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी. धन्यवाद.

Chetan ने कहा…

alag sii jaankaaree ke lie abhaar

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