अभी कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर में एक “हादसा” हुआ। हादसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकी ऐसा पहली बार हुआ है कि एक आम आदमी ने लालफीताशाही से तंग आ कर ऐसा खतरनाक रवैया अपनाया हो। एक कमजोर बुजुर्ग इंसान द्वारा उठाया गया ऐसा कदम आने वाले अराजक समय का “ट्रेलर” भी हो सकता है।
हुआ यूं कि सेवानिवृत सब-इंजीनियर लोकेंद्र सिंह, जो 30 सितम्बर 2007 को रिटायर हो चुके थे, उन्हें चार साल से पेंशन के लिए भटकाया जा रहा था। इस दफ्तर से उस दफ्तर, उस टेबल से इस टेबल तक चक्कर काटते-काटते वह वृद्ध पुरुष परेशान हो चुका था। रायपुर से मीलों दूर बालाघाट में रहने वाले लोकेन्द्र सिंह इस उम्र में बार-बार इतनी दूर से आ हर बार नाउम्मीद होने, जीविकोपार्जन का कोई और साधन ना होने के बावजूद चार साल तक हाथ-पैर जोड़ने के बाद एक दिन अपना आपा खोकर चाकू से संबंधित अधिकारी पर हताशा में हमला कर बैठे। सोचने की बात है कि ऐसा आत्मघाती कदम उठाने वाले की मनोदशा कैसी कर दी गयी होगी पैसे के भूखे निर्मम बाबुओं के द्वारा। जबकि आमतौर पर सरकारी कर्मचारी के रिटायर होने के अंतिम साल में ही सारी कार्यवाही पूरी कर सेवा-निवृत होते ही अगले महीने से ही उसे पेंशन मिलनी शुरु हो जाती है।
हमले के बाद लोकेंद्र को तो थाने ले जाया जाना ही था। पर कलेक्टर महोदय ने इस सारे प्रसंग को गम्भीरता से लेते हुए जब पूरी छानबीन करवाई तो सारे संबंधित कार्यालयों की गल्तियां सामने आईं। यह बात भी पता चली कि इस दुधारू जगह में येन-केन-प्रकारेण सालों से पुराने कर्मचारी जमे बैठे हैं और पेंशन जारी करवाने के लिए मुवावजा लेकर अपना भविष्य सुधारते जा रहे हैं। सेवानिवृत होने वाला चाहे उनका पुराना साथी ही क्यों ना हो उन्हें सिर्फ माया से मतलब होता है।
कुछ महीनों पहले मैंने एक पोस्ट ड़ाली थी कि "सुधर जाओ नहीं तो जनता सुधार देगी।" भगवान ना करे कि वैसा समय आए जब हर कोई कानून अपने हाथ में लेने को मजबूर हो जाए। पर सोच कर देखिए कि कौन आपा ना खो बैठेगा जब उसके सामने ये तथाकथित जनता के नौकर घूस ले-ले कर हजारों नोट रोज अपने घर ले जाते दिखें पर एक इमानदार आम आदमी अपने दो समय की रोटी के लिए हताशा-निराशा से गुजरता रहे। मंत्री-संत्री तो अपना वेतन बढवाने के लिए बेशर्मी से एकजुट हो जाएं और मंहगाई की मार को झेलने के लिए बची रहे निरीह जनता। नेता-अभिनेता तो शादी-ब्याह जैसे उत्सवों पर एक रात में करोड़ों फूंक डालें और एक मध्यम वर्गीय अपने बच्चों को एक जोड़ी कपड़े ना दिला पाने के लिए झूठ का सहारा लेता रहे। एक खेल पर तो सरकार अरबों लुटाने को तैयार दिखे पर गरीब जनता की तकदीर सवांरने को उसकी झोली सदा खाली रहे। मालदार लक्ष्मी-पुत्रों के परिवार के हर सदस्य को हवा में अठखेलियां करने का शगल हो और धरती पुत्रों को चलने के लिए जमीन ना मिले तो अंजाम ??????????????
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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6 टिप्पणियां:
bhaai hr jgh yhi haal hai kotaa me bhi aaj aek injiniyr ko thekedar ne rishvt dene par bhi kam nhin krne ke maale me pitaa hai .akhtar khan akela kota rajsthan
सहिष्णुता का बाँध जब टूटता है तो सैलाब बन जाता है। इस घटना से भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को सबक लेना चाहिए।
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मौज-मस्ती में जुटे थे जो वतन को लूट के।
रख दिया कुछ नौजवानों ने उन्हें कल कूट के।।
सिर छिपाने की जगह सच्चाई को मिलती नहीं,
सैकडों शार्गिद पीछे चल रहे हैं झूट के।।
तोंद का आकार उनका और भी बढता गया,
एक दल से दूसरे में जब गए वे टूट के।।
मंत्रिमंडल से उन्हें किक जब पड़ी ऐसा लगा-
गगन से भू पर गिरे ज्यों बिना पैरासूट के।।
शाम से चैनल उसे हीरो बनाने पे तुले,
कल सुबह आया जमानत पे जो वापस छूट के।।
-डॉ० डंडा लखनवी
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सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
सेवानिवृत सब-इंजीनियर लोकेंद्र सिंह जी के बारे मैने कल पढा था, ओर इन्होने कुछ भी गलत नही किया, मै होता तो इन सब के हाथ पेर तुडवा देता, इन सब पर हजार बार लानत हे, सच हे यह सुधर जाये नही तो जनता इन्हे सुधार लेगी
देखी यह न्यूज...मन क्षुब्ध हुआ.
जो काम चार साल में नहीं हो पाया वह एक खरोंच से एक दिन में हो गया। लोकेन्द्र को अगले दिन ही अपना सारा पैसा मिल गया है।
शाम से चैनल उसे हीरो बनाने पे तुले.....
लखनवी जी बहुत खूब
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