सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

घटनाएं, जिन्होंने विश्व प्रसिद्ध उपन्यासों को जन्म दिया

कथाकारों को अपनी रचनाओं के लिए अक्सर प्रेरणा समाज से ही मिलती है। आसपास का परिवेश, लोग, घटनाएं कहीं ना कहीं लेखक के लेखन में सहायक होती रही हैं। जैसे :-

एलेग्जेंड़र मिल्कर्क स्काटलैंड़ का रहने वाला एक नाविक था। अपने जीवनकाल में उसने ढेरों समुद्री यात्राएं कीं थीं। एक बार ऐसी ही एक यात्रा में उसका पोत दुर्घटनाग्रस्त हो सागर में डूब गया। किसी तरह बड़ी मुश्किल से उसने एक सुनसान द्वीप पर पहुंच कर अपनी जान बचाई। पर वहां से निकलने का कोई उपाय नहीं होने के कारण उसे वहां करीब साढे चार साल तक फंसा रहना पड़ा था। बाद में जब वह किसी तरह इंग्लैंड़ पहुंचा तो उसकी इस आपबीती को प्रसिद्ध लेखक ड़ेनियल ड़ेफियो ने सुना और इसी के आधार पर विश्व प्रसिद्ध उपन्यास "राबिनसन क्रूसो" का जन्म हुआ।
प्रसिद्ध लेखक लुई स्टेवेंसन ने अपने लोकप्रिय उपन्यास " स्ट्रेंज केस आफ डा. जेकल एंड मि. हाइड़" एक सच्ची घटना को आधार बना लिखा था। हुआ यूं कि एक बार एक गिरोह पुलिस के हत्थे चढा जिसके सदस्य नकाब पहन कर चोरियां किया करते थे। उनमें का एक सदस्य था, विलियम ब्रोड़ी, जो कि एक सभ्रांत नागरिक था। समाज में उसकी बहुत इज्जत थी। उसी के दोहरे व्यक्तित्व को आधार बना यह कथा रची गयी।

ऐसा ही एक और उपन्यास है "मादाम बोवारी"। जिसकी प्रेरणा स्रोत थी, डेल्फिन डेलामार नाम की उच्च घराने की एक बेहद खूबसूरत लड़की। महत्वाकंक्षा उसमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। उसका एक ही उद्देश्य था, जीवन का भरपूर उपभोग करना। उसकी शादी एक डाक्टर से हुई थी, जो शहर से दूर गावों में रह कर जरूरतमंदों की सेवा करना चाहता था। डेलामार दिलफेंक युवती थी। उसके बहुतेरे पुरुष मित्र थे। फिर भी उसकी जिंदगी में सकून नहीं था। धीरे-धीरे वह कुंठा में डूबी रहने लगी और अंत में उसने आत्महत्या कर ली।
मशहूर लेखक गुस्ताओ फिलाबेर ने उसी की जिंदगी को आधार बना अपने उपन्यास की रचना कर डाली।

6 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी आपने। खोजता हूं और पढता हूं, इन्हें।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर जानकारी,
इतने सारे यार थे फ़िर भी आत्म हत्या ? हे राम केसा कलयुग आ गया:)

बेनामी ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी आपने।
P.S.Bhakuni

betuliyan ने कहा…

Bhai sahab bhartiyo ne bhi bahut kuchh kiya hai..
waise bahut achha lekh

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

दोनों उपन्यास पढ़े हुये हैं, बैकग्राऊंड जानकर अच्छा लगा।

@ राज भाटिया जी:
इतने सारे थे, शायद इसीलिये कर ली हो:)

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कथाकारों और कलाकारों को प्रेरणा तो अपने आस-पास से ही तो मिलती है।

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